कोरबा (मनीष जायसवाल)-छत्तीसगढ़ शासन के वित्त विभाग द्वारा 27 मई को जारी आदेश कोरोना काल मे प्रदेश के समस्त कर्मचारियों के अशुभ रहा। उस आदेश में प्रदेश में सभी शासकीय कर्मचारियों के जुलाई 2020 एवं जनवरी 2021 के वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है।जिस पर प्रदेश के सभी कर्मचारी आक्रोशित है। सभी कर्मचारी के संगठन अपने अपने स्तर पर रणनीति बनाने में जुट गए है। राज्य के शिक्षको व कर्मचारियों व एक जुटता के साथ शासन की इस नीति का विरोध कर रहे है। सँयुक्त शिक्षा कर्मी संघ भी वर्त्तमान हालात को देखते हुए रणनीति के तहत शासन पर दबाव बनाने का काम कर रहा है …!
संघ के बिलासपुर सम्भाग के अध्यक्ष मुकुंद उपाध्याय शासकीय कर्मचारियों का पक्ष रखते हुए कहते है कि राज्य का कर्मचारी हर परिस्थितियों में अपने शासकीय कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान होकर कार्य करता है। कर्मचारियों के इस कर्तव्यनिष्ठा के फल स्वरुप शासन द्वारा प्रत्येक वर्ष कर्मचारियों को पारितोषिक स्वरूप वेतन वृद्धि का लाभ प्रदान किया जाता है…! परन्तु कोरोना काल मे शासकीय कर्मचारियों को सेवा के बदले दंड मिलने जैसा प्रतीत हो रहा है। वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार कर्मचारियों के वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है जिसका हम जैसे कई अन्य कर्मचारी संघ भी राज्य शासन की इस नीति का विरोध कर रहे है।
मुकुंद उपाध्याय ने बताया कि वे मुख्यमंत्री के नाम विनती पत्र भी लिख चुके है जिसके बारे में वे बताते है कि हमने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि शासकीय कर्मचारियों के जुलाई 2020 एवं जनवरी 2021 में रोके गए वार्षिक वेतन वृद्धि के संबंध में पुनः विचार लिया जाना चाहिए। क्योंकि शासकीय कर्मचारियों के आय के साधन निश्चित होते हैं ऐसे में वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा देने से कर्मचारियों को वर्तमान और भविष्य भारी नुकसान होगा ।
उनका कहना है कि शिक्षकों ने अपने 1 दिन का वेतन देने की न केवल पहल की थी बल्कि दिया भी था।मजदूरों को घर तक पहुंचाने का कार्य हो या क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों की देखभाल करने का काम हो,चाहे चेकपोस्ट में ड्यूटी हो या घर- घर जाकर चावल बांटने का कार्य हो शिक्षकों ने अपने दायित्व का निर्वहन भली-भांति किया है वही अन्य विभाग के कर्मचारी भी लगातार इस आपदा काल में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। ऐसे में शासकीय कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाते हुए उनके पीठ थपथपाने उन्हें शाबाशी देने का समय है।
किंतु इसके विपरीत शासकीय कर्मचारियों के वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई जो कि शासकीय कर्मचारियों के लिए आर्थिक क्षति तो है ही साथ ही साथ उनके मनोबल को तोड़ने वाला भी है।कर्मचारियों का मनोबल न टूटे इसके लिए प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवेदन है कि वे वेतन वृद्धि पर रोक का जो निर्णय लिया गया है उस पर पुनः विचार करते हुए इस आदेश को निरस्त करे।