शिक्षाकर्मियों के तबादले को लेकर पहल क्यों नहीं..? केदार जैन बोले – बजट नहीं , दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत

Shri Mi
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रायपुर।प्रदेश के बहुत से शिक्षक परिवार से दूर तनाव में  स्कुलो में पढ़ा रहे है यह ये सबको पता है।फिर भी इस ओर कोई पहल सरकार की ओर से अब तक सामने नही आई है। छत्तीसगढ़ के स्थानान्तरण चाह रहे शिक्षा कर्मियो के लिए बेहद  चिंता का विषय है। जिससे पूर्व और वर्तमान की सरकार अंजान नही है। संविलियन के बाद  इस कार्य के लिए कोई बजट नही चाहिए कोई विशेष गुण भाग करने की जरूत नही है। बस सिस्टम में इसे लिया जाना चाहिए ..! सीजीवालडॉटकॉम के WhatsApp ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे

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जल्द ही संविलियन का राजपत्र में प्रकाशन किया जाना चाहिए ..!  शिक्षा कर्मीयो के संविलियन में खुली स्थानान्तरण नीति का प्रावधान है। चूंकि अब जिनका संविलियन हो चुका है, वे राज्य सरकार के कर्मचारी है। इसलिए शिक्षको के स्थानान्तरण में कोई समस्या नही होनी चाहिए सरकार को बस दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाने की जरूत है।

यह प्रेस नोट जारी करते हुए प्रदेश के संयुक्त शिक्षा कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष केदार जैन ने बताया कि शिक्षक एक कल्याणकारी राज्य की नींव रखने वाले सबसे अहम किरदार है। कल्याणकारी राज्य में  असंतुष्ट शिक्षक की कल्पना नही की जा सकती है। मेरे प्रदेश के सभी संवर्गो के बहुत से साथी शिक्षाकर्मी   स्थानान्तरण के लिए सालो से आस लागये बैठे है।

पूर्व की सरकार ने इसे लागू करते करते बड़ी देर कर दी है। वर्तमान की भूपेश बघेल की सरकार स्थानान्तरण चाह रहे शिक्षको की संवेदना समझे और तत्काल इसे सिस्टम ले कर स्थानान्तरण नीति पर कोई ठोस निर्णय ले।

केदार जैन ने बताया कि प्रदेश में स्थानान्तरण की सबसे बड़ी जरूरत प्रदेश की महिला शिक्षको को है। मोर्चा के संविलियन आंदोलन के दौरान महिला शिक्षको ने जो रमन सरकार के दमन के सामने साहस का परिचय दिया वो किसी से छुपा नही। इसलिए उनके हक की आवाज उनके स्थानान्तरण को हमने मोर्चों में आठ मांगों में प्रमुखता से रखा था। जिसे रमन सरकार स्वीकार किया था।

शिक्षक नेता केदार ने बताया ऐसा नही है कि स्थानान्तरण पुरुषों शिक्षको को नही चाहिए प्रदेश में खासकर वर्ग तीन के बहुत से शिक्षक जो सिस्टम की वजह से  वेतन विसंगति के शिकार है।वो सबसे कम तनख्वाह में भी में प्रदेश के बीहड औऱ गाँवो बड़े शहरों में शिक्षा की अलख जगा रहे है। महीनों घर नही जा पाते है। बड़ी मुश्किल से गुजर बसर कर रहे है।

जबकि थोड़ा सा सिस्टम सरल हो जाय तो ये शिक्षक गाँव शहर से नजदीक आ सकते है। अपने परिजनों का साथ पा सकते है। जिसके लिए सरकार सरल हो जाय और  शिक्षको के संविलियन को  राजपत्र प्रकाशन कर खुली स्थानान्तरण नीति पर अपनी अंतिम मुहर लगा कर प्रदेशके शिक्षक संवर्ग की संवेदनशीलता को समझने का परिचय दे।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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