बिलासपुर।संविलियन के बाद प्रदेश के शिक्षाकर्मियों को बड़े लंबे समय के बाद खुली स्थानांतरण नीति का लाभ प्रदेश के शिक्षकों के लिए एक अच्छी सौगात है। लेकिन महिला शिक्षकों को इसमें प्राथमिकता नहीं दी गई है। यह थोड़ा निराशाजनक स्थानांतरण नीति है ।प्रदेश की ज्यादातर महिला शिक्षको ने पंचायत विभाग में शिक्षा कर्मी से नौकरी की शुरुवात विवाह पूर्व की थी।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
इसकी वजह से प्रदेश की अनेक महिला शिक्षक अपने गृह जिले अपने मायके में ही शिक्षक के रूप में नौकरी कर रही है।स्थानांतरण में प्रथामिकता नही मिलने औऱ पूर्व सरकार की आधी अधूरी स्थानांतरण नीति की वजह से प्रदेश की महिला शिक्षक अपने ससुराल के समीप नही जा पाई है।
प्रदेश की महिला शिक्षक आज दो नावों पर सवार है। एक नाव जहां महिला शिक्षक का कार्यक्षेत्र वही दूसरी नाव ससुराल जहां उसके पति का निवास उसका घर परिवार है।
सीजीवालडॉटकॉम को कई महिला शिक्षको ने ऐसा ही अपना दुखड़ा सुनाया।महिला शिक्षके कहती है कि हमे अध्यापक, शिक्षाकर्मी के रूप में एक हमारी पहचान मिली समाज मे मान सम्मान मिला है। इसलिए शिक्षक की नौकरी छोड़ कर विवाह करना गवारा नही था।
एक ही जिले में सजातीय व योग्य वर मिलना मुश्किल था। बढ़ती उम्र और परिवार का दबाव लोगों के विवाह को लेकर सवाल ने दूसरे जिलों में विवाह करने को मजबूर किया। इस लिए प्रदेश के दूसरे जिलो में विवाह हुए।
महिला शिक्षको ने बताया कि पूर्व में पंचायत विभाग ने स्थानांतरण किये थे।और यही उमीद थी कि भविष्य में भी होंगे। सीमित मात्रा में 2013 और 2014 में हुए स्थानांतरण ने आस जगी थी पर इसमें भी खास लोगो के स्थानांतरण हो गए। पर महिला शिक्षको की ओर किसी ने ध्यान नही दिया। आम महिला शिक्षक आज भी अपने परिवार से दूर एकाकी जीवन जी रही है।
इस विषय पर महिला शिक्षाकर्मी नेता गंगा पासी ने बताया कि सरकार का शुक्रिया की शिक्षा कर्मीयो के स्थानांतरण को लागू किया पर इससे महिला शिक्षाकर्मीयो को कोई विशेष लाभ होता नही दिख रहा है।
प्रदेश के एक लाख अस्सी हजार शिक्षा कर्मीयो में तीस से चालीस प्रतिशत महिला शिक्षक है। इसमें से हजारों की संख्या में महिला शिक्षक कठिन जीवन जीने को मजबूर है।पुरूष दूसरे शहर , दूसरे प्रदेश में आसानी से जीवन यापन कर सकते है। लेकिन महिलाओं को व्यवहारिक और सामाजिक दिक्कत होती है।
गंगा पासी ने बताया कि पूर्व की सरकार अगर प्रदेश के शिक्षको का हर साल पांच प्रतिशत भी स्थानांतरण करती तो यह समस्या इतनी बढ़ी नही होती..! प्रदेश के मुख्यमंत्री महिला शिक्षको के पिता जैसे है।वे अपनी अनेक पुत्रियों की स्थानांतरण की पीड़ा समझ कर महिला शिक्षा कर्मियों को स्पेशल केटेगिरी में रख कर स्थानांतरण का लाभ दे।