शिक्षा कर्मी संगठन बढ़ रहे वर्गवाद की ओर….. प्रदीप पाण्डेय बोले- वर्ग तीन को हथियार बनाकर राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश

Shri Mi
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रायपुर । शिक्षाकर्मियों के बीच पिछले 23 सालों में नही हुआ वो अब हो रहा है इनके बीच अब आपस मे एक नया संघर्ष शुरू हो गया है यह संघर्ष सरकार से नहीं खुद शिक्षाकर्मीयों का शिक्षाकर्मियों से है। शिक्षाकर्मी अब वर्गवाद की ओर बढ़ते जा रहे हैं। इसमें अब वर्ग के हिसाब से संगठन बनने लगे है। वर्ग के शुभचिंतक अब जाग गए है।

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इस तरह की प्रतिक्रियी व्यक्त करते हुए शिक्षक – मोर्चा के नेता और CGSSPN के मीडिया प्रभारी प्रदीप पांडेय ने एक बयान में बताया कि इस वर्गवाद में इसमें आम शिक्षाकर्मियों की भूमिका कहीं नहीं है। संविलियन के बाद कुछ लोग नए वर्ग विशेष संगठन से जुड़े है तो प्रमुख कारण वेतन विसंगति का असन्तोष है।प्रदीप पांडेय ने बताया कि कुछ शिक्षाकर्मी जो नेता बनने और संघो के प्रमुख बनने की होड़ में अपनी इच्छा –  आकांक्षाओं के बीज जो संघो में रहते हुए नही बो पाए। कुछ लोग जो ….विशेष संघ बना के कोई बड़ा आंदोलन कर पाए …. है। उन मुट्ठी भर लोगो का समूह आज वर्ग तीन को बरगला रहा है। भ्रर्मित कर रहा है। उन्होने कहा कि जातिवाद का भेद – भाव मिटे ,  सामाजिक समरसता बनी रहे ऐसे विचार –  ऐसी नैतिक शिक्षा एक शिक्षक अपने छात्रो के बीच रखता है।जातिवाद और वर्गवाद शिक्षको के बीच नही होना चाहिये  । जब हमारे बीच यह होगा तो छात्रो को हम राष्टवाद कैसे समझा पाएंगे। शिक्षक ज्ञान बाटे तो यही शिक्षाकिय धर्म होगा आज वर्गवाद का ज्ञान जो फैलाया जा रहा है। इसमें शिक्षकिय मर्यादा का भी ख्याल नही रखा जा रहा है। ये चंद लोग ही है जो इस वर्ग वाद के जहर को फैला रहे है।

प्रदीप पांडेय ने बताया कि शिक्षा कर्मियों की समस्या सभी वर्गों के लिए एक तरह की  है।इसे जाति या वर्ग के आधार पर विभाजित नहीं किया जा सकता।यह सत्य है कि अन्य वर्ग की तुलना में वर्ग तीन सहायक शिक्षक एलबी का बहुत वेतन कम है।प्रदेश में इसी वर्ग की सख्या सबसे अधिक है।और इसी को हथियार बनाकर कुछ महत्त्वाकांक्षी लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का काम कर रहे हैं।उनके पक्ष में जो प्लस प्वाइंट है वह वे लोग सहायक शिक्षक एलबी हैं  । इसी का फायदा उठाने की भरपूर कोशिश की जा रही है।

प्रदीप ने बताया कि वेतन में अंतर का समधान तभी हो सकता है जब सभी वर्ग को नियुक्ति तिथि से सेवा गणना करते हुए क्रमोन्नति प्रदान किया जाए।क्रमोन्नति किसी वर्ग विशेष के लिए लागू होगा यह सोचना भी हास्यास्पद है।संविलियन के आदेश के बाद इनके द्वारा मोर्चा के खिलाफ मोर्चा खोलकर आम शिक्षा कर्मियों को अपने पक्ष में करने की भरपूर कोशिश की गई  । बार –  बार रणनीति बनाते रहे ।  किन्तु किसी भी रणनीति में कायम नहीं रहे।बार बार के रणनीति बदलने से अब आम शिक्षाकर्मियों का भरोसा अब इनसे उठने लगा है।

प्रदीप ने बताया कि यदि सकारात्मक सोच के साथ आम शिक्षा कर्मियों के हित के लिए कोई भी व्यक्ति कार्य करता है तो आम शिक्षा कर्मी उनका स्वागत जरूर करेंगे।और यदि किसी व्यक्ति विशेष या संघ विशेष से टकराव या दुर्भावना वश विरोध किया जा रहा है तो लोग धीरे धीरे आपकी मानसिकता जान ही जाएंगे।अटल जी एक कविता की एक पंक्ति याद आती है…

“छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता”

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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