विभाग कंगाल..अधिकारी मालामाल-(दो)

BHASKAR MISHRA
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 IMG-20160303-WA0010 new_adबिलासपुर–आपने सीजी वाल की पहली कडी विभाग कंगाल..अधिकारी मालामाल में बोदरी स्थित देशी और अंग्रेजी शराब दुकान की अवैध वसूली मतलब ओव्हर रेट का समाचार पढ़ा। आज दूसरी कड़ी में बिल्हा अंग्रेजी और देशी शराब दुकान में अवैध वसूली की बात को सामने रख रहे हैं।

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                            बिल्हा अंग्रेजी शराब दुकान कालेज रोड पर है। देशी शराब दुकान बरतोरी रोड पर है। दोनों दुकानों को सरकार चला रही है। मतलब आबकारी विभाग बिलासपुर के कर्मचारी बिल्हा शराब दुकान चला रहे हैं। दोनों दुकान से एक दिन की बिक्री करीब दो लाख रूपए है। 9 रूपए की दर से रोजाना आबकारी विभाग को तीस हजार रूपए ओव्हर रेट मिल जाता है। मतलब महीने का आंकड़ा नौ लाख रूपए या इससे अधिक हो जाता है।

                                                            सीजी वाल की टीम को बिल्हा स्थित अंग्रेजी शराब पर ग्राहकों ने बताया कि गोवा छोटी बोतल का प्रिंट 61 रूपए है लेकिन दुकानदार सत्तर रूपए में बेचता है। अलग-अलग ब्रैण्ड खरीदने वाले ग्राहकों ने बताया कि नम्बर वन, बैग पाइपर अन्य कीमती शराब के लिए उन्हें प्रिंट से 10 रूपए ज्यादा देना पड़ता है।  दुकान में बैठे आरक्षक ने बताया कि निरीक्षक से जैसा आदेश मिलता है..हम वैसा ही करते हैं। शाम को आबकारी निरीक्षक को दिन भर का हिसाब किताब देते हैं। उन्हें मालूम है कि किस शराब में कितना अधिक लिया जाता है। ओव्हर रेट के पैसे से उनका कोई लेना देना नहीं है।

       3                    दुकानदार की माने तो दिन भर में अस्सी हजार से एक लाख रूपए के बीच बिक्री होती है। इस दौरान दुकानदार शराब की बिक्री करता रहा। बातचीत के दौरान मालूम हुआ कि अब वह प्रिंट से सिर्फ तीन रूपया अधिक ले रहा है। उसने बताया कि चेंज का लफड़ा है। प्रत्येक बोतल पर सात रूपए का फायदा होते देख ग्राहकों ने पूछा कि क्या शराब का दाम कम हो गया है।

                                                    बरतोरी रोड स्थित बिल्हा देशी शराब दुकान में ड्यूटी पर तैनात आरक्षक श्रीवास ने बताया कि रोजाना एक लाख रूपए की बिक्री होती है। मार्जिन रेट निरीक्षक तय करता है। शराब खरीदने वालों ने बताया कि बोर्ड में सफेद शराब ..फौवा की कीमत 41 रूपए,अद्धी 51 और बोतल 162 रूपए लिखा है। लाल शराब की कीमत 51,106  और 206 रुपए है। लेकिन सभी में 5 से 9 रूपए अधिक लिया जाता है। आरक्षक श्रीवास ने बताया कि अतिरिक्त रकम हमारे जेब में नहीं जाता। निरीक्षक को पता रहता है कि ओव्हर रेट से आज कितना मुनाफा हुआ है।2

                                                                           सीजी वाल ने पाया कि ओव्हर रेट का खेल खुलेआम चल रहा है। बिल्हा स्थित अग्रेजी और देशी शराब दुकान से प्रतिदिन सरकारी खजाने में  दो लाख रूपए जमा होते है। यह आंकड़ा ऊपर नीचे भी हो सकता है। लेकिन प्रतिदिन दो लाख रूपए की शराब बिक्री पर ओव्हर रेट का तीस हजार और महीने का  9 लाख रूपए कहा जाता है किसी को पता नही हैं। इतना तय है कि यह राशि ट्रेजरी तक नहीं पहुंचती।

                                                                                                              जारी है………….

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