शिक्षाकर्मियों की ओर से तेज हुआ -सोशल मीडिया वार…..बीजेपी नेताओँ- मंत्रियों के 15 साल पुराने पत्र फिर हो रहे वायरल

Chief Editor
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रायपुर  ।  सरकार की ओर से बार-बार वादाखिलाफी किए जाने से नाराज छत्तसीगढ़ के शिक्षा कर्मियों ने अब अपनी आखिरी लड़ाई शुरू कर दी है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार   पर दबाव बनाने के लिए 26 मई को प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में संविलयन संकल्प सभा के आयोजन की बड़ी तैयारी की गई है। जिसके जरिेेए वे प्रदेश के सभी तबके के लोगों तक यह बात पहुंचाने की कोशिश में हैं कि उनकी समस्याएं और माँगे क्या हैं और सरकार ने किस तरह से उनके साथ छलावा किया है।

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इ सिलसिले में संकल्प सभा के पहले शिक्षा कर्मियों ने सोशल मीडिया पर वार तेज कर दिया है और ऐसे पोस्टर वायरल किए जा रहे हैं, जिससे शिक्षा कर्मियों की पूरी कहानी लोगों की समझ में आ सके।

सोशल मीडिया पर शिक्षा कर्मी एक  बार फिर से सरकार में बैठे मंत्रियों और संगठन के नेताओँ के पत्रों को वायरल कर रहे हैं। जिसमें उन्होने विपक्ष में रहते हुए सरकार से शिक्षा कर्मियों की माँगें पूरी करने का अनुरोध किया था। जिसमें प्रदेश सरकार के मंत्री पुल्लूलाल मोहले, अजय चँद्राकर, सहित धरम लाल कौशिक , रामविचार नेताम, गणेश राम भगत, नंद कुमार साय जैसे नेताओँ के पत्र शामिल हैं।

इसी तरह इतिहास के पन्नों और खबरों के झरोखे से अखबारों की कटिंग के जरिए मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह की ओर से दिसंबर 2007 में रायपुर के सुभाष स्टेडियम में की गई संविलयन की घोषणा की याद दिलाई गई है। इस कटिंग में जाहिर हो रहा है कि शिक्षा कर्मियों को संविलयन की सौगात दी गई है। इसी तरह 2001 से 2017 तक बनाई गई कमेटियों का ब्यौरा भी  दिया गया है। जिसमें यह भी कहा गया है कि हर एक कमेटी का परिणाम शून्य रहा और किसी कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई ।

शिक्षा कर्मियों की ओर से 20 साल के संघर्ष का इतिहास बी दर्शाया गया है। जिसमें बताया गया है कि शिक्षा कर्मियों ने कितने आँदोलन किए कब-कब वेतनमान,अँतरिम राहत और विसंगतिपूर्ण पुनरिक्षित वेतनमान दिया गया । सरकार ने क्या आश्वासन दिया , जिसे कभी पूरा नहीं किया। शिक्षा कर्मियों की स्थिति और समस्य़ाओँ को भी हाईलाइट किया गया है। जिसमें अनुकंपा नियुक्ति, वेतन विसंगति, ,स्थानांतरण , वेतन, क्रमोन्नति, समयमान, मंहगाई भत्ते ., चिकित्सा, गृह भाड़ा, एरियर्स, सीपीए कटौती आदि का ब्यौरा दिया गया है। साथ ही यह साफ किया गया है कि एक ही मिशन है…. संविलयन….। जो संविलयन का काज करेगा … छत्तीसगढ़ पर राज करेगा …. लिखा गया है। उन्होने यह भी लिखा है कि संविलयन क्यों जरूरी है। यह केवल वेतन का ही नहीं …. सुविधाओँ और बराबरी का भी मुद्दा है। अपनी संविलयन सभा के पहले शिक्षा कर्मियों ने सोशल मीडिया पर वार तेज कर आम लोगों तक अपनी बात प्रभावी ढ़ंग से पहुंचाने की कोशिश की है।

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