शिक्षाकर्मी संविलयनःकमलेश्वर बोले-वेतन विसंगति दूर किए बिना नहीं मिलेगा आर्थिक लाभ

Chief Editor
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रायपुर ।छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षाकर्मियों को सोमवार को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में संविलयन की सौगात मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही अनुमान और कयास लगाए जा रहे हैं कि संविलयन पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद किस तरह की स्थिति बनेगी। इसे लेकर  लोगों की अपनी -अपनी राय है। इस सिलसिले में छत्तीसगढ़ व्याख्याता पंचायत संघ के प्रांताध्यक्ष कमलेश्वर सिंह राजपूत का मानना है कि मुख्यमन्त्री  की शिक्षा कर्मियो को शिक्षा विभाग में संविलयन की घोषणा के बाद सबसे बड़ी समस्या 2013 में त्रुटि पूर्ण वेतन निर्धारण के कारण उत्पन्न वेतन विसंगति को दूर करना है । इसके बिना शिक्षा कर्मियों को संविलयन / सातवां वेतनमान में आर्थिक लाभ नहीं मिल पाएगा।उन्होने अब तक की स्थिति की गणना कर बताया कि शिक्षा कर्मियो को 8 वर्ष पूर्ण तिथि से पूर्व 07 वर्ष में समयमान वेतनमान में वेतन क्रमशः वर्ग 03 को 5000,वर्ग 02 को 6000 तथा वर्ग 01 को 7000 मूल वेतन स्वीकृत किया गया था।और वर्तमान में किया जा रहा है।
परन्तु 8वें वर्ष में क्रमशः वर्ग 03 को 4000×1.86=7440,
वर्ग0 2 को 5000×1.86=9300
तथा वर्ग 01 को 5500×1.86=10230 न्यूनतम में fix कर दिया गया।
जबकि नियम अनुसार क्रमशः वर्ग 03 का 5150×1.86=9580,
वर्ग02 का 6175×1.86=11490
 तथा वर्ग 01 का 7200×1.86=13400 में निर्धारित करना था।
10 वर्ष पूर्ण होने पर क्रमशः वर्ग 03 को 4200 वर्ग02 को 4400 तथा वर्ग01 को 4800 ग्रेड पे दिया जाना चाहिए था । कुछ संघठनो की ओर से  सातवां वेतनमान में क्रमोन्नत की मांग की जा रही  है। कमलेश्वर सिंह ने उसे गैर वाजिब बताया है ।क्योकि जब तक छठवां वेतन मान के नियमानुसार वेतन निर्धारण कर त्रुटि सुधार नही किया जाता है। तो संविलयन और सातवां वेतनमान में 10 से 15 हजार रूपये महीने की अर्थिक क्षति होगी ।
छ.ग.व्यख्याता(पं)संघ के प्रान्ताध्यक्ष  कमलेश्वर सिंह ने मुख्यमन्त्री एवम् मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मांग की है कि सबसे पहले वेतन विसंगति को सुधरा जाये तत्पश्चात सातवां वेतनमान में वेतन निर्धारण के आदेश प्रशारित किया जाये । श्री सिंह ने आशंका जाहिर की है कि यदि वेतन विसंगति को सुधरा नही जाता है तो वरिष्ठ और कनिष्ठ का वेतन सविलियन/सातवां वेतनमान में एक समान हो जायेगा ।अतः वेतन विसंगति बनी रहेगी ।
वेतन विसंगति दूर किये बिना यदि शासन संविलयन और सातवां वेतनमान में वेतन निर्धारित करता है तो संघ इसका विरोध करेगा और आवश्यक हुआ तो  उच्च न्याययलय में जनहित याचिका दायर की जायेगी ।
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