वाह रे राजस्व विभाग…बदल दिया जमीन का मौजा..फिर पटवारी को बचाने RI ने पेश कर दिया गोलमोल रिपोर्ट

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर(सीजीवाल)राजस्व विभाग का जवाब नहीं…। पटवारी और आरआई ने मिलकर एक जमीन को उठाया और दूसरे गांव में शिफ्ट कर दिया। ऐसा कारनामा केवल बिलासपुर में ही हो सकता है। मामले मेंं जब जब विवाद उठा…नई टीम ने पुरानी टीम के साथियों को बचाने..घूमा फिराकर शब्दों की बाजीगरी कर नया रिपोर्ट पेश कर दिया।मामला लिंगियाडीह का है। आरआई ने गोलमोल रिपोर्ट पेश कर लिंंगियाडीह खसरा नम्बर 198/577 मामले को रसूखदारों के प्रभाव में आकर दबाने का पुरजोर प्रयास किया है। इतना ही नहीं विवादों को जन्म देने वाले पटवारी को भी बचा लिया है।सीजीवालपुख्ता दस्तावेज और सूत्रों से हासिल जानकारी के अनुसार लिंगियाडीह से खसरा नम्बर 198/577 जमीन को पटवारी और राजस्व अधिकारियों ने मिलकर मोपका में शिफ्ट कर दिया है। हाल फिलहाल एक शिकायत के बाद मामले में जांच पड़ताल के लिए एक टीम का गठन किया गया। हर बार की तरह इस बार भी परिणाम ढाक के तीन पात ही साबित हुए।सीजीवालआरआई ने शब्दों की बाजीगरी कर रिपोर्ट में गडबड़ प्रतीत होना तो लिखा लेकिन गड़बड़ी किसने की और कहां की इस बात का जिक्र नहीं किया। दरअसल आरआई ने अपनी रिपोर्ट में मित्र पटवारी और जालसाजी में शामिल अन्य साथियों को बचाने का प्रयास किया है।

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क्या है विवाद
जानकारी हो कि मोपका और लिंगियाडीह को अलग करती कालोनी की एक सड़क है। पटवारी की कृपा से लिंगियाडीह की जमीन कूद फांदकर मोपका में पहुंच गयी। कूंदफांद करवाने में तात्कालीन पटवारी की महत्वपूर्ण भूमिका है।किस्सा  लिंगियाडीह पटवारी हल्का नम्बर 31 का खसरा नम्बर 198/577 रकबा.210 हेक्टेयर जमीन की है।सीजीवालतत्कालीन पटवारी रसूखदारों से हाथ मिलाते हुए दस्तावेज में कूट रचना कर जमीन को सड़क पार मोपका की खाली सकरारी जमीन खसरा नम्बर 845 में बैठा दिया। तात्कालीन पटवारी ने श्यामली देव के नाम बी 1 भी काट दिया।सीजीवालअब पटवारी कहता है कि उसने बी 1 नहीं काटा है।सीजीवालहासिल दस्तावेजों के अनुसार बैठायी गयी खसरा नम्बर 198/577  अरपा गृह निर्माण समिति की जमीन है। यह जानते हुए भी समिति की जमीन को निजी स्तर पर खरीदा बेचा नहीं जा सकता है। बावजूद इसके ऐसा किया गया। यानी नियम कायदों के साथ पटवारी ने वह सब कुछ किया जैसा सीआरपीसी की धाराओं में होता है।सीजीवालखसरा नम्बर 198/577 जमीन पर प्लाटिंग के बाद रकबा.210 हेक्टेयर बच गयी। इसी जमीन को बिल्डर से मिलकर पटवारी ने सड़क पार कर मोपका की सरकारी जमीन खसरा नम्बर 845 मे बैठा दिया। मजेदार बात है कि केवल दस्तावेजो में ही अरपा समिति की जमीन थी। इसी दस्तावेजी जमीन को मोपका के सरकारी जमीन में शिफ्ट किया गया।

शिकायत के बाद जांच टीम का गठन
198/577 रकबा.210 हेक्टेयर  मामले में फर्जीवाड़ा को लेकर शिकायत की गयी। तहसीलदार ने जांच टीम का गठन किया। टीम प्रमुख कमल किशोर कौशिक को बनाया गया। कमल किशोर कौशिक को वह सारे दस्तावेज हासिल हुए। लेकिन उन्होने अपनी रिपोर्ट में हासिल दस्तावेजों को पेश नहीं किया।सीजीवालउन्होने तात्कालीन साथी पटवारी को बचाने गोलमोल रिपोर्ट पेश कर दिया। पहली बात तो उन्होने वह दस्तावेज ही जमा नहीं किए जो बताते हैं कि जमीन की बंदरबांट में पटवारी की भूमिका है। दूसरी बात उन्होने रिपोर्ट में बताया है कि शिकायत सही प्रतीत होती है।सीजीवालसमझने वाली बात है कि जहां अरपा समिति की जमीन बैठायी गयी है दस्तावेजों में स्प्ष्ट है कि वह सरकारी है। बावजूद इसके पटवारी और जांच टीम प्रमुख ने जानबूझकर शासन की करोड़ों की जमीन को बिल्डर के दबाव में क्यों बैठाया। जबकि जालसाजी में राजस्व के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है।सीजीवालमतलब आरआई ने गोलमोल रिपोर्ट पेश कर शासन को करोड़ों की क्षति करते हुए दोषी पटवारी साथी और अन्य अधिकारियों के साथ दोस्ती निभाया। बिल्डर को भी खुश किया।

सरकारी जमीन को बेचने में जिम्मेदार कौन

                   198/577 रकबा.210 हेक्टेयर को मोपका के सरकारी जमीन खसरा 845 में बैठायी गयी है। जालसाजी में राजस्व अधिकारियों ने संगठित अपराध किया है। 2014 में लिगियाडीह से जमीन खरीदी बिक्री के प्रतिबंध को हटाया गया। प्रतिबंध हटने के बाद तात्कालीन हल्का पटवारी निखिल झा समेत अन्य तात्कालीन आरआई, नायब तहसीलदार, तहसीलदार, रजिस्ट्रार कार्यालय, प्रभारी अधिकारी फर्म एवं सोसायटी की भूमिका अहम है।सीजीवालअधिकारियों की  छत्र छाया में सिन्धु शर्मा पति नवल शर्मा, श्यामली देव पति अंजन देव ने खसरा नम्बर 198/577 रकबा.210 हेक्टेयर जमीन को सुनयना पति राजेश देवांगन को बेचा। जबकि रााजस्व अधिकारियों को अच्छी तरह से मालूम है कि समिति की जमीन को नीजि हाथों नही बेचा जा सकता है। हकीकत से कोसो दूर दस्तावेजी जमीन को सरकारी जमीन में भी नहीं बैठाया जा सकता है।

शिकायत कर्ता ने की कार्रवाई की मांग
शिकायत कर्ता ने कलेक्टर से मांग की है। गलत रिपोर्ट पेश होने के बाद जिला प्रशासन ने बैठायी गयी जमीन पर खरीदी बिक्री का आदेश दिया है। जबकि ऐसा करना सरासर अनुचित है। पटवारी को बचाने टीम ने अस्पष्ट रिपोर्ट पेश किया है।सीजीवालयह जानते हुए भी कि हेराफेरी में बिल्डर समेत राजस्व विभाग के करीब 37 लोग शामिल हैं। नए सिरे जांंच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

क्रमशः दूसरी कड़ी में पढ़ें कौन कौन जमीन शिफ्टिंग खेल के गुनहगार

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