बिलासपुर।छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन ने स्कूल शिक्षा विभाग की स्कूली छात्रो के पढ़ने और शिक्षको के पढ़ाने की सबसे महत्वकांक्षी आन लाइन पढ़ाई लिखाई की योजना ‘पढ़ाई तुंहर द्वार’ की खामियों को बताते हुए इस योजना के विरोध का झंडा बुलंद कर दिया है। सीजीवाल को जानकारी देते हुए फेडरेशन के प्रान्तीय अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षा व्यवस्था में कोई भी प्रयोग करने से पहले अपने संसाधनों, भौगिलिक परिवेश , शैक्षणिक कैलेंडर पर व अपने आंकड़ों पर विचार विमर्श नही करते है। विदेशों की या दूसरे प्रदेशों की कोई भी योजनाओं को उठा कर सीधे कॉपी पेस्ट कर देते है। सीजी स्कूल डॉट इन का पढ़ाई तुंहर द्वार कॉपी पेस्ट करके इन्ही प्रयोगों से निकला हुआ असफल नमूना है। जिसे सफल बनाने के लिए विभाग के अधिकारी शिक्षको को डरा कर तमाम कागजी बंधनो बांध रहे है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
मनीष मिश्रा बताते है कि कोरोना के काल मे शिक्षक तीन मई से घर घर जाकर मध्यन भोजन का सूखा अनाज 29 लाख से अधिक छात्रो को बाँट कर आए है। कुछ जिलों हफ्ते में दो दिन सोया दूध पिलाने के लिए गांव की गलियों के चक्कर काट रहे है। शिक्षक से अधिक भू स्तर की जानकारी जिला मुख्यालयों में बैठे अधिकारीयो के पास भी नही होती है । प्रदेश के 140 ब्लॉक में लगभग आधे से अधिक ब्लॉक ट्राइबल क्षेत्र में आते है। जहाँ के शिक्षक जान लगा के पढ़ाते है तब बच्चे सिख पाते है।प्रान्तीय अध्यक्ष ने बताया कि सीजी स्कूल इन के पोर्टल से आन लाइन पढ़ाई सिर्फ शहरी व छोटे नगरी क्षेत्र कारागार हो सकती है। ग्रामीण इलाके में तकनीकी और आर्थिक दृष्टि से देखा जाए फिलहाल सम्भव नही है।उन्होने कहा कि जब से यह योजना लागू हुई है तब से इसका विरोध शिक्षक कर रहे है पर कोरोना काल के चलते सद्भावना वश इसका विरोध नही कर पा रहे थे परंतु अब शिक्षको के बीच ही इस आधी अधूरी पढ़ाई तुंहर द्वार योजना का हम विरोध करते है। यह योजना शहरी ओर निजी स्कुलो में जब सफल हो सकती है पर ग्रामीण अंचलो में यह असफल लगती है।
स्कूल शिक्षा विभाग वर्चुवल क्लास पर जोर दे रहा है पर गृह मंत्रालय की एडवाइजरी के बाद भी ज़ूम जैसे एप अब तक कोई निर्णय नही ले पाया है। विभाग अपनी मन मानी करके हजारों शिक्षको और कई छात्रो व पालकों के निजी डेटा से zoom के वतर्मान हालात पर छोड़ दिया है। भविष्य में साइबर अपराधी शिक्षक व पालकों के मोबाइल से कोई चीज चुरा लेते है तो नुकसान की भरपाई के लिए विभाग तो अपना पल्ला झाड़ लेगा। मनीष मिश्रा कहते है कि सीजी स्कूल इन एक गैर सरकारी डोमेन है। इस पोर्टल की वजह से प्रदेश के हजारों शिक्षको के मोबाइल का डेटा सरकार के द्बारा निजी संस्थानों के सर्वर में चला गया है। इसके भविष्य में दुरुपयोग नही होने को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग को सबसे पहले शिक्षको को भरोसे में लेना चाहिए।
प्रांतीय अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने बताया कि छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रमुख पदाधिकारियों में शुखनन्दन यादव,शिव मिश्रा, अजय गुप्ता, सीडी भट्ट, बलराम यादव,सिराज बक्श,दिलीप पटेल, कौसल अवस्थी, रविलोह सिंग, प्रेम लता शर्म, खिलेश्वरी सांडिल्य,छोटे लाल साहू हलेश चंद्राकर, बसन्त कौशिक, विकाश मनिकपूरी, उमा पांडे,अस्वनी कुर्रे, रंजीत बनर्जी, राजकुमार यादव, आदित्य साहू राजेश प्रधान,राजकुमार यादव,शिव सारथी बी पी मेश्राम इन सबका यही मानना है कि स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों के डेटा नेट पैकेज पर मुफ्त में डाका डालने का काम कर रहा है।दुकाल के समय अधिकतर शिक्षक करंट अपनी आवश्यकता के अनुसार नेट सुविधा पर खर्च करते हैं किंतु शिक्षा विभाग के रोज नए प्रयोगों पर यह खर्च 3 गुना हो गया है।
प्रांतीय पदाधिकारीयो का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने सर्वप्रथम शिक्षकों के लिए एंड्राइड मोबाइल हैंडसेट एवं वर्चुअल क्लास एक्सेस करने के लिए आवश्यक डेटा पैकेज अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना चाहिए। ई प्लेटफार्म पर पंजीयन के बाद 10 प्रकार के ग्रुप व्हाट्सएप्प और टेलीग्राम ज्वाइन करने और उनमें इंटरेक्शन की कवायद एक ही कार्य को बार-बार घुमा फिरा कर दिन भर समय की बर्बादी और बेमतलब दिमाग चलाने के अलावा कुछ नहीं है। शासन पहले या निर्णय कर ले कि किस प्लेटफार्म पर सभी सुविधाएं सिंगल विंडो के अंतर्गत उपलब्ध होंगी।जिस पर अध्ययन अध्यापन का कार्य किया जाना है। पढ़ाई तुंहर द्वार कार्यक्रम जबरदस्ती नही थोपा नही जाना चाहिए।