शिक्षा कर्मियों के संविलयन के एलान के एक महीने बाद MP में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी सरकार, दबाव बनाने संघर्ष कर रहे संगठन

Chief Editor
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रायपुर /  भोपाल । छत्तीसगढ़ में शिक्षा  कर्मियों के संविलयन सहित कई मांगों पर विचार करने के लिए  कमेटी का गठन किया गया है। इसे लेकर प्रशासनिक और शिक्षा कर्मियों के संगठन के स्तर पर हलचल बनी हुई है। इस सिलसिले में विभाग की ओर से संगठनों से सुझाव मंगाए जा रहे हैं । इन गतिविधियों को देखते हुए शिक्षा कर्मियों के बीच तरह -तरह के सवाल तैर रहे हैं और यह समझने की कोशिश की जा रही है कि आगे चलकर इस कवायद का आखिरी नतीजा क्या निकलेगा। खासककर पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में संविलयन को लेकर वहां की बीजेपी सरकार के सकारात्मक रुख को देखते हुए आम शिक्षा कर्मी आशान्वित हैं।. लेकिन मध्यप्रदेश से आ रही खबरें बताती हैं कि अभी भी वहां संविलयन को लेकर संघर्ष का दौर जारी है। इस सिलसिले में मध्यप्रदेश के अध्यापक संघ समिति की ओर से जारी विज्ञप्ति को एक उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है। जिसमें कहा गया है कि संविलयन की घोषणा के महीने भर बाद अभी तक सरकार ने एक कदम भी आगे नहीं बढाया है और अभी भी सरकार पर इसे लेकर दबाव बनाने की जरूरत है।
मध्यप्रदेश में अध्यापक संघ समिति के संचालन समिति के सदस्य  एच एन नरवरिया,  बाबूलाल मालवीय ,  रामसिंह राजपूत ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि    मध्यप्रदेश के  मुख्यमंत्री द्वारा अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलियन की घोषणा अपने आवास से 21 जनवरी को की थी। एक माह से अधिक का लंबा समय हो गया है लेकिन शासन अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन की दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है।जो चिंता का विषय है। अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश संघर्ष से बने दबाव को कम नहीं होने देना चाहती है। इसलिए संघर्ष समिति एक्शन मूड़ में है। इसी तारतम्य में प्रत्येक जिले में संघर्ष समिति 22 फरवरी को शिक्षा विभाग में संविलियन अध्यापकों की मंशा अनुसार हो सके इसलिए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेगी। जिसमें प्रमुख मांग शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक, गुरुजी, नियुक्ति दिनांक से शिक्षा विभाग में संविलियन, नियमित शिक्षक संवर्ग के समान पदनाम सहायक शिक्षक, शिक्षक, व्याख्याता के पद पर तत्काल प्रभाव से हो, समान सेवा शर्तें लागू हो एवं समान सुविधाएं लागू करने की होगी ताकि अध्यापक संवर्ग सही मायने में अधिकार संपन्न हो सके एवं आपसी वरिष्ठता भी बनी रह सके। संघर्ष समिति सितंबर 2013 से मय एरियर्स छटवा वेतनमान एवं जनवरी 2016 से सातवा वेतनमान मय एरियर्स कि अपनी चिर –  परिचित मांग भी करती है। इसके बगैर संघर्ष समिति मुख्यमंत्री की घोषणा की”आज से सब शिक्षक कहलाएंगे” एवं शिक्षा विभाग में संविलियन की घोषणा को धोखा ही मानते रहेगी।
बयान में आगे कहा गया है कि नियमित शिक्षक संवर्ग के समान 1 जनवरी 2005 के पूर्व नियुक्त शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक को पेंशन, बीमा, उपादान, gpf, मकान भाडा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति भत्ता, यात्रा भत्ता आदि सुविधाओं का लाभ दिया जाए एवं 1 जनवरी 2005 के पश्चात नियुक्त संविदा शाला शिक्षक को राज्य शासन के कर्मचारियों की तरह लाभ दिया जाए। अनुकंपा नियुक्ति के मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपना कर पूर्व की भांति अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया जाए। अनुकंपा नियुक्ति के लंबित प्रकरणों का त्वरित निराकरण किया जाए। पीड़ित परिवार के सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति हेतु शैक्षणिक  योग्यता एवं प्रशिक्षण योग्यता हासिल करने हेतु भूतलक्ष्यी आदेशों के अनुसार समय सीमा दी जाए। अनुकंपा नियुक्ति के पदो का विस्तार किया जाए। इसमें सहायक ग्रेड- 3, चौकीदार, भृत्य आदि पदों को समाहित किया जाए। शिक्षा विभाग की स्थानांतरण नीति अनुसार स्वैच्छिक, पारस्परिक एवं पति-पत्नी समायोजन के आधार पर स्थानांतरण किये जाए की मांग भी करती है।
संघर्ष समिति ज्ञापन के माध्यम से मांग करेगी कि फरवरी 2018 में प्रस्तुत मध्यप्रदेश की आगामी वित्तीय वर्ष के बजट में अध्यापकों के लिए छटवें वेतनमान के 2013 से एरियर्स राशि, जनवरी 2016 से मय सातवें वेतनमान की एरियर्स राशि एवं शिक्षा विभाग में संविलियन मे व्यय होने वाली अनुमानित  राशि का प्रावधान किया जाए। शिक्षा विभाग में संविलियन के पहले छटवें वेतनमान की सारी विसंगति को दूर किया जाए।
शिक्षा विभाग में संविलियन प्रक्रिया में अध्यापकों को विश्वास में लिया जाए इस हेतु अध्यापकों के प्रतिनिधिमंडल से जिसमे संघो व समिति का प्रतिनिधित्व हो के प्रतिनिधिमंडल से शासन वार्ता करें।
अध्यापक संवर्ग को शिक्षा विभाग में संविलियन प्रक्रिया पर माननीय न्यायालय में केविएट दायर की जाए ताकि शिक्षा विभाग में संविलियन प्रक्रिया निर्बाध रुप से संपन्न हो सके।
अध्यापक संघर्ष समिति छिन्दवाडा 25 फरवरी को छिंदवाड़ा में सम्मान समारोह आयोजित कर रही है। जिसमें अध्यापक संघर्ष में योगदान देने के लिए छिंदवाड़ा सांसद कमलनाथ का अभिनंदन किया जाएगा एवं इस सम्मान समारोह में छिंदवाड़ा जिले के शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने वाले,  नवाचार करने वाले, निरंतर श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम देने वाले अध्यापको एवं अध्यापक हित में “केस त्याग” का साहसिक कदम उठाने वाली प्रदेश  की बहनों का भी सम्मान किया जाएगा।

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