सच लिखेंगे…तो लोग जरूर पढेंगे-वरदराजन

BHASKAR MISHRA
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view_interबिलासपुर— प्रसिद्ध पत्रकार सिद्धार्थ वरद राजन और ललित सुरजन ने आज प्रगतिशील लेखक 16 वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। दोनों वक्ताओं ने हमारा समयः साहित्य,मीडिया और सत्ता का अन्तर सम्बध विषय पर खुलकर अपनी बातों को रखा। मीडिया और पत्रकार के बीच की महीन रेखा को परिभाषित करते हुए सत्ता के अन्तरसम्बध पर प्रकाश डाला। कार्यशाला के बाद प्रसिद्ध पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन ने पत्रकारों से कार्यशाला की उपयोगिता और विषय पर बातचीत की।

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                                         सिद्धार्थ वरदराजन ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मीडिया को पूंजीपतियों ने पूरी तरह से हथिया लिया है। पूजीपतियों ने अभिव्यक्ति का गला घोंट दिया है। लेकिन सोशल मीडिया ने मीडिया और सत्ता के अन्तर सम्बधों को उजागर किया है। राजन ने कहा कि पत्रकारिता डीरेल नहीं हुई है। यदि ऐसा होता तो आज हम खुले में सास लेने के काबिल नहीं होते। पत्रकार आज भी पूरी ईमानदारी से काम कर रहा हैं।

                                    असमानता के सवाल पर वरदराजन ने दो टूक कहा कि पिछले दस पन्द्रह सालों से भारत में भयंकर असमानता की देखने मिल रही है। चंद लोगों ने संसाधनों और सुविधाओं पर कब्जा कर लिया है। गरीबी के साथ सुरक्षा का ग्राफ तेजी से बढा है। प्रधानमंत्री पूंजीपतियों के आइकॉन साबित हुए है। देश के साथ पिछले चुनाव में गंदा मजाक हुआ है। गरीब अब छला महसूस कर रहा है।

                                       वरदराजन ने बताया कि पत्रकार आज भी मुखर है। लेकिन वह करे भी क्या….क्योंकि मीडिया हब पर पूंजीपतियों का कब्जा है। जाहिर सी बात है कि व्यवसाय करने वाले लोग पत्रकारों को अपनी सुविधा और व्यवसाय के अनुसार काम कराएंगे। वरदराजन ने कहा कि बाजार ने मीडिया को प्रभावित किया है। ऐसा होना ही था…

                                       एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होेने कहा कि सोशल मीडिया ने पत्रकारिता को नया स्वरूप दिया है। उसमें प्रखरता है और सच्चाई भी। लेकिन उन्होंने इस बात से इंकार किया कि सोशल मीडिया उत्तरदायित्व विहीन जिम्मेदारी निभा रहा है। जब प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया ने आम जनता को बहकाना शुरू कर दिया हो…ऐसे समय में सोशल मीडिया बेहतर काम करता नजर आ रहा है। बल्कि अन्य माध्यमों से तेजी के साथ असर भी दिखा रहा है। समय की बरबादी भी नहीं हो रही है। सिस्टम भी परेशान है। IMG20160910124928

                                     वरदराजन ने कहा कि सोशल मीडिया पर लोगों को विश्वास करना ही होगा। जमाना डीजिटल प्लेटफार्म पर है। लोगों के पास समय नहीं है। अन्य माध्यमों के प्रति लोगों में भयंकर अविश्वास है। लेकिन सोशल मीडिया के आते ही लोगों को बेपर्दा करना शुरू कर दिया है। इसके तेवर से सिस्टम परेशान और हैरान है। लोगों के साथ-साथ सिस्टम को भी सोशल मीडिया की सच्चाई को स्वीकार करना ही होगा।

                                     पत्रकारों से चर्चा के दौरान सिद्धार्थ ने कहा कि बहुत जल्दी वेवपोर्टल की क्रेडिबिलिटी बढ़ जाएगी। आज भी है….। लेकिन आने वाला समय वेव मीडिया का ही होगा। वरदराजन ने बताया कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मीडिया का सत्ता से गहरा नाता है। रिलायंस के विज्ञापन में प्रधानमंत्री का चेहरा आने के बाद यह बात जाहिर हो चुकी है।

                                       मीडिया के हल्केपन के सवाल पर उन्होने कहा कि अन्य माध्यमों को छोड़ दें तो…बताना चाहूंगा कि सोशल मीडिया की विश्वनीयता पत्रकारों के हाथ में है। यदि अच्छा और नीर क्षीर के साथ लिखा जाएगा तो उसे जरूर पढ़ा जाएगा। और पढ़ा जा रहा है। सोशल मीडिया की विश्वनीयता के सवाल के सवाल पर उन्होने कहा कि सच्चाई लिखेंगे तो लोग पढ़ना भी पसंद करेंगे।

                                      उन्होंने कहा कि सिस्टम या सरकार अन्दर की खबर क्यों देना चाहेगी। अन्दर की खबर को सरकारी पोषक मीडिया क्यों दिखना और लिखवाना पसंद करेगा। लेकिन सोशल मीडिया के साथ ऐसा नहीं है। आप लिखेंगे…लोग पढ़ेंगे…..। लोग पढेंगे तो सिस्टम में हायतौबा होगा….। सिद्धार्थ ने चर्चा के दौरान बताया कि शुक्र है कि 66 A को सुप्रीम कोर्ट ने अंकुश लगाया अन्यथा सोशल साइट्स की हालत परंपरागत मीडिया जैस ही होती ।

                                       आज प्रगतिशील लेखक संघ राष्ट्रीय कार्यशाला के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार नथमल शर्मा की किताब का विमोचन भी किया गया।

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