बालीवुड अभिनेता का सनसनीखेज बयान..लगा रेप का झूठा आरोप…काटा 35 दिन जेल…महिलावादी नीतियों पर और क्या कहा..पढ़ें खबर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— भारत मे संविधानिक प्रावधानों और महिलाओं को दी गयी एक तरफा कानूनी संरक्षण के विरोध में  पुरूषों की आवाज धीरे मुखर होने लगी है। सेव इंडियन फैमिलि मुवमेंट के बैनर तले महाराष्ट्र के नागपुर शहर में पत्नी प्रताडित पुरूषों की अखिल भारतीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में फिल्म जगत की हस्तियों ने भी शिरकत किया। महिलाओं के लिए तैयार अतिरंजित सुरक्षा नीतियों ने परिवार को छिन्न भिन्न कर दिया है। वक्ताओं ने बताया कि विवाहित पुरूषो की आत्महत्या का दर महिलाओं से अधिक है। यदि ऐसा ही रहा तो कोई व्यक्ति शादी के बंधन से दूर अविवाहित रहना पसंद करने लगा है।
                          महाराष्ट्र के नागपुर में पुरुषो के अधिकारों पर 11 वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन किया गया। सेव इंडियन फैमिलि के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में देश के नामचीन हस्तियों ने ना केवल हिस्सा लिया..बल्कि वैवाहिक जीवन के कड़वे अनुभवों को साझा किया। वक्ताओं ने कहा महिलावादी नीतियों ने परिवार की परिभाषा को बदल कर रख दिया है। परिवार खण्ड खण्ड हो रहा है। संस्कार के कोई मायने नहीं रह गए हैं। कानून के पालन की जिम्मेदारी पुरूषों के सिर पर थोप दिया गया है। महिलाएं कर्तव्यों को भी निभाना नहीं चाहती है। अति संरक्षणवादी कानून ने पुरूषों और महिलाओ के संबधों के बीच स्वभाविक रिश्तों को तार तार कर दिया है। जिम्मेदारियों के बोझ से पुरूषों में आत्महत्या की दर दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। मानसिक परेशानियों ने पुरूषों को कहीं का नहीं छोड़ा है। यदि सब कुछ ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नही कि लोग परिवार में बंधना भी स्वीकार नहीं करेंगे।
                           अधिवेशन में भारत के विभिन्न राज्यों से पुरुष ने हिस्सा लिया। पुरूष अधिकारों के लिए काम करने वाले 50 से ज्यादा एनजीओ सदस्य अधिवेशन में शामिल हुए। दो दिवसीय अधिवेशन का आयोजन  नागपुर में 15 अगस्त से 17अगस्त 2019 तक किया गया।अधिवेशन में मुख्य रूप से पिछले 20 वर्षों से लगातार बढ़ रही आत्महत्या और उनके कारणों पर चर्चा की हुई।
                   वक्ताओं ने बताया कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार अविवाहित पुरुष और महिलाओं में आत्महत्या की दर लगभग बराबर है। जब बात विवाहित पुरुषों की आती है तो पुरूषों में आत्महत्या की दर महिलाओं कि तुलना में लगभग दुगनी है। हर साल लगभग 91000 पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं।
                             राष्ट्रीय अधिवेशन में लिंग आधारित कानूनों के अत्यधिक दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर की गयी। लोगों ने बताया कि पुरुषों की जेलों में दिनों दिन संख्या बढ़ रही है। संविधान और कानूम में महिलाओं को लेकर बहुत चिंता है। लेकिन पुरुष संरक्षण को लेकर संविधान और कानून चुप है। किसी प्रकार की  स्वास्थ नीति नहीं होने की वजह से हो पुरुष में होने वाली बीमारियों ने जीवन को नासूर बना दिया है। इस दौरान पुरुषों के कम जीवन प्रतिशत और बालकों के प्रति महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के उदासीन रुख पर भी चर्चा हुई।
                        राष्ट्रीय अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि वालीवुड अभिनेता करण ओबेरॉय और विपिुल देशपांडे ने भी शिरकत किया।  वाडीवुड गायक,अभिनेता, निर्माता निदेशक करण ओबेरॉय ने लिंगभेद नीति ने उनके जीवन की बुनियाद को हिलाकर रख दिया है। करम ओबेराय ने कहा कि प्रसिद्ध एलबम Band Of Boys के हिस्सा रहा हूं। “जस्सी जैसा कोई नहीं” में मुख्य किरदार निभाया है। जीवन पटरी पर थी..लेकिन एक अतिमहात्वाकांक्षी झूठ ने उनके जीवन को हिलाकर रख दिया। झूठे बलात्कार मामले में 35 दिन जेल काटना पड़ा है।
                          इस दौरान अभिनेता विपुल पाण्डेय ने भी अपने अनुभवों को साझा किया। विपुल देशपांडे ने बताया कि क्राइम पेट्रोल, कोड रेड और सावधान इंडिया की श्रंखला में मुख्य किरदार निभाया है। हाल ही में आयी मूवी “कबीर सिंह”  में सहायक अभिनेता के रूप में भी काम किया है। लेकिन अब देखने में आ रहा है कि महिलाएं जागरूक तो हुई हैं लेकिन अधिकारों की नशा में बहुत कुछ खोती जा रही हैं। ऐसा लगने लगा है कि महिलाएं उसी गलती को दुहरा रही हैं जिस गलती के पुरूष दोषी माना जाता है। बहुत खतरनाक बात है। यही कारण है कि परिवार में टूटन की दर बढ़ गयी है।
                        करण और विपुल ने कहा कि यह झूठ है कि महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा है। इस बात से भी इंकार नहीं करता कि नहीं हो रहा है हो रयकिन यह सच है कि हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ जमकर अन्याय हो रहा है। धीरे धीरे लोग की मान्धन  नसिकता बनती जा रही है कि महिलाओं से दूर रहना ही बेहतर है। अब ज्यादातर पुरूषों में शादी के प्रति मोहभंग हो गया है। निश्चित रूप से यह चिंता का विषय है। और ऐसा हो भी क्यों ना।
              अधिवेशन में सेव इंडियन फैमिली के सदस्यों ने विभिन्न महिलावादी और लिंगभेदी  कानूनों के दुरुपयोग की वजह से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के उल्लंघन पर गहरी चिंता व्यक्त की। सदस्यों ने बताया कि पुरुषों में आत्महत्या और उनके परिवार पर हो रहे अत्याचार से बचाने के लिए एक मात्र मुफ्त हेल्प लाइन 8882498498 चला रही है। विभिन्न स्थानों पर साप्ताहिक मीटिंग का आयोजन कर बातों को रखा जा रहा है।
                                     सदस्यों ने बताया कि बिलासुर में सेव इंडियन फ़ैमिली प्रत्येक रविवार को कोन्हेर गार्डन में सुबह 11:30- 1:30 साप्ताहिक मीटिंग का आयोजन किया जाता है। बैठक में महिलावादी लिंगभेद कानूनों के दुरुपयोग से पीड़ित व्यक्ति मुफ्त में सलाह लेता है। साथ ही मूवमेंट से जुड़कर अपनी आवाज को उठाता भी है।
                    नागपुर में आयोजित सेव इंडियन फ़ैमिली के अधिवेशन में बिलासपुर से विकास परिहार, मोइन खान, निलय गिरी, मनीष शर्मा, कमल कश्यप, संजय तिवारी, राजेश मिश्रा, राकेश यादव, प्रदीप ने शिरकत किया।
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