शिक्षकों को क्यों नहीं मिल रहा फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स का दर्जा ….?

Chief Editor
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बिलासपुर(मनीष जयसवाल)वैश्विक महामारी कोरोना के इस काल में पूरा विश्व कोरोना के कहर से जूझ रहा है। कोरोना वारियर्स इस बिमारी के रोकथाम व बचाव के लिए देश और प्रदेश के समस्त जिले और गांवों तक अपनी।सेवाए दे रहे है। सरकारी अमला अपनी जान जोखिम में डालकर देश व प्रदेशवासियो के जीवन की रक्षा कर रहा है । शिक्षक शिव सारथी बताते है कि कोरोना कार्य से जुड़े कर्मचारियों के इस कार्य के लिए केंद्र सरकार के द्वारा मेडिकल स्टॉफ, सफाईकर्मी, और आशाकर्मियों को ही फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर का दर्जा देकर संक्रमण की स्थिति में जान गवाने पर 50 लाख जीवन बीमा का लाभ दिया गया है बाकी कर्मचारियो के लिए न कोई संसाधन की व्यवस्था है न रिस्क कवर है। राज्य सरकार भी प्रदेश के अन्य कर्मचारियों के साथ शिक्षको को भी बिना सुविधा और संसाधन दिए लगातार कोरोना वर्कर के रूप में सेवाएं ले रही है। इसलिए शिक्षको को भी मिले फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर का दर्जा  मिलना चाहिए।CGWALL NEWS के whatsapp ग्रुप से जुडने , यहाँ क्लिक कीजिये

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शिव सारथी का कहना है कि राज्य सरकार के दिये टास्क पर खरे  उतरते हुए कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर से ही प्रदेश के लाखों शासकीय शिक्षक इस महामारी को टक्कर देते आ रहे है फिर व चाहे सरकार की सरकारी योजना मध्यान भोजन का सूखा राशन वितरण हो,पुस्तक, ड्रेस वितरण हो या जिला बार्डर पर बेरियर में दिन रात ड्यूटी करना , प्रवासी मजदूरों को रेल्वे स्टेशन से कोरेन्टीन सेंटर तक सुरक्षित पहुँचाना हो,वहाँ उंसकी स्वास्थ्य सहित खाने पीने की व्यवस्था के साथ पेट्रोल पम्प में भी आने जाने वालों की डेटा एकत्रित करने का भी काम शिक्षको ने ही सम्भाल,कोरोना सर्वे कार्य में भी बढ़चढ़ कर भूमिका निभाए है  इसके बावजूद प्रदेश की राज्य सरकार शिक्षको की कोई सुध नही ली ।

सारथी बताते है कि  है मैं स्वयं कोरोना फ्रंटलाइन वॉरियर का कार्य किया हूँ।  फील्ड पर शिक्षको को शासन से मिलने वाली सुविधाओं का अनुभव अच्छा नही रहा है।  इन्ही अव्यवस्थाओं  की वजह से प्रदेश के तीन शिक्षक अपने कर्तव्य का निर्वाह करते कोरोना संक्रमण से जान गवा बैठे पर शासन,प्रशासन इसे सामान्य मौत मानकर चुप्पी साध लिया है जबकि दिल्ली की राज्य सरकार ने अपने एक महिला शिक्षिका की इस बीमारी से मौत पर उनके आश्रितों को बकायदा 1 करोड़ का क्षतिपूर्ति दिया है।ऐसा नही है कि राज्य का शिक्षक इसके लिए शासन से माँग नही किया बल्कि समस्त शिक्षक संगठनों के द्वारा शुरुवाती दिनों से ही निरन्तर बीमा सहित संशाधन की पुरजोर माँग करता आ रहा है।

जो शासन तक पहुँच तो रहा है पर शायद उन्हें सुनाई और दिखाई नही देता तभी तो आज तक खामोशी की चादर ओढ़े बैठा है और तीन मौत से भी जाग नही आपा इसके बावजूस शिक्षक कोरोना ड्यूटी के साथ बच्चों के शिक्षकीय व्यवस्था में पूरी तन्मयता से लगा हुआ है और इस महामारी में विभिन्न प्रकार से शैक्षणिक कार्य को नये-नये तरीके खोजकर अंजाम दे रहा है जैसे ऑनलाईन क्लास,मोहल्ला क्लास,हलो गुरुजी,मिस्ड कॉल गुरु जी लाउडस्पीकर क्लास के जरिये शिक्षा का अलख जगाया हुआ है ताकि स्कूली बच्चों में पढ़ाई की तारतम्यता बनी रहे।

शिव सारथी का कहना है कि इतना सब होने के बाद भी बावजूद शिक्षक मन यह अनुभव करता है कि इस महामारी के दौर  मेहनत शिक्षको ने मेहनत बहुत की है पर  शासन और समाज से उतनी दाद उन्हें नही मिली मैंने कई बार प्रदेश के मुखिया के मुख से कोरोना वॉरियर के बारे में उनके उध्बोधन में तारीफ सुना है यहाँ तक शासकीय विज्ञापन भी देखा है पर शिक्षको के कार्यो की तारीफ तो दूर उनका उल्लेख भी नजर नही आया यहाँ तक कई सामाजिक संस्था और राज्य के राजनैतिक पार्टी भी कोरोना कर्मवीरों का सार्वजनिक सम्मान करते आया है जिसमें से शिक्षको की उपस्तिथि नजर नही आया जो काफी निराशाजनक है इससे निश्चित ही शिक्षको के कार्य क्षमता को प्रभावित करता है क्योकि अच्छे कार्य का प्रोत्साहन और ईनाम दिनों मिलना चाहिए जिससे वे अछूते है जो कि शासन की बेईमानी ही है। इसलिए राज्य शासन से एक बार पुनः माँग है कि हम शिक्षको को बीमा सहित संशाधन और सम्मान सभी कुछ देवे साथ ही शिक्षक संगठन भी कम से कम सार्वजनिक तौर पर अपने शिक्षक साथियो का कोरोना वॉरियर के रूप में सम्मान कर उनका आत्मबल बढ़ा सकता है।

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