बिलासपुर।शिक्षाकर्मी प्रदेश स्तरीय स्थानान्तरण की राह देखते रहे और तबादला हुआ भी तो अधूरा हुआ।जहां एक ओर बहुत से शिक्षक संविलियन से वंचित है उनके लिए वर्तमान स्थानांतरण नीति में कोई प्रावधान किया ही नहीं गया तो दूसरी ओर बहुत से शिक्षक मंत्री, विधायक से अनुमोदन नही करवा पाए थे उनके तबादला का क्या हुआ यह आवेदन दिए हुए आवेदक शिक्षक ही भली भांति बता सकते हैं।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप् ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
इस शिक्षण सत्र में शिक्षक पर बहुत दबाव है।शिक्षा विभाग के योजनाकार मक्खन पर लकीरें खींच कर स्थानान्तरण नीति का पालन कर रहे हैं तो कुछ लोग मलाई खाकर नोटों की गड्डी गिन रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग की व्यवस्था को खंगालने पर कुछ महत्वपूर्ण तथ्य उभर कर सामने आते है।
विभाग द्वारा जारी शैक्षिक सत्र 2019-20 के लिए शैक्षणिक केलेंडर में कक्षा अध्ययन समय सारणी के दिशा निर्देशों की माने तो सितंबर माह में पाठयक्रम की इकाई पांच का अध्यापन, तृतीय सावधिक आकलन और त्रैमासिक परीक्षा व पालकों के समक्ष परिमाण की घोषणा और विकासखंड जिला और क्षेत्रिय स्तर पर खेलकुद प्रतियोगिता का आयोजन प्रस्तावित है।
शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रदेश के दस जिलों में आठवीं व नवमी कक्षा में छात्रों के लिए निखार कार्यक्रम चालू है। जिसमें शिक्षण और प्रशिक्षण का दौर शुरू है। साक्षरता पखवाड़े से जुड़े कार्यक्रम चालू है, विज्ञान प्रदर्शनी शुरू होने वाली है। स्कुलों में शिक्षकों ने टेस्ट परीक्षा ले ली है।
कमजोर, औसत और कुशाग्र छात्रों को चिन्हित कर शिक्षक अध्यापन में लगे हैं।इस बीच स्थानांतरण का भूत लगातार शिक्षकों को विचलित करने का काम कर रहा है।जिनका स्थानांतरण हुआ है उसमें भी अनेक त्रुटियां हैं किसी का जिला शिक्षा अधिकारी के विकल्प पर तो किसी का मन चाहे जगह को छोड़कर अन्य जगह पर हो गया है ऐसे में शिक्षक सही जगह पर पोस्टिंग पाने के लिए लगातार कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
शिक्षा विभाग के रणनीतिकारों को शिक्षक और अन्य कर्मचारियों में फर्क क्यों नहीं समझ आता है..
सरकारें शिक्षा बजट के नाम पर हर साल बड़ा बजट खर्च करती है। शिक्षा व्यवस्था विश्व स्तरीय संवाद करती है दूसरे देशों या देख के राज्य में हुए शिक्षा से जुड़े सफल कार्यक्रम को अपने राज्यो में लागू करती है। अपने प्रदेश में भी यही हो रहा है। शिक्षा विभाग के रणनीतिकारों एवं उच्च पद पर बैठे अधिकारियों को सोचने की जरूरत है कि शिक्षा मानसिक क्रिया है और शिक्षक के मानसिक स्थिति का शिक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ता है।यदि इसी तरह शिक्षक अपने स्थानांतरण को लेकर परेशान रहेगा एवं कार्यालयों के चक्कर लगाते रहेगा तो वह बच्चों को पढ़ाएगा कब और कैसे पढ़ाएगा।
स्थानांतरण कर्मचारियों के सुविधा के लिए होनी चाहिए
स्थानांतरण नीति एवं खुली स्थानांतरण कर्मचारियों को सुविधा प्रदान करने के लिए बनाया जाता है।जिन कर्मचारियों की पदस्थापना अपने घर से दूरस्थ क्षेत्रों में है उन्हें स्थानांतरण का लाभ देते हुए घर के नजदीक पोस्टिंग दिया जाए ताकि वह अपने पारिवारिक दायित्वों का पालन करते हुए कार्यालयीन दायित्वों में शतप्रतिशत योगदान दे सके।
वर्तमान स्थानांतरण के सूची को देखने से यह उद्देश्य कहीं भी पूरी होती हुई दिखाई नहीं दे रही है।कुछ लोगों पर जमकर मेहरबानियां बरसाई गई तो कुछ लोगों पर मानवीय तरस का छींटा तक नहीं पड़ा ।
लोग आवेदन लगाकर स्थानांतरण की गुहार लगाते रहे पर लोगों ने उनकी चीख पुकार,निवेदन,गुहार को सुना तक नहीं तो कुछ लोगों ने विधवत आवेदन तक नहीं दिया और उनका स्थानांतरण मनचाहे जगह पर हो गई।अब उन्होंने आवेदन के बजाय क्या दिया यह आप और हम सभी भलीभांति जानते हैं।
आखिर कब तक चलेगा स्थानांतरण का खेल
स्थानांतरण के निर्धारित समह समाप्त हो गया है किन्तु अभी भी कुछ लिस्ट और आने की सुगबुगाहट है।लोग अभी भी स्थानांतरण की चर्चा में मशगूल हैं।आखिर तय समय सीमा में स्थानांतरण के कार्य को पूर्ण क्यों नहीं कर लिया गया इसके लिए दोषी कौन है ऐसे लोगों पर कार्यवाही क्यों नहीं किया जाता।लगातार हो रही लेटकतीफी के कारण बच्चों का जो पढ़ाई प्रभावित हो रहा है उसके लिए कौन जिम्मेदार है इसे तय करना होगा।