संजय शर्मा ने कहा..शिक्षकों के साथ बंद हो भेदभाव…करें राजस्थान मॉडल लागू…उत्साहित करने वाले होंगे परिणाम

BHASKAR MISHRA
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राज्य शासन ,संतान पालन अवकाश,प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा,छत्तीसगढ़ पंचायत न नि शिक्षक संघ,बिलासपुर— शिक्षाकर्मी नेता संजय शर्मा ने शासन से सवाल किया है कि देश के अन्य राज्यों से आखिर छत्तीसगढ़ शिक्षा स्तर में पीछे क़्यों है। यह जानते हुए भी कि गुणवत्ता बेहतर करने में विभाग, शिक्षक, पालक और बालक की अहम भूमिका होती है। शिक्षा स्तर को बेहतर करने प्रदेश शासन को राजस्थान मॉडल लागू करने से क्या परेशानी है। संजय शर्मा ने यह भी बताया कि जब तक शिक्षक बेहतर शिक्षा के संकल्पित नहीं होंगे और विभाग शिक्षको के बीच भेदभाव बन्द नहीं करेगा। शिक्षा स्तर में सुधार की संभावनाए कम हैं।
                     शिक्षाकर्मी नेता संजय शर्मा ने बताया कि गुणवत्ता में राजस्थान पहला नम्बर क्यों है शासन को इस पर शांति से विचार करने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ पंचायत नगर निगम शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, प्रांतीय सचिव मनोज सनाढ्य, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक, प्रांतीय संयोजक सुधीर प्रधान, प्रदेश मीडिया प्रभारी विवेक दुबे ने शासन से चर्चा के दौरान छत्तीसगढ़ में राजस्थान शिक्षा मॉडल लागू करने की मांग हुई थी। मांग होते ही तात्कालीन समय शासन के अधिकारी बचाव की मुद्रा में आ गए । संजय ने बताया कि  शिक्षक, पालक, छात्र और शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन छत्तीसगढ़ शासन ने किया था। अध्ययन के बावजूद राजस्थान शिक्षा व्यवस्था को लागू नही किया गया। अधिकारियों को डर था कि राजस्थान मॉडल लागू होने से कहीं नयी परेशानी ना खड़ी हो जाए।
                              संजय ने बताया कि शिक्षक संगठन और शिक्षक मैदानी शैक्षणिक कार्यकर्ता होते हैं। जब तक इन्हें चर्चा या कार्यशाला में शामिल नहीं किया जाएगा शिक्षा का स्तर कमोबेश यही रहेगा। प्रशानिक कसावट और मनमानी के तौर पर शिक्षा प्रशासन कार्य करते जा रहे हैं। वास्तविक निरीक्षण कागज की खानापूर्ति बन गयी है। शिक्षक बेहतर शिक्षा के लिए दृढ़ संकल्प है। लेकिन इसके लिए विभाग को शिक्षको के साथ भेदभाव बन्द करना होगा।
      संजय ने कहा कि शिक्षक जब तक अपने भविष्य के प्रति 100 प्रतिशत संतुष्ट नहीं होगा , तब तक वह पूर्ण मनोयोग के साथ काम नहीं कर सकेगा। इसके लिए शासन को सम्पूर्ण संविलियन, समय पर क्रमोन्नति/समयमान वेतन, पदोन्नति समय सीमा में करने, वेतन विसंगति को समाप्त करने, पुरानी पेंशन बहाली, स्थानांतरण समेत अन्य विषयों को शिक्षको से चर्चा कर दूर किया जाना जरूरी है।
                    शाला में सेटअप के अनुसार पदों की पूर्ति, छात्र संख्या के हिसाब से शिक्षको की पदस्थापना, शाला भवन की व्यवस्था, स्वच्छता और पर्यावरण  का ध्यान, विद्युत, पेयजल की व्यवस्था, प्रयोगशाला कक्ष, पुस्तकालय, सांस्कृतिक कार्यक्रम समेत अन्य पाठ्येतर गतिविधि अपनाकर बेहतर शिक्षा की ओर आगे बढ़ सकते हैं।
       संजय ने बताया कि अच्छे परीक्षाफल के शिक्षकों को प्रोत्साहन और कमजोर परीक्षाफल के लिए प्रशिक्षण से मनोबल को बढ़ाने वाली योजना का होना जरूरी है।शिक्षा गुणवत्ता में वृद्धि, विभागीय आदेश बस से नही आनेवाला है। इसके लिए शिक्षक, पालक, बालक और विभाग की संयुक्त पहल की आवश्यकता है। विभाग में शिक्षण पद्धति, शिक्षण कौशल, पालक परिचर्चा और सहभागिता, छात्र की उपस्थिति, पास- फेल नीति, विभाग के निचले स्तर के काम में पारदर्शिता के साथ विश्वसनीयता की बड़ी भूमिका हो सकती है।
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