संविलियन के बाद नियमित हुए शिक्षा कर्मियों के बीच ‘वर्गवाद ‘अब भी कायम…? प्रमोशन को लेकर चल रही बहस

Shri Mi
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बिलासपुर।पूर्व नियमित शिक्षक और संविलियन के बाद नियमित हुए शिक्षा कर्मीयो के बीच एक दबा हुआ वर्गवाद था और यह वर्गवाद अब भी जारी है। दोनो ही वर्ग अब शासकीय कर्मचारी है।हालांकि दोनों के कैडर, सेवा शर्ते व लाभ अलग अलग है। इस दो कैडर के बीच अब संस्था में हक़ व अधिकार को लेकर बहस शुरू हो गई है प्रदेश राज्य के सरकारी शिक्षक एल्बी, ई, और टी संवर्ग के माने जाते है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्स्स्एप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए

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इनके कैडर अलग अलग है परन्तु भर्ती एवम् सेवा की शर्ते एक है। 5 मई 2019 को राज्य (शैक्षिक एवम् प्रशासनिक ) भर्ती पदोन्नति एवं सेवा की शर्ते सयुक्त रूप से प्रकाशित है ।पुर्व नियमित शिक्षक संवर्ग जो अधिकतर पदोन्नत होकर व्याख्याता प्रधान पाठक और प्रचार्यो तक बन गए है। पूर्व जो पंचायत शिक्षक जो व्याख्याता ही भर्ती हुए थे और जो नियमित शिक्षक सहायक शिक्षक से व्याख्याता बने है, इनके बीच संस्थाओं मे अधिकारों और वरिष्ठता क्रम को लेकर तकराते सुनने में आ रहे है।

जैसे किसी संस्था में व्याख्याता पूर्व से पदस्थ हैं, जो कि पूर्व में पंचायत विभाग के अंतर्गत व्याख्याता पंचायत कहलाते थे ….. ! वर्तमान में उनका संविलियन हो चुका है। वे वह नियमित हो चुके है। …. अब उसी संस्था में कोई व्याख्याता जो पूर्व में नियमित सहायक शिक्षक था जो पदोन्नत होकर उस संस्था में आया हो उसका क्रम संस्था में क्या होगा।

अर्थात पूर्व से पदस्थ व्याख्याता और पदोन्नत व्याख्याता दोनों में समयांतर है । लेकिन संविलयन उपरांत पूर्व में सीधी भर्ती से नियुक्त व्यख्याता (पं/ननि) जो एल बी हो गए है उन्हें प्रभार में कनिष्ठ माना जा रहा है । सरकारी दस्तावेजो के मुताबिक इसमे उचित क्या है…?

इस विषय पर जानकारों के अनुसार अपने स्थानपन्न पद में पूर्व में सीधी भर्ती से प्रथम बार चयनित और कार्यभार ग्रहण करने वाले कर्मचारी वाले कर्मचारी पश्चातवर्ती बाद चयनित या पदोन्नति से पदस्थापित कर्मचारी से वरिष्ठ होंगे और उन्ही क्रम में पाठकान् में नाम अंकित किया जायेगा तथा उन्ही क्रम में संस्था का प्रभार सोंपा जायेगा ।

नियमो के अनुसार पूर्ववर्ती चयन के परिणाम स्वरूप नियुक्त व्यक्ति पश्चातवर्ती चयन के परिणाम स्वरूप नियुक्त व्यक्ति से वरिष्ठ होंगे । वरिष्ठता का लाभ मुख्य रूप से पदोन्नति के लिए मिलता है ……समान्यतः वरिष्ठता सूची उसी स्तर पर बनाई जाती है । शिक्षा कर्मी वर्ग तीन एवं वर्ग दो की जिला पंचायत दुवारा पदोन्नति 7 वर्ष पूर्ण करने पर प्रावधान था।

वर्ग एक के लिए आगामी पदोन्नति के नियम नही बनाऐ गए परन्तु ज्ञात हो कि वर्ग एक की नियुक्ति व्यख्याता पद विरुद्ध की गयी थी, और उसी के पूरक माना गया है ।अतः उसका पदोन्नत पद भी वहीँ होना चाहिए जो व्यख्याता का पदोन्नत पद प्राचार्य होना चाहिए । चुकी व्यख्याता का पदोन्नति राज्य स्तर पर होती है। अतः इसकी वरिष्ठता सूची राज्य स्तर पर तैयार होगी ।

शिक्षक नेताओ से हुई चर्चा में यह बात सामने आई कि राज्य शासन द्वारा शिक्षा कर्मियो की नियुक्ति स्कूल शिक्षा विभाग के सहायक शिक्षक ,शिक्षक और व्यख्याता पद विरुद्ध समकक्ष पद पर की गयी थी। चाहे वेतन कम दे रही हो । शासकीय नियमानुसार रिक्त पद का 50 %मानकर पदोन्नति और 50%सीधी भर्ती से की गयी है। इस प्रकार स्कूल शिक्षा विभाग में रिक्त पद के आधे पदों पर शिक्षको एवं व्यख्याता को पदोन्नति दी गयी है।

इस प्रकार सीधी भर्ती से पहले नियुक्त सहायक शिक्षक के बाद शिक्षा कर्मी तीन, शिक्षक के बाद शिक्षा कर्मी वर्ग दो के पदोन्नति से नियुक्त शिक्षक ,इनके बाद सीधी भर्ती से नियुक्त व्यख्याता/शिक्षा कर्मी एक एवं उनके बाद पदोन्नति से नियुक्त व्यख्याता / शिक्षा कर्मी एक (जो पहले पदोन्नति प्राप्त किये हो )के बीच आपसी वरिष्ठता तय की जानी चाहिए …!

परन्तु संस्था में जो कर्मचारी अपने पद पर चाहे सहायक शिक्षक हो ,शिक्षक हो या व्यख्याता जो अपने पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त है वे पदोन्नति से नियुक्त कर्मचारी से वरिष्ठ होंगे और उसी क्रम में संस्था का दायित्व का निर्धारण होना चाहिए ।
इस विषय पर बिलासपुर संभाग के स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक राम सागर चौहान से पर चर्चा करनी चाही तो उनसे बात नही हो पाई।शिक्षको नेताओ का मानना है कि राज्य शासन ने 1.7.2018 से 8 वर्ष पूर्ण कर चुके सहायक शिक्षक,शिक्षक,व्यख्याता(पं/ननि)सवर्ग को स्कूल शिक्षा विभाग में ई एल बी/टी एल बी सवर्ग में संविलयन किया है पदोन्नति हेतु दोनों का अलग अलग वरिष्ठता सूची तैयार हो सकती है ।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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