शिक्षाकर्मी संविलियन के 2 साल:पदोन्नति-क्रमोन्नति का नहीं मिला कोई लाभ,आर्थिक समस्याएं अब भी राम भरोसे..

Chief Editor
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बिलासपुर।(मनीष जायसवाल)।शिक्षा कर्मियों का संविलियन हुए दो साल से अधिक हो चुके है। परन्तु  अब तक शिक्षको को उच्च पद पर पदोन्नति देने या पद नही होने पर उच्च पद के आर्थिक लाभ देने के नीति-नियम और प्रक्रिया कागजो में भी नील बटे सन्नाटा ही है। प्रदेश का शिक्षक संवर्ग  शासन प्रशासन के नकारात्मक रवैये  की  वजह से  पदोन्नति और उच्चतर क्रमोन्नत वेतनमान  से वंचित है। एक ही राज्य में राज्य के कर्मचारियों के लिए अलग अलग व्यवस्थाएं चल रही है । शिक्षको को पूर्व कि सेवा का लाभ नही मिल रहा है, जबकि राज्य के अन्य  विभागों के कर्मचारियों को पूर्व की सेवा का लाभ मिलता है….।  पदोन्नति और क्रमोन्नति नही मिलने से शिक्षक संवर्ग में विसंगितयों ने जन्म ले लिया हैI शिक्षको की आर्थिक समस्यायों पहले भी राम भरोसे थी और अब भी राम ही भरोसे  है …. ! ऐसा आम शिक्षक अक्सर कहते है और सोशल मीडिया में अपनी बात भी रखते है।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप न्यूज़ ग्रुप से जुडने यहाँ क्लिक कीजिये

जानकार कहते है कि शासन और प्रशासन शिक्षक संघों की विज्ञप्ति पर पहले भी गंभीर नही था और अब भी गंभीर नही है। जिस वजह से शिक्षक फिर से   सड़क की लड़ाई लड़ने के मूड में है। जिसके शुरुवाती लक्ष्ण सोशल मीडिया में दिखाई दे रहे है। 1998 और 2000 बैच के शिक्षक वह चर्चा में कहते है कि  प्रदेश में बहुत से शिक्षक दस और बीस साल की सेवा पूरी कर चुके है। नियमित होने के बाद भी दस साल में पहली और बीस साल में दूसरे क्रमोन्नत वेतनमान में उच्चतर वेतनमान का वेतन बैन्ड व ग्रेड पे से हम वंचित है।

 बिलासपुर जिले के शिक्षक नेता आलोक पाण्डेय एक उदाहरण  देते हुए बताते है कि वर्तमान में  यदि कोई  वर्ग तीन का सहायक शिक्षक एक ही पद में सेवा देते हुए दस वर्ग वर्ष पूर्ण कर चुका है …, तो उस शिक्षक को वर्ग दो पर पदोन्नत करना चाहिए ! यदि पद न हो तो उसे वर्ग दो के शिक्षक का ग्रेड पे का वेतन दिया जाना चाहिए । ठीक ऐसे ही वर्ग दो के शिक्षक को व्यख्याता वर्ग में पदोन्नत या फिर व्यख्याता का ग्रेड पे दिया जाना चाहिए वही व्यख्याता को दस वर्ष पूर्ण होने पर  स्कूल के प्राचार्य का ग्रेड पे वेतन या पद दिया जाना चाहिए । पर ऐसा हो नही रहा है।आलोक कहते है कि संविलियन से पूर्व कई शिक्षा कर्मियों की पदोन्नति हुई है। वर्ग तीन के शिक्षक वर्ग दो और वर्ग दो के शिक्षक वर्ग एक मे पदोन्नत हुए है। वही  वर्ग एक के व्यख्याताओ को कुछ भी हासिल नही हुआ है।

क्रमोन्नत अधिकार मंच से जुड़े शिक्षक नेता कमलेश्वर सिंह बताते है कि  संविलियन से पूर्व  पदोन्नत पद के आधार पर  7-8 वर्ष में पदोन्नत सहायक शिक्षक को उच्चवर्ग शिक्षक का वेतन बैंड और ग्रेड पे तथा 7-8 वर्ष में  शिक्षक पद से पदोन्नत व्यख्याता को व्यख्याता पद का पुनरीक्षित  वेतन बैंड एवँ ग्रेड पे दे दिया गया है  जबकि समयमान/क्रमोन्नत वेतन मान में प्राप्त कर रहे मूल वेतन के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान का वेतन बैंड नही दिया गया ।

कमलेश्वर सिंह एक शिक्षको से जुड़े एक महत्वपूर्ण आर्थिक और नीति गत विसंगति पर ध्यान आकर्षित करते हुए बताते है कि जो  शिक्षक पूर्व में निम्न पद से त्याग पत्र देकर उच्च पद में कार्यभार ग्रहण किये थे उन्हें पूर्व पद में की गई सेवा अवधि को जोड़कर वर्तमान पद का  समयमान ,पुनरीक्षित वेतनमान  दिया गया लाखो के एरियर्स बांटे गए और तो और सविलयन भी कर दिया। 

एक चर्चा में शिक्षक नेता कृष्ण कुमार नवरंग कहते है कि सबसे अधिक आर्थिक शोषण 1998-99 से सेवा दे रहे शिक्षको के साथ हो रहा है। व्यख्याता वर्ग के आर्थिक नुकसान की भरपाई ही सम्भव नही है। पूर्व में नियमित नही होने और वर्तमान में पद रिक्त नही होने के कारण व्यख्याता प्राचार्य नही पाए और व्यख्याताओ को मूल भूत नियमानुसार समयमान / उच्चतर क्रमोन्नत वेतनमान के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान का वेतन बैंड एवम ग्रेड पे नही दिया गया।

शिक्षक नेता अश्वनी कुर्रे बताते है कि जिला पंचायतों की मनमानी का शिकार शिक्षाकर्मी सबसे अधिक हुए है। संविलियन के बाद उम्मीद थी कि बदलाव होगा पर हुआ नही। वर्ग तीन के सहायक शिक्षको में पदोन्नति वेतन, विसंगति  सबसे अधिक है। प्रदेश में शिक्षक संवर्ग के पद रिक्त है । 10 वर्ष सेवा पूर्ण कर चुके शिक्षको पदोन्नति नही की जा रही है। शासन ने उच्छ पद के उच्चवर्ग शिक्षक का वेतन बैंड और ग्रेड पे का उच्चत्तम वेतनमान दिया जाए। 

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