बिलासपुर।कर्मी से शिक्षक बने शिक्षको के लिए देश का सबसे बड़ा पर्व राखी पैसे के आभाव में बीत गया पर शासन को कोई फर्क नही पड़ा पड़ेगा भी क्यो शिक्षको का जीवन हमेशा से आभाव और तंगी में ही तो चला है भले ही उसके कंधों पर सारा जहाँ का कार्य बोझ हो पर मेहनताना उसके अधिकार में ही नही है।यह कहना है प्रदेश के सबसे बड़े संगठन छग सहायक शिक्षक फेडरेशन के कोषाध्यक्ष शिव सारथी का जो पिछले माह जुलाई में अपने अन्य सहयोगियो के साथ शिक्षा विभाग में संविलियन का आदेश पाया है।
सिर्फ आदेश आया है न वेतन न सुख न सुविधा आज जबकि कमरतोड़ मंहगाई के दौर में तिहाड़ी मजदूर भी शाम 5:00 बजते ही अपने एक दिन की मजदूरी के लिए सीना ताने मालिक के सामने खड़ा हो जाता है।
वही देश के कर्णधार कहे जाने वाले शिक्षक अगर एक डेड माह बाद भी अपने वेतन के लिए मुँह खोलता है तो शासन-प्रशासन उसे हड़ताली कर्मचारी के नाम से नमाज देता है और समाज में उसे विलेन साबित कर देता है।
भले ही वह और उसका परिवार राशन पानी से लेकर दैनिक जरूरत के लिए तरसता रहता है कारण हैं।1 जुलाई 2019 को संविलियन हुए शिक्षाकर्मियो का आजतक वेतन नही मिलना ।
फेडरेशन के कोषाध्यक्ष शिव सारथी का कहना है कि जब 2018 में लाखो शिक्षाकर्मियो का संविलियन हुआ था तो निर्धारित समय में उनका वेतन खाते में आ गया था जो उस समय के तत्कालिक शासन की उपलब्धि था पर 2019 में संविलियन के बाद वेतन के लाले शासन-प्रशासन की विफलता को दर्शाता है।
जब शासन को पता था कि एक साल बाद शिक्षको का संविलियन होना था तो शासन का पहले से इंतजाम नही करना विफलता को दर्शाता है शासन को चाहिए था कि एक वर्ष के समय अंतराल में सभी व्यवस्था चाक चौबन्ध रखना था पर इसके विपरीत बदइंतजामी संविलयन हुए शिक्षकर्मियो की पीड़ा को नासूर बना देता है।क्या फर्क रह गया कर्मी और शिक्षक में जब वेतन के लाले सुरसा की तरह मुँह उठाये खड़ा है।