शिवसैनिकों का आरोप…सिम्स डॉक्टर कह रहे बाहर से खरीदो दवाई..किया..मीसाबन्दियों के भत्ता का समर्थन…

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–शिवसैनिकों ने एक साथ कई मुद्दों को लेकर जिला कार्यालय में धावा बोला। शिव सैनिकों ने जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम पत्र देकर कहा कि सिम्स की हालत बदतर हो चुकी है। सर्जरी की बहुत जरूरत है। मरीजों को कहा जाता है कि दवाइयां बाहर से लाना होगा। जिसके चलते गरीब मरीजों का जीवन खतरे में है। शिवसैनिकों ने बताया कि जिला अस्पताल की भी हालत ठीक नही है। आशंका जाहिर करते हुए कहा कि सिम्स में आगजनी घटना के लिए जिम्मेदार लोग बचने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। प्रशासन दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। अन्यथा आंदोलन किया जाएगा।

             
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                    शिवसैनिकों ने प्रदेश मुखिया के नाम कलेक्टर को पत्र लिखा है। शिवसैनिकों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंंचकर प्रशासन को मुखिया के नाम चार बिन्दु वाला पत्र दिया है। शिवसैनिकों ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा में मीसाबन्दियों ने जीवन दांव पर लगाया। अपने सुनहरे दिनों को त्यागकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए सर्वस्व झोंक दिया। ऐसे लोगों की सम्माननिधि को रोकना उचित नहीं है। प्रदेश के करीब 300 मीसाबन्दी परिवार का सम्मानिधि से भरण पोषण होता है। यदि सम्माननिधि को बंद किया गया तो मीसाबन्दियों का परिवार सड़क पर आ जाएगा।

सिम्स और जिला अस्पताल में भारी अव्यवस्था

           जिला प्रशासन को शिवसैनिकों ने बताया कि सिम्स में आगजनी के बाद नवजात बच्चों की मौत की खबर लगातार आ रही है। अब पांच बच्चों ने दम तोड़ दिया है। यदि आगजनी नहीं होती तो मौत का आंकड़ा ऐसा नहीं होता। जाहिर सी बात है कि सिम्स प्रबंधन की लापरवाही से आगजनी हुई। इसके बाद बच्चों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया। इस बीच सभी बच्चे संक्रमण के शिकार भी हुए। ऐसे हालत में सरकार पीडित बच्चों के परिवार को दस लाख रूपए मुआवजा देने का एलान करे। प्रबंधन में दोषियों के खिलाफ सख्त कदम भी उठाया जाए।

                        मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में शिव सैनिकों ने कहा है कि सिम्स में मरीजों को बाहर से दवाई खरीदकर लाने को कहा जाता है। यह जानते हुए भी कि सिम्स संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां गरीबों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज किया जाता है। बावजूद इसके सिम्स प्रबंधन मरीजों को बाहर से सोनोग्राफी कराने को कहता है। सिम्स डॉक्टरों का कहना है कि दवाई खत्म हो गयी है। सोनोग्रीफी मशीन में खराबी है।

परीक्षा सिर पर नहीं बंटी किताबें

                अपनी शिकायत में सैनिकों ने बताया कि परीक्षा सिर पर है। मजेदार बात है कि अभी तक स्कूलों में किताबें नहीं बांटी गयी है। लापरवाही की हद होती है। मार्च में परीक्षा शुरू होने वाली है। लेकिन कई ऐसे स्कूल हैं जहां अभी तक किताबों का वितरण नहीं हुआ है। इससे बच्चों का भविष्य खतरे में है।

                       शिवसैनिकों ने प्रशासन को बताया कि यदि पन्द्रह दिनों के अन्दर उनकी बातों पर गौर नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन करेंगे। जरूरत पड़ी तो चक्काजाम भी करेंगे।

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