बिलासपुर—-नगर निगम सभापति अशोक विधानी ने पूर्ण शराब बंदी पर निगम की विशेष सत्र बुलाने से इंकार कर दिया है। निगम सभापति विधानी ने बताया कि विशेष सम्मेलन आपात परिस्थितियों में ही बुलाया जाता है। इस समय न तो कोई आपात जैसी स्थिति है और न विशेष सत्र बुलाने की आवश्यकता ही है। शराब बिक्री का निर्णय शासन स्तर पर लिया गया है। इसलिए विशेष सत्र बुलाने का सवाल ही नहीं उठता ।
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निगम सभापति अशोक विधानी ने शराबबंदी को लेकर विशेष सत्र बुनाने की कांग्रेसियों की मांग को अमान्य कर दिया है। कांग्रेस पार्षद दल ने एक दिन पहले पूर्ण शराबबंदी की मांग पर चर्चा करने विशेष सम्मेलन बुलाने की मांग की थी। सभापति ने कांग्रेस पार्षदों की मांग को तर्कहीन बताया है।
विशेष सम्मेलन बुलाए जाने के सवाल पर अशोक विधानी ने बताया कि विशेष सत्र आपात स्थितियों में ही बुलाया जाता है। बैठक में आपात परिस्थितियों से निपटने निर्णय लिए जाते हैं। इस समय नगर में आपात परिस्थिति जैसी कोई बात नहीं है। शराब बेचने का निर्णय छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया है। जाहिर सी बात है कि निर्णय के विरूद्ध सत्र नहीं बुलाया जा सकता है।
मालूम हो पूर्णशराब बंदी की मांग को लेकर मंगलवार को कांग्रेसी पार्षद नेता प्रतिपक्ष नेता प्रतिपक्ष शेख नजीरूद्दीन और कांंग्रेस पार्षद दल के प्रवक्ता शैलेन्द्र की अगुवाई में आपात सत्र बुलाने की मांंग पर ज्ञापन दिया था। कांग्रेस नेता शैलेन्द्र के अनुसार हेमूनगर,राजकिशोरनगर ,पुराना बस स्टैण्ड समेत निगम क्षेत्र के कई स्थानों में शराब दुकान का निर्माण कराया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने दुकान निर्माण का विरोध किया है। जनता चाहती है कि शासन शराब बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए। कांग्रेस पार्षदों ने नगरहित और जनता के आक्रोश को देखते हुए विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
शेख नजरूद्दीन ने बताया कि विशेष सत्र बुलाने सभापति से दुबारा मिलने का असफल प्रयास किया । मुलाकात नहीं होने की सूरत में हमने उनके टेबल पर विशेष सत्र बुलाने ज्ञापन छोड़ा है। उम्मीद है कि कांग्रेस की आवाज को सभापति जरूर सुनेंगे। नजरूद्दीन ने बताया कि सभापति से गुजारिश की है कि 28 मार्च को होने वाली बैठक के एजेंडे में शराबबंदी मांग को भी शामिल किया जाए।
एजेंडा एमआईसी से तय होता है…अशोक विधानी
निगम सभापति अशोक विधानी ने बताया कि बैठक का एजेंडा एमआईसी से तय होता है। अलग से एजेंडा शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता । शासन ने कारपोरेश का गठन कर शराब बेचने का फैसला किया है। निगम को आबकारी विभाग के जरिए सरकार ने क्षेत्र में शराब दुकान व्यवस्था करने को कहा है। नगर निगम क्षेत्र में वसुन्धरानगर, पुराना बस स्टैण्ड, राजकिशोरगर, सरकंडा समेत 10 स्थानों का चयन किया गया है। जानकारी आबकारी विभाग तक पहुंचा दी गयी है।
नाक का सवाल–शैलेन्द्र जायसवाल
कांग्रेस पार्षद दल प्रवक्ता शैलेन्द्र ने बताया कि क्या प्राकृतिक आपदा आने पर ही आपातकालीन सत्र बुलाया जाएगा। प्रदेश की जनता शराबबंदी की मांग कर रही है। जिन्हे शराब परोसा जाना है वही लोग विरोध कर रहे है। सिस्टम का हिस्सा होने के कारण निगम को आपत सत्र बुलाना चाहिए। मामला सीधे सीधे जनता से जुड़ा हुआ है।
महापौर में इतनी क्षमता नहीं है कि विशेष सत्र का सामने करें। सभी को मालूम है कि निगम सरकार महापौर नहीं बल्कि बाहरी शक्ति से संचालित होता है। चूंकि विशेष सत्र में शराब ही मुख्य मुद्दा होगा। सीधे तौर पर सरकार की नीतियों के खिलाफ होगा…इस के दौरान रखे गए प्रस्ताव को सरकार तक भेजना निगम की मजबूरी होगी। जाहिर सी बात है कि सभापति और महापौर विशेष सत्र नहीं बुलाएंगे। महापौर केवल कठपुतली मात्र हैं।
कांग्रेस को चिल्लाने और छपास का रोग
बजट सिर पर है। कांग्रेस को जनता लगातार नकार रही है। चीखना चिल्लाना कांग्रेस की आदतों में है। शैलेन्द्र जायसवाल को अच्छी तरह मालूम है कि आपात बैठक किन परिस्थितियों में बुलायी जाती है। वह पढ़े लिखे होनहार नेता हैं…। मैं सभापति से व्यक्तिगत रूप से गुजारिश करूंगा कि शैलेन्द्र जायवाल को बोलने के लिए एकल विशेष सत्र बुलाएं। इसमें केवल कांग्रेस पार्षद प्रवक्ता शैलेन्द्र को ही बोलने का अवसर दें।
पूरा सत्र उन्ही के नाम होगा। इस बहाने कांग्रेस को जगह जगह मिली हार का भड़ास भी निकल जाएगा। मनीष अग्रवाल ने बताया कि चीखना चिल्लाना..मुद्दों को रबर की तरह खींचना कांग्रेस की आदत है। शराब बेचने के लिए कारपोरेशन का गठन किया गया है। भला इसमें निगम की क्या भूमिका हो सकती है। रही बात शैलेन्द्र की प्रतिभा की तो मैं उनका सम्मान करता हूं।