रायपुर। संविलियन सहित अन्य मांगों के पूरा होने का इंतज़ार कर रहे प्रदेश के हजारों शिक्षाकर्मियों को निराश हाथ लगी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को पहला बजट पेश किया। लेकिन इस बजट में शिक्षाकर्मियों की संविलियन सहित अन्य मांगों का कोई जिक्र नहीं किया गया है। शालेय शिक्षाकर्मी संघ ने प्रदेश सरकार के पहले बजट को शिक्षाकर्मियों के लिए निराशाजनक बताया है।सीजीवालडॉटकॉम के WhatsApp ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे
संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि प्रदेश के हज़ारों शिक्षाकर्मी बजट का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि बजट में उनके लिए प्रवधान किया जाएगा,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि चुनाव से पहले संविलियन सहित अन्य कुछ मांगों को पूरा करने का वादा कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में भी किया था। जिस पर अब तक कोई अमल नही हो पाया है।
वर्तमान बजट में भी कुछ नही किया गया है। जबकि इस बजट से शिक्षाकर्मियों को काफी उम्मीदें थी। इससे प्रदेश के शिक्षाकर्मी निराश व हताश हो गए हैं। शिक्षाकर्मियों में आक्रोश पनप रहा है।
कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी व प्रदेश महासचिव धर्मेश शर्मा ने कहा कि पहले की सरकार ने संविलियन के लिए 8 साल की सेवा अनिवार्य कर दी थी। जिसका शिक्षाकर्मियों ने तीखा विरोध जताया था।
नई सरकार बनने के बाद से ही शालेय शिक्षाकर्मी संघ द्वारा सरकार से लगातार संविलियन के लिए वर्ष बंधन समाप्त करते हुए समस्त शिक्षाकर्मियों का संविलियन करने की मांग करते आ रहे थे। पिछले दिनों शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे सहित अन्य संघ के प्रदेश अध्यक्षों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर संविलियन सहित अन्य प्रमुख मांगों को प्रमुखता से रखा था। मुख्यमंत्री ने शीघ्र ही सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन बजट में कुछ भी नही किया गया।
प्रदेश प्रवक्ता गजराज सिंह राजपूत ने कहा कि शिक्षक/शिक्षाकर्मियों की प्रमुख मांग समस्त शिक्षाकर्मियों का संविलियन, क्रमोन्नति, अनुकंपा नियुक्ति, पुरानी पेंशन बहाली, पदोन्नति, स्थानांतरण, वेतन विसंगति दूर करना आदि है। इसमें से कुछ मांगों को कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव जन घोषणा पत्र में शामिल भी किया था। लेकिन इनमें से किसी भी मांग पर अब तक सरकार द्वारा कोई निर्णय नही लिया गया है। जिससे प्रदेश के शिक्षाकर्मी ठगा सा महसूस कर रहे हैं।