बिलासपुर।शिक्षाकर्मीयो के स्थान्तरण के मूददे पर कांग्रेस सरकार की चुप्पी समझ से परे नज़र आ रही है। यह आरोप लगाते हुए प्रदेश की सबसे धाकड़ महिला शिक्षाकर्मी नेता गंगा पासी से बताया कि शिक्षाकर्मीयो स्थान्तरण बहुत ही छोटा विषय है। इसे पूर्व की सरकार ने बहुत बड़ा बना कर रखा है। अब एक लाख से अधिक शिक्षको का तो संविलियन भी हो गया है। अब स्थांतरण में कोई समस्या नही होनी चाहिए। शिक्षा विभाग को जल्द ही इस महत्वपूर्ण विषय पर गाइड लाइन जारी करना चाहिए- सीजीवालडॉटकॉम के whatsapp ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे
गंगा ने बताया प्रदेश के हजारों शिक्षा महिला शिक्षक परिवार से दूर वनवास काट रहे है। प्रदेश की ज्यादातर महिला शिक्षाकर्मी बेटियाँ जिनकी शादियां हो चुकी है। ससुराल की जगह मायके के संरक्षण में रह रही है। जिसकी वजह पूर्व सरकार की ट्रांसफर नीति है। सरकार की इस व्यवस्था से परिवार ने अलगाव की स्थिति है। पति पत्नी आज एक दूसरे से दूर रह रहे है। भूपेश सरकार इस दर्द को अपनी बेटियों का दर्द समझे और इस समस्या का तत्काल निराकरण करे।
अपनी बेबाक राय रखने वाले बिलासपुर के शिक्षाकर्मी नेता आलोक पांडेय ने इस विषय पर अपनी राय रखते हुए बताया कि प्रदेश के पुरुषों के साथ भी स्थान्तरण बड़ी समस्या है। खुद का घर छोड़ किराये के घर मे रह रहे है। हालाकि की यह शिक्षक बनने का रास्ता हमने खुद चुना है। शिक्षक बनना गर्व का विषय है। इस लिए कोई अफसोस नही है कि हम किराये के घर मे रहे या घर से दूर रहे।
अफसोस इस बात का होता है कि प्रदेश में एक लाख अस्सी हजार शिक्षा कर्मीयो का संख्याबल मौजूद है पर जब भी स्थान्तरण की बात आती है तो हमसे सौतेला व्यवहार हुआ है। सभी विभागों में स्थांतरण की व्यवस्था है तो इस विभाग में क्यो नही बरकार नही है।
आलोक ने बताया कि शिक्षा कर्मी की नोकरी के शुरुआती दौर में तो इतनी भी तनख्वाह नही थी कि अपने गृह ग्राम से दूर दूसरे जिले में किराये का मकान लेकर अपना जीवन यापन सुचारू रूप से चला सकते थे। परिवार ने चावल से लेकर पूरा राशन और आर्थिक मदद की है। तब जा कर इस नॉकरी में निभ पाए है। खुली स्थान्तरण नीति से शिक्षको को लाभ ही लाभ है।