शिक्षाकर्मी नेताओं में गहरी नाराजगी…बताया अनुकंपा नियुक्ति में साजिश की दुर्गन्ध…पीड़ित डीएड करे या घर संभाले

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—शासन की हठधर्मिता से शिक्षाकर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दूर की कौड़ी साबित हो रही है। हालत यह है कि शिक्षाकर्मियों के परिजन आवेदन लेकर पंचायत के दरवाजे पर नाक रकड़ रहे हैं। लेकिन मजाल है कि कोई अधिकारी सीधे मुंह बात करे। पीड़ित परिजनों को शासन के नियमों का हवाला देकर लौटा दिया जा रहा है।  ऐसे कठिन नियम बनाये गए हैं कि चाह कर भी परिजन नियमो को पूरा नहीं कर सकते। इसके चलते अनुकंपा नियुक्ति का होना नामुमकिन सा होता जा रहा है। यह बातें नवीन शिक्षाकर्मी संघ के नेता विकास सिंह राजपूत और अमित नामदेव ने कही। दोनों नेताओं ने बताया कि अधिकारियों को नियमों की व्यवहारिक कठिनाइयों की जानकारी तो है लेकिन पंचायत विभाग के आदेश से बंधा होने के कारण कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं।

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                           नवीन शिक्षाकर्मी संघ के दोनों नेताओं ने बताया कि किसी शिक्षाकर्मी का निधन होता है तो उसके परिजनों को शिक्षा कर्मी वर्ग 3 यानी सहायक शिक्षक पंचायत के पद मिलना चाहिए। इसके लिए दावेदार को डीएड और टीईटी का होना अनिवार्य है। शासन ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए कुछ ऐसा ही प्रावधान रखा है। सोचने वाली बात है कि शिक्षाकर्मी अपने बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए मरने से पहले डीएड और टीईटी के लिए तैयार करेगा।

                        शिक्षाकर्मी की मौत के बाद परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूटकर गिरता है। 3 साल के भीतर डिग्री की मांग की जाती है। सरकारी पत्र में लिखा जाता है कि 3 साल के अन्दर शर्तों को पूरा नहीं करने आवेदन निरस्त हो जाएगा। 

               विकास और अमित ने बताया कि बालोद में  शिक्षाकर्मी हीरामन दास बघेल के निधन के बाद पत्नी सीमा बघेल अनुकंपा नियुक्ति के लिए दर दर भटक रही है। जिला पंचायत सीईओ बालोद ने  3 साल के अन्दर अहर्ता पूरा करने का आदेश दिया है। सोचने वाली बात है कि यदि उनके पास सब कुछ होता तो वह शिक्षाकर्मी की नौकरी पहले से ही करती।

                      दोनो नेताओं ने कहा कि किसी भी सूरत में डीएड 4 साल से पहले उत्तीर्ण करना नामुमकिन है। राज्य में शिक्षक पात्रता परीक्षा भी समय नही होती है। राज्य के सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवेश के पहले 2 वर्ष का अध्यापन अनुभव जरूरी है। फिर डीएड कोर्स में प्रवेश दिया जाएगा। मृत शिक्षाकर्मी के परिजनों को रेगुलर कॉलेज जाना और खर्च उठाना बहुत ही मुश्किल होता है। घर के मुखिया की मृत्यु के बाद घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नही रह जाती। निजी शिक्षा महाविद्यालयों की मोटी फीस पटाना शिक्षाकर्मी परिवार के बस की बात नहीं है।

                       नवीन शिक्षा कर्मी संघ प्रदेश उपाध्यक्ष अमित कुमार नामदेव  ने बताया कि अनुकम्पा नियुक्ति नियमों में शिथिल करने की जरूरत है। समय समय पर शिक्षाकर्मी संघ ने सख्त नियम के खिलाफ आवाज भी बुलंद किया है। संघ बालोद के स्वर्गीय हीरामन दास बघेल जैसे साथियों और उनके परिवार के लिए संघर्ष से संगठन पीछे नहीं हटेगा।

        अमित नामदेव  और विकास ने बताया कि शासन-प्रशासन इन सब बातों पर ध्यान नहीं देते हुए नियमो का हवाला देकर अनुकंपा नियुक्ति को टालना चाहता है।  यही कारण है कि शिक्षाकर्मियों के परिजनों को अनुकम्पा का फायदा ना के बराबर मिला है। शासन की हठ धर्मिता के खिलाफ नवीन शिक्षाकर्मी संघ नेताओं ने कहा कि सरकार को कम से कम मानवीय संवेदना को भी अनुकम्पा नियुक्ति को आधार बनाना चाहिए। अन्यथा एक बार फिर आक्रोश का सामना करने के लिए तैयार रहे।

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