शिक्षाकर्मियों का बकाया एरियर्स..तारीख-पर-तारीख के बाद अब प्रदेश सरकार के नए बजट पर नज़र

Shri Mi
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(मनीष जायसवाल)राज्य के बजट से पूर्व शिक्षा कर्मीयो के बकाए एरियर्स पर शासन की ओर से कोई ठोस पहल नही नजर आ रही है। जिससे शिक्षक समुदाय निराश है।  जिसकी बड़ी वजह पंचायत विभाग की कार्य शैली है।…..आखिर क्या कारण है कि ग्राम पंचायत की गलियों की सी.सी. रोड ….. शहर की गलियों की सी.सी. रोड से गुणवत्ता के मामले खराब रहती है। जबकि दोनो सड़क में प्रयोग होने वाली तकनीक व कंक्रीट का ग्रेड लगभग एक जैसा रहता है। इस सवाल का पंचायत विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग से संबंध भले न हो पर यह दोनो सीमेंट कंक्रीट की सड़क पंचायत एवं शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों की दशा का बोध अवश्य कराता है. सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

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यह संविलियन के बाद और संविलियन के पहले शिक्षकों के वेतन भत्तों पर विभागों की कार्यप्रणाली का एक उदाहरण है।  पंचायत विभाग में रहते हुए  ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था  को आधार देता शिक्षक पंचायत,शिक्षाकर्मी का जीवन संविलियन के बाद थोड़ा खुशहाल हुआ है। तनख्वाह नियमित हुई है वहीं जो संविलियन से वंचित है उनका जीवन अभी भी उधार में बीत रहा है। 

नए साल 2020 के तीसरे दिन सँयुक्त संचालक पंचायत संचालनालय  विभाग से जारी हुए  एक आदेश के मुताबिक समस्त जिला पंचायत कार्यलयों के  लेखा अधिकारीयों को तीन दिन के भीतर आठ साल की सेवा पूर्ण कर चुके शिक्षक पंचायत जिनका पुनरीक्षित वेतनमान का एरियर्स लंबित है प्रपत्र में  भरकर  हर शिक्षक के  गणना पत्रक के साथ स्वयं उपस्थित होने का फरमान जारी हुआ था।

आदेश जारी होने के बाद शिक्षक संघ के नेताओ ने  अपनी पीठ ठोकनी शुरू कर दी … जिसकी वजह से आम शिक्षकों को भी लगा अब एरियर्स मिल ही जायेगा.शिक्षक नेताओ के दावों को देख एरियर्स पाने वालों ने अपने मिलने वाले एरियर्स पर रेत के महल खड़े करना शुरू कर दिया।  कोई नई एक्टिवा लेना चाहता था…. कोई नया मोबाइल…. तो कोई लैपटॉप लेने का मन बना रहा था …! 

कई शिक्षक सोने के बढ़ती हुई कीमत को ध्यान में रखते हुए सोना खरीदने का मन बना चुके थे। वही निम्न से  उच्च पद में गए शिक्षाकर्मी मकान के लिए प्लाट भी खरीदने का सपना संजोए हुए है। व्यापारी के नजरिये से  एरियर्स से बाजार थोड़ा गुलजार हो सकता था। व्यापारी भी मालामाल हो सकता था …। 

जैसा कि शिक्षा कर्मीयो के भाग्य में पंचायत विभाग ने जो बेचारा …. लिखा हुआ है ठीक वैसा ही कुछ होता नजर आ रहा है।  संजोए हुए सपने पर रेत में बने महल की दीवार गिरनी शुरू हो गई….!  पंचायत विभाग का तीन दिनों वाले आदेश के ठीक एक महीने बाद भी स्थिति जस की तस है। महीने भर बाद भी पंचायत विभाग  कोई ठोस निर्णय नही आया है … जिससे यह साबित होता नजर आ रहा है कि पंचायत विभाग शिक्षको के एरियर्स पर कितना सजग है।

… यही हाल संविलियन से वंचित शिक्षा कर्मीयो के मासिक वेतनमान का  है। यह आबंटन जिला पंचायत के खाते औऱ बैक के मध्य फसा हुआ है। पंचायत विभाग से कभी भी वेतन का नियमित भुगतान नही हुआ है। हर महीने बजट आंबटन का रोना रोया जाता रहा है। यदि आंबटन  मिल भी जाये तो शिक्षको के खाते में एक दो माह बाद ही पैसे आते है। करोड़ो के आंबटन राशि पर ब्याज जिला पंचायत के खाते में जाते है। 

शिक्षक बताते है कि । एरियर्स पर भी ऐसा ही हो रहा है पंचायत विभाग अगर चाहती तो शिक्षको के एरियर्स को अगर हर महीने पांच पांच जिलों में भी निपटारा करती तो अब तक सभी जिलों में एरियर्स मिल चुका होता और शासन पर एकाएक भार भी नही पड़ता। लेकिन विभाग अपने ढर्रे पर ही चलता है। विभाग का कार्यप्रणाली की सोच यह है कि काम होते रहने चाहिए फिर चाहे वह कागजी ही क्यो न हो ..! 

शिक्षक  यह भी मानते है कि शिक्षा कर्मीयो के अर्जित लाभ से जुड़ा एरियर्स ऐसा मामला है, जो सार्वजनिक है। हर शिक्षक कर्मचारी को पता है। पंचायत विभाग व स्कूल शिक्षा विभाग के आय व्यव के दस्तावेजों में दर्ज हो चुका है। यह लगभग आधे शिक्षको को यह मिल चुका है आधे शिक्षक जो चढ़ावा नही चढ़ाए उन्हें अटका दिया गया है…..!

ज्ञात हो कि एक फरवरी 2020 को अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी एक आदेश में निम्न से उच्च पद में पदस्त शिक्षक पंचायत संवर्ग को उनकी सेवा अवधि की लंबित पुनरीक्षित वेतनमान की राशि एरियर्स के रूप में देने के लिए समस्त जिला पंचायत को निर्देश दिया गया है। जिसमे की उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले शिक्षको प्रथमिकता देने व आंबटन उपलब्ध न होने पर न्यूनतम टोकन राशि देने का निर्देश दिया है शेष राशि के लिए बजट आबंटन उपलब्ध होते ही दिये जाने का निर्देश भी दिया है।

बताते चले कि संविलियन के बाद शिक्षा कर्मी अब पंचायत विभाग छोड़ स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारी बन गए है लेकिन संविलियन में हुई जल्दी बाजी की वजह से हजारों शिक्षक का बकाया अर्जित लाभ का एरियर्स पंचायत विभाग के पास जमा है। जिसे देने में पंचायत विभाग आनाकानी कर रहा है। और आबंटन का रोना रो रहा है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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