शिक्षा कर्मियों को क्रमोन्नति मिलने के आसार नहीं…विभाग ने जारी नहीं किया स्पष्ट आदेश

Shri Mi
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रायपुर।
शिक्षाकर्मी से शिक्षक बने कर्मचारियों को क्रमोन्नति का लाभ मिलना मुश्किल दिखाई दे रहा है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि विभाग की ओर से अब तक स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया है। जो आदेश है वह शिक्षा विभाग में दस साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों की क्रमोनन्ति को लेकर है।यह जानकारी देते हुए  शिक्षक नेता डॉ. गिरीश केशकर ने बताया कि दंतेवाड़ा सीईओ ने जो हाई कोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ताओं के क्रमोन्नत वेतन का निर्धारण कर जो सूची बनाई थी उसे स्वयं निरस्त कर दिया। हाई कोर्ट ने नियमानुसार 4 माह के भीतर याचिकाकर्ताओं की क्रमोन्नति का निराकरण करने कहा था।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे

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उन्होने बताया कि जल्दबाजी में सीईओ ने क्रमोन्नत वेतन का निर्धारण तो कर दिया  । पर बाद में क्रमोन्नति के मामले में शिक्षाकर्मियों के लिए शासन द्वारा कोई ऑर्डर स्टेंडिंग नहीं होने के कारण उसे निरस्त कर दिया। क्रमोन्नत वेतनमान की सूची बनाकर नीचे शर्त भी लिखा गया था कि स्थानीय निधि से सत्यापन पश्चात ही क्रमोन्नति के एरियर्स का भुगतान किया जाएगा। पर स्थानीय निधि से भी कह दिया गया कि शिक्षाकर्मियों के लिए क्रमोन्नति का कोई आदेश शासन से नहीं है। अब याचिकाकर्ता पुनः वकील के पास गए जिसमे वकील के द्वारा पुनः उस संबंध में कोर्ट में पिटीशन को आगे बढ़ाने और देखने की बात कही।

गिरीश केशकर ने कहा कि पहले भी  सभी को 6 तारीख के शिक्षा सचिव गौरव द्विवेदी के पत्र की पूरी स्थिति क्लियर अवगत कराया था।6 तारीख को जारी शिक्षा सचिव का पत्र वास्तव में पुराने शासकीय शिक्षकों के लिए था जिनको शिक्षा विभाग में 10 वर्ष हो चुके परंतु उनको पदोन्नति नहीं मिली। उनके लिए समयमान/क्रमोन्नति की कार्यवाही के लिए था।शिक्षाकर्मी चूंकि 1 जुलाई 2018 को संविलयन पश्चात शासकीय शिक्षक बने।

शिक्षा विभाग की सेवा शर्तें उनके लिए 1 जुलाई 2018 से प्रारंभ होगा।शिक्षा विभाग में एलबी संवर्ग को अभी 1 वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैंअब मान लो संबंधित जिला/जनपद क्रमोन्नति की कार्यवाही करना चाहें तो, किस आदेश के तहत करेंगे, क्रमोन्नति के लिये शासन का कोई स्टेंडिंग आदेश नहीं है।मान लो कोई जिला पंचायत क्रमोन्नति का अपने सूझबूझ से कोई वेतनमान निर्धारित करता भी है तो। जब ये स्थानीय निधि सम्परिक्षक के पास जाएगा तो किस आदेश के तहत इसको सत्यापित करेगा जिस क्रमोन्नति का कोई आदेश ही नहीं है।

डॉ . गिरीश केशकर ने बताया कि वास्तव में शिक्षाकर्मी सही बातों को समझना ही नहीं चाहते हैं। मीठी मीठी बातें और प्रलोभन वाली बातें करते आसानी से कोई उनको गुमराह कर सकता है। और वास्तव में लंबे वर्षो से गुमराह ही होते आये हैं।

उन्होने कहा कि संविलयन से 1 फायदा हुआ कि जिनका संविलयन हुआ उनको माह के 30 तारीख को ही वेतन मिल जाता है। लेकिन इसके साथ ही वो अपना इतना बड़ा नुकसान कर डाले जिसकी भरपाई रिटायरमेंट तक संभव न हो पाएगी। 8 वर्ष का बंधन भी सभी शिक्षकों के हितों को ले डूबा।

उन्होने कहा कि न कोई संघ बड़ा होता है न कोई इंसान अगर बड़ा होता है कोई चीज तो वो कार्यों में ईमानदारी, सच्चाई जो किसी को गुमराह न करे बल्कि वास्तविक स्थिति से अवगत कराये। बात सभी की सुने, जो वास्तविक और सही हो उसे स्वीकार करें। हक़ अधिकार की लड़ाई में जरूरी नहीं कि संघ ही सोंचे और पहल करे बल्कि सभी शिक्षक अपने अपने सार्थक विचार सामने रखें और पहल करें शिक्षक संवर्ग की बेहतरी के लिए।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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