रायपुर । छत्तीसगढ़ के संत कवि पवन दीवान का बुधवार को गुड़गाँव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। पिछले दिनो अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हे इलाज के लिए वहां भर्ती किया गया था। उनके निधन की खबर से समुचे छत्तीसगढ़ में शोक की लहर फैल गई है। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। प्रदेश के विधानसभा मे उन्हे श्रद्धाजलि अर्पित की गई। साथ ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के प्रमुख लोगों ने उनके निधन को छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए उन्हे अपनी श्रद्धाजलि अर्पित की है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को सवेरे लोक सभा के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय डॉ. बलराम जाखड़ और छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय संत कवि, पूर्व विधायक तथा पूर्व सांसद स्वर्गीय पवन दीवान को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सदन की कार्रवाई शुरू होते ही अध्यक्ष श गौरीशंकर अग्रवाल ने डॉ. जाखड़ और श्री दीवान के निधन का उल्लेख करते हुए शोक प्रकट किया ।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, विधानसभा उपाध्यक्ष बद्रीधर दीवान, संसदीय कार्य मंत्री अजय चंद्राकर और नेताप्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव सहित सत्यनारायण शर्मा, देवजी भाई पटेल, धनेन्द्र साहू, संतोष उपाध्याय, भूपेश बघेल, शिवरतन शर्मा, गुरमुख सिंह होरा और डॉ. विमल चोपड़ा ने दोनों दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सदन में अपने शोकोदगार व्यक्त किए। दोनों दिवंगतों के सम्मान में आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में सदस्यों ने दो मिनट का मौन धारण किया ।
राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
मुख्यमंत्री ने कहा है कि श्री दीवान की अंत्येष्टि सम्पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी। डॉ. रमन सिंह ने आज राजधानी रायपुर में जारी शोक संदेश में कहा कि पवन दीवान के निधन से छत्तीसगढ़ के साहित्य और आध्यात्मिक आकाश के एक चमकदार सितारे का अचानक अवसान हम सबके लिए अत्यंत हृृदयविदारक है।
राज्यपाल ने जताया शोक
राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने पूर्व सांसद एवं विधायक, प्रख्यात संत कवि पवन दीवान के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। श्री टंडन ने कहा है कि स्वर्गीय संत कवि श्री दीवान ने जनसेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे एक संवेदनशील कवि एवं मानवतावादी व्यक्तित्व के धनी थे। आध्यात्मिकता को अपने जीवन में उतार कर उन्होंने दूसरों को जीने की राह दिखाई। छत्तीसगढ़ राज्य के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनका निधन प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। राज्यपाल ने स्वर्गीय संत कवि श्री पवन दीवान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रगट की है।
छत्तीसगढ़ के जन-जन में बसे पवन दीवान
संत पवन दीवान का जन्म छत्तीसगढ़ के छोटे से गांव किरवई में एक जनवरी 1945 को हुआ था। वह संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में एम.ए. की पढ़ाई की थी। उन्होंने सिर्फ 21 वर्ष की अवस्था से सन्यास की दीक्षा लेकर राजिम के ब्रम्हचर्य आश्रम में रहकर छात्रों के लिए संस्कृत शिक्षा का निःशुल्क प्रबंध किया। वे छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों और धर्मप्रेमियों के बीच भागवत प्रवचनकर्ता के रूप में काफी लोकप्रिय रहे। उन्होंने तत्कालीन अविभाजित मध्यप्रदेश की सरकार में वर्ष 1977 से 1989 तक मंत्री के पद पर भी अपनी सेवाएं दीं।
श्री दीवान ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन के लिए जनचेतना जागृत करने में अपना ऐतिहासिक योगदान दिया। उन्होंने अपनी हिन्दी और छत्तीसगढ़ी कविताओं के माध्यम से जहां मानवीय संवेदनाओं को लगातार अपनी हृदय स्पर्शी अभिव्यक्ति दी, वहीं राज्य निर्माण के लिए जन-जागरण में भी उनकी कविताओं ने उत्प्रेरक का कार्य किया। रामायण और भागवत प्रवचन के माध्यम से उन्होंने छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना के प्रचार-प्रसार में ऐतिहासिक योगदान दिया। डॉ. सिंह ने कहा-वर्ष 1977-78 में तत्कालीन अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा में राजिम से विधायक निर्वाचित श्री दीवान ने जेल मंत्री के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य किया। महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र के सांसद के रूप में और छत्तीसगढ़ राज्य गौ-सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी जनता को अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दी।
पवन दीवान का जन्म राजिम के पास ग्राम किरवई में हुआ था। उनके पिता सुखरामधर दीवान शिक्षक थे। श्री पवन दीवान ने राजधानी रायपुर के शासकीय संस्कृत महाविद्यालय से संस्कृत साहित्य में एम.ए. किया था। उन्होंने हिन्दी में भी स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की थी। वह संस्कृत, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के प्रकाण्ड विद्वान थे। श्री दीवान राजिम स्थित ब्रम्हचर्य आश्रम के सर्वराकार भी रहे। उनके कविता संग्रहों में ’मेरा हर स्वर उसका पूजन’ और ’अम्बर का आशीष’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनके कविता संग्रह ’अम्बर का आशीष’ का विमोचन उनके जन्मदिन पर एक जनवरी 2011 को राजिम में हुआ था। हिन्दी साहित्य में ’लघु पत्रिका आंदोलन’ के दिनों में वर्ष 1970 के दशक में श्री पवन दीवान ने साइक्लो-स्टाइल्ड साहित्यिक पत्रिका ’अंतरिक्ष’ का भी सम्पादन और प्रकाशन किया था। वह वर्तमान में ’माता कौशल्या गौरव अभियान’ से भी जुड़े हुए थे।