संविलियन के बाद मध्य प्रदेश के शिक्षकों को मिला अधिक लाभ, छत्तीसगढ़ के शिक्षक अभी भी इन सुविधाओं से हैं वंचित

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बिलासपुर।शिक्षा कर्मीयो का  संविलियन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगभग एक साथ हुआ, और दोनों प्रदेश में हुए संविलियन के लिए हुए शिक्षक आंदोलन प्रमुख वजह रही है। संविलियन के मामले में छत्तीसगढ़ के शिक्षक मानते है कि लाभ में मध्यप्रदेश प्रदेश के शिक्षक रहे है। वहाँ सबका संविलियन हो गया है यहाँ आठ वर्ष का बंधन अब भी जारी है। प्रदेश में अभी तक अनुमानित लगभग 9  हजार संविलियन से वंचित शिक्षा कर्मियों की सँख्या है। छत्तीसगढ़ के शिक्षक आर्थिक मामलों में लाभकारी स्थिति में नही है।मध्यप्रदेश में साथ नियुक्त हुए शिक्षकों को क्रमोन्नति का लाभ मिल रहा है। जबकि छत्तीसगढ़ के शिक्षक इससे वंचित है। सीजीवालडॉटकॉम न्यूज़ के व्हाट्सएप् से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन की प्रेस नोट में प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजिद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, प्रांतीय सचिव मनोज सनाढ्य, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ने बताया कि क्रमोन्नति की मांग सर्वोपरि है, 1 लाख 9 हजार शिक्षा कर्मियों का जुलाई 2018 को संविलियन हुआ था, जिसमे से 94 हजार एल बी संवर्ग के शिक्षक जो एक ही पद पर 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके है, क्रमोन्नति के पात्र है, 2019 में संविलियन हुए 15 हजार शिक्षा कर्मी भी 2021 में क्रमोन्नति के पात्र हो जाएंगे तथा यह प्रक्रिया निरंतर रहेगी। 

संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि मध्यप्रदेश में साथ नियुक्त हुए शिक्षकों को क्रमोन्नति का लाभ मिल रहा है व वित्त विभाग के आदेश में भी प्रथम नियुक्ति से कुल सेवा अवधि का लाभ देने का नियम है।सभी तथ्यात्मक दस्तावेजो के साथ शीघ्र ही एसोसिएशन द्वारा मंत्रालय में अधिकारियों को ज्ञापन सौंप कर भूतलक्षी प्रभाव से क्रमोन्नति आदेश को लागू करने सहित 2013 को लागू पुनरीक्षित वेतन मान के त्रुटिपूर्ण / विसंगति पूर्ण निर्धारण पर सचिव व संचालक द्वारा जारी रिवाइज एल पी सी पर स्पष्ट आदेश जारी करने का मांग किया जाएगा.

साथ ही सम्पूर्ण संविलियन, क्रमोन्नति/समयमान सभी पदों पर पदोन्नति, पुरानी पेंशन बहालीवेतन विसंगति, अनुकम्पा नियुक्ति, सहित प्रमुख मांगो पर चर्चा कर मांग  की जाएगी।एशोसिएशन की ओर से जाती प्रेस नोट में बताया गया कि शासकीय आंकड़ा के अनुसार कुल 1 लाख 40 हजार शिक्षा कर्मी प्रदेश में कार्यरत थे, जिसमे से 1 लाख 9 हजार शिक्षा कर्मियों का जुलाई 2018 को प्रथम चरण में संविलियन हुआ।

शेष बचे 31 हजार में से 15 हजार शिक्षा कर्मियों का जुलाई 2019 को संविलियन हुआ।जिसके बाद शेष 16 हजार शिक्षा कर्मियों में से 7 हजार शिक्षा कर्मियों का जनवरी 2020 में संविलियन हो रहा है।जनवरी 2020 के बाद केवल 9 हजार शिक्षा कर्मी ही संविलियन से वंचित रह जाएंगे, अतः एसोसिएशन की मांग है कि जनवरी 2020 में ही सम्पूर्ण संविलियन कि सौगत दिया जावे।

एशोसिएशन ने स्पस्ट किया कि कतिपय लोग जनवरी 2020 के बाद भी 16 हजार शिक्षा कर्मियों को संविलियन से वंचित बता कर सम्पूर्ण संविलियन में अधिक बजट भार का आंकड़ा प्रस्तुत कर जाने अनजाने में मांगो को अवलम्बित करने का काम कर रहे है। टीचर्स एसोसिएशन पुनः स्पष्ट करता है कि केवल 9 हजार शिक्षा कर्मी ही संविलियन से वंचित हो रहे है, अतः उन्हें भी जनवरी 2020 में संविलियन करने से अधिक वित्तीय भार नही आएगा, तथा जनघोषणा पत्र के एक बिंदु का क्रियान्वयन भी हो जाएगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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