शिक्षक दिवस विशेष: पढ़िए महिला शिक्षकों की जुबानी-कैसे मिलेगा सम्मान..?

Chief Editor
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(मनीष जायसवाल)डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले को देश की पहली महिला शिक्षक के रूप में जाना जाता है, उन्होंने महिलाओं की शिक्षा में  क्षेत्र महत्वपूर्ण योगदान दिया था।  प्रदेश की महिला शिक्षके उनका प्रतिनिधितव करती हुई छात्रो के मानसिक और बौद्धिक विकास में अपना योगदान दे रही है । हर साल की  भाँति इस वर्ष शिक्षक दिवस बड़ी बड़ी बातों के साथ बीत जाएगा कोरोना काल की वजह से  छात्रो और शिक्षकों का मिलन नही होगा जिस वजह से शिक्षक दिवस थोड़ा फीका जरूर रहेगा यह दिन हर वर्ष की भांति यादों में सिमट जायेगा। अविभाजित मध्यप्रदेश से अब तक छत्तीसगढ़  की महिला शिक्षको ने बहुत कुछ खोया है तो हजार से पचास हजार का सफर भी तय किया है।पित्तसत्तात्मक समाज मे महिला शिक्षको के योगदान को फिर भुला दिया जाएगा। शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रदेश की महिला शिक्षको के उनसे जुड़े  हक और दावों को तलाशते हुए मात्र शक्ति की दिशा और दशा की महिला  शिक्षको की जुबानी पाठको के सामने लाने का एक प्रयास ह…CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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संयुक्त शिक्षाकर्मी संघ सुरजपुर से जुड़ी ममता मंडल का कहना है कि एक महिला शिक्षक घर के किचन से  कक्षा के ब्लैक बोर्ड  तक दोहरी की दिनचर्या की भूमिका से बंधी हुई है।   बस, ट्रेन के रोजना धक्के और कभी रास्ते में पंक्चर स्कूटी.. तो कभी उसका खराब हो जाना … मुख्य सड़क से सुनी पगडंडियों होते स्कूल तक पैदल अकेले आना जाना इस दौरान मन मे तरह तरह के अच्छे और बुरे ख्याल आना… आम महिला शिक्षको के लिए स्कूल लगने के दौरान रोजाना  जीवन का हिस्सा है। गैर शिक्षकिय कार्य परशासन के हर आदेश का पालन अविभाजित मध्यप्रदेश से करते आ रहे है। हक दावों के लिए कस्बे से लेकर शहर तक.. की महिला  शिक्षको ने अब तक हुए आंदोलनो में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। ब्लॉक से लेकर राजधानी तक हर शिक्षक संघ और शिक्षक पदाधिकारियों ने इस मात्र शक्ति की ताकत को शिक्षक आंदोनलो में  महसूस किया है। 

ममता मंडल का कहना है कि बहुत सी महिला शिक्षिकाएं बताती है कि खुद को साबित करने के लिये परिवार के विरोध के बावजूद दूसरे जिलों में बीहड़ से अंचल सेवा की  शिक्षा कर्मी बन मामूली से वेतन से शुरवात की कम तनख्वाह और शिक्षक की जगह शिक्षाकर्मी का संबोधन..  जिला पंचायत की चाकरी के अन्य काम  कई बार करता कि नौकरी छोड़ दी जाए। भविष्य  को देखते हुए और खुद के पैरों में खड़े होने वजह से व्यवस्था का  आक्रोश अंदर ही अंदर दब जाता था।आक्रोश को हक की लड़ाई में बखूबी निकाला भी है। संविलियन का आंदोलन गवाह है।

 संविलियन के बाद समाज मे एक सम्मान मिला है। एक पहचान बनी है। कोरोना काल के इस दौर  मे भी महिला शिक्षको ने अपना योगदान दिया है। चूंकि अभी स्कूल बंद है। फिर भी शिक्षकिय कार्य से कुछ शिक्षक स्कूल जा रहे है।  प्रशासन नेगर्भवती और स्तनपान करने वाली  शिक्षिकाओ को बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण कार्य रहने पर ही कोरोना काल मे शाला बुलाया जाना चाहिए।  महिला शिक्षको की समस्याओं को निदान प्राथमिकता के साथ होना चाहिए.रायपुर से  शिक्षा कर्मी संघ से जुड़ी महिला शिक्षक नेता गंगा पासी का कहना है कि महिला शिक्षकों का जीवन स्कूल की घंटी बजने के समय के अनुसार शुरू होता है से अधिक समस्या सुबह सात बजे लगने वाले स्कूलों की है।  जिस महिला शिक्षक का जितना बड़ा परिवार..  जितना घर से दूर स्कूल..  उनके साथ उतनी बड़ी समस्याऐ है।  नगरीय निकाय और पंचायत दोनो यही समानता है।  पहाड़ी और वनाच्छादित क्षेत्रों में मौसम का कहर किसी से छुपा नही है। महिलाओं की  जीवनचर्या सुबह चार  औऱ पांच बजे के दरमियान शुरू होती है घर से बस स्टॉप या रेल्वे स्टेशन या स्कूटी की सवारी से तमाम भागम भाग स्कूल की घंटी बजने से पहले तक को रहती है। दिन काफी हड़बड़ी भरा रहता है। शिक्षकिय पेशा और आत्मनिर्भरता … रोजना की तमाम  परेशानियों के आगे गौण हो जाती है। शिक्षक दिवस पर महिला शिक्षको के इस पहलू को भी आम जनों को समझना होगा। 

बेमेतरा से नवीन शिक्षा कर्मी संघ की महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष उमा जाटव का कहना है कि पूर्व औऱ वतर्मान सरकार ने महिला शिक्षको के सामाजिक बदलाव का अध्यन नही किया जिसकी वजह से अब तक महिलाओं के लिए कोई ठोस स्थानांतरण नीति नही आई है। प्रदेश की अधिकांश महिला शिक्षकों का विवाह शिक्षाकर्मी बनने के बाद हुआ जिस वजह से जिस वजह से साल  दस महीने अधिकांश महिला शिक्षक अपने परिवार से दूर रहती है। शिक्षक दिवस पर इस विषय पर चिंतन…  विभाग के रणनीतिकारों को करना चाहिए यही सबसे बड़ा इस वर्ष का शिक्षक दिवस पर दिल से सम्मान होगा ।

हक दावों की बात करते हुए शालेय शिक्षा कर्मी संघ से प्रदेश अध्यक्ष  वीरेंद्र दुबे की धर्मपत्नी  व्यख्याता स्मृति दुबे 2018 का मोर्चा के संविलियन आंदोलन की घटना को याद करते हुए कहती है कि मेरे शिक्षक पति वीरेंद्र दुबे की गिरफ्तारी के बाद जिन हालातो का सामना मैंने किया वह ईश्वर किसी को न दिखाए उस कालरात्रि को मानसिक रूप से बहुत कुछ सहा है। आंदोनल का हिस्सा बनने और संविलियन होने  के बाद पूर्ण शिक्षक का दर्जा मिला है। यह प्रदेश की हजारों महिला शिक्षको की हक की लड़ाई का स्वर्णिम इतिहास बन गया हैं जिसे बनाने में प्रदेश की महिला शिक्षको का महत्वपूर्ण योगदान है। यह शिक्षक दिवस   उस योगदान को याद कर सभी महिला शिक्षको को समर्पित करती हूँ।

टीचर एसोशिएशन से जुड़ी महिला शिक्षक नीलिमा पाठक का कहना है कि महिला शिक्षको को अन्य कर्मचारियों के जैसे प्रसूति अवकाश व दो वर्ष का चाइल्ड केयर लिव मिलने लगा है। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना होगा इस वर्ष महिलाओं शिक्षक दिवस पर उनकी बहुत सी समस्याओ से जुड़े विषयों के निदान के लिए कमेटी गठन होनी चाहिए।कुछ महिला शिक्षक स्कूल शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव को धन्यवाद भी देती है उनका कहना है कि  बहुत सी महिला शिक्षक  इंटरनेट  के कई तकनीकी पहलुओं से अनभिज्ञ थी पढ़ाई तुंहर द्वार  शिक्षकों को वाट्सएप , फेसबुक आगे लेकर गया है। शिक्षा के क्षेत्र के नए डिजिटल आयामों से परिचित हुए है। जो शिक्षण, मनन,चिंतन में भी काम आने वाले है।

सीजीवाल की कुछ महिला शिक्षको से हुई चर्चा में एक जुमला सामने भी आया कि…  नौकरी नही कर सकते तो छोड़ दो कोई और कर लेगा ….. ट्रांसफर और स्कूल से जुड़ी अव्यवहारिक समस्याओं को जब  भी ऊपर अपनी बात रखी तो …. ऊपर वालों ने यह लाइन किसी न किसी बहाने से सुनाई जरूर है। और उन्हीं के मुंह से शिक्षक दिवस पर कसीदे भी सुने है। ट्रांसफर चाह रही शिक्षिकाओं का मानना है कि पूर्व में  पंचायत और अब स्कूल शिक्षा विभाग की स्थानान्तरण नीति दोष पूर्ण रही है। दोनो सरकारो ने स्थानान्तरण नीति में  आम महिला शिक्षको के लिए कुछ नही किया दोनो के वीआईपी कल्चर को महत्व देने की वजह जरूरत मंद आम शिक्षक इस व्यवस्था से दूर रहे है।  विधवा महिला  पर भी यही नीति रही है। इसके अलावा अधिकांश मामलों में ना तो कोई जांच ना तो कोई शिकायत … प्रशासनिक आधार पर महिला शिक्षकों का स्थानांतरण अत्याचार ही हुआ है।  पास को दूर तो दूर को पास करने का खेल हुआ है। शासन प्रशासन चाहे तो मामलों को संज्ञान  में लाकर…  महिला शिक्षकों के साथ न्याय कर सकता है।   यही शिक्षक दिवस पर महिला शिक्षको पर विशेष रहेगा..

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