भोपाल । छतीसगढ़ सरकार द्वारा शिक्षक पंचायत और नगरीय निकाय को चुनावी वर्ष में शिक्षक एलबी के नए पदनाम से शिक्षा विभाग के अधीन करने से छतीसगढ़ के साथ साथ मध्यप्रदेश के अध्यापक संवर्ग को भी घोर निराशा हुई हैं।जहाँ सरकारे पिछले साल से सभी कर्मचारी संवर्गों के साथ साथ 7 वां वेतनमान और शिक्षा विभाग में संविलियन की बारंबार घोषणाओ के जुमले गढ़ती आ रही हैं वहीं दूसरी ओर केबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री की मंशा और घोषणा के विपरीत शिक्षा विभाग में एक नया कैडर बनाकर कुछेक सुविधाओं को बढ़ाने का झुनझुना पकड़ा कर मूल शिक्षा विभाग के पुराने पदों पर संविलियन न करके शिक्षाकर्मियों को शिक्षा विभाग में भी दोयम दर्जे का दूसरा संवर्ग देकर पुनः संघर्ष आंदोलन और अनशन के दौर शुरू करने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
अध्यापक नेता सत्यप्रकाश त्यागी ने बताया कि शुरू से ही शिक्षा विभाग के डाईंग कैडर के पदों पर ही संविलियन की हमारी मांग को प्रदेश के शासन प्रशासन ने ठेंगा बताकर शिक्षाकर्मी संवर्ग के साथ हो रहे दोहरे मापदंड को पुनः स्थापित कर शिक्षा व्यवस्था गुणवत्ता सुयोग्य नागरिक निर्माण के प्रति सरकार की कमजोर प्रतिबध्दता की कार्यशैली को उजागर किया है।संवर्ग का हर शिक्षक और अध्यापक स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा है।चुनावों में सरकार के लिए ऐसे निर्णय लेने की भूल दोनों प्रदेश की सरकारों से नहीं थी।
चंद संघ सँगठन के नेतृत्वों से सांठगांठ से भी इंकार नहीं किया जा सकता है । मगर आज भी हरेक अध्यापक अपने नैसर्गिक हकों और जायज़ माँगो के प्रति नवीन संघर्ष के लिए तैयार होकर पुनः कमर कस चुका है।अध्यापको का कहना है कि जब पूर्व में मप्र सरकार द्वारा कई बार निजी स्कूलों के शिक्षक, प्रौढ़ शिक्षा के अमले,जनपद के स्कूलों का ज्यो के त्यों शिक्षा विभाग में संविलियन किया जा चुका है तो नाहक वरिष्ठता के मुद्दे को तूल देकर शिक्षाकर्मी और अध्यापको को शिक्षा विभाग में समान कैडर से क्यो महरूम रखा जा रहा है।