पेंड्रा(जयंत पाण्डेय)।छतीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाकों में रहने वाले बच्चों को तीरंदाजी का हुनर विरासत में मिला है। इसे साबित कर दिखाया है बिलासपुर के अचानकमार टाईगर रिजर्व के सीमा में स्थित शिवतराई गांव के बाशिंदों ने। यहां के बच्चों ने अब तक राज्य और राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में जीत का परचम लहराकर लगभग 155 मेडल जीते हैं। शिवतराई गांव में तीरंदाजों की लंबी कतार है। इनमें लड़कों के साथ-साथ लड़कियां भी शामिल हैं। गांव पहुचते ही आपकों बच्चों में तीरंदाजी के जुनून का अहसास हो जाएगा।
बच्चों के इस जुनून को निखारने का बीड़ा उठाया है, गांव के ही इतवारी राज ने। यह पूरा का पूरा गांव तीरंदाजों से भरा पड़ा है और इसे लोग अब चैम्पियन गांव कहने लगे हैं। इस गांव में द्रोणाचार्य की भूमिका निभा रहे हैं छत्तीसगढ़ पुलिस के प्रधान आरक्षक इतवारी राज सिंह जिन्होंने गांव के सारे आदिवासी बालकों को एकलव्य बना दिया है।
कोच इतवारी राज इन बच्चों को धनुर्विद्या का प्रशिक्षण देते हैं। भले ही संसाधनों का अभाव है, लेकिन तीरंदाजी सीखने वाले बच्चों को तो बस तीर चलाने के बाद उसके लक्ष्य पर पहुंचने का ही इंतजार रहता है। पिछले कुछ वर्षों में इस गांव के बच्चों ने तीरंदाजी के क्षेत्र में पुरस्कारों की झड़ी लगा दी है। शिवतराई से हर साल राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज पैदा होते हैं।
यहां के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राज्य में खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ सम्मान महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव पुरस्कार प्राप्त किया है। सात साल पहले शुरू की गई इस पहल से अब गांव का नाम आर्चरी के क्षेत्र में देश मे अपना अलग स्थान रखने लगा है। शिवतराई गांव को धनुर्धरों का गढ़ कहा जाता है।
उम्मीद हैं कि आधुनिक सुविधाएं मिलने के बाद शिवतराई गांव की खेल प्रतिभाओं में और भी निखार आएगा और छत्तीसगढ़ के इस छोटे से गांव से निकल ये दुनिया की खेल प्रतियोगिताओं में देश का परचम लहराएंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मुख्यमंत्री बनने के करीब चार महीने पहले जब इस गांव आये और तीरंदाजों का जौहर देखा तो उन्होने भी फेसबुक और टिवटर ,सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर इन तीरंदाज बच्चों की प्रतिभा का खुले दिल से प्रशंसा की गई थी। अब इन बच्चों को प्रदेश के मुखिया से उम्मीद है कि वे इनकी प्रतिभा के प्रोत्साहन के लिये जरूर कुछ बेहतर करेंगे ताकि ये दुनिया के नक्षे पर छत्तीसगढ़ का नाम रौशन कर सकें…