समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीज का छत्तीसगढ़ से था गहरा लगाव…. आनंद मिश्रा ने दी श्रद्धांजलि

Chief Editor
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बिलासपुर।समाजवादी नेता और देश के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नाडीज के निधन की खबर से समाजवादी विचारधारा से जुड़े लोगों में शोक की लहर है। छत्तीसगढ़ के समाजवादी चिंतक आनंद मिश्रा ने उन्हे अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि मजदूर आँदोलन को नई दिशा देने के लिए उन्हे हमेशा याद किया जाएगा।छत्तीसगढ़ के संसाधनों के छत्तीसगढ़ में ही उपयोग किए जाने के मुद्दे को भी प्रभावी ढंग से उठाया था।आनंद मिश्रा ने कहा कि जॉर्ज फर्नांडीज एक प्रखर समाजवादी थे। वे मजदूर आँदोलन से आए थे और उन्होने आँदोलन को नई दिशा दी थी। उन्होने पहली बार मुंबई बंद का आह्वान  किया था। साथ ही कोऑपरेटिव्ह मूवमेंट में भी काफी काम किया था। इमरजेंसी के दौरान उन्होने जो काम  किया वह ऐतिहासिक है।  सीजीवालडॉटकॉम के whatsapp ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे

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उन्होने साफ तौर पर कहा था कि तानाशाही चला रही सरकार को गैरलोकतांत्रिक तरीके भी हटाया जा सकता है। उन्हे मालूम था कि इस पर उन्हे सजा भी हो सकती है। लेकिन उन्होने यह लड़ाई लड़ी। इस मामले में जस्टिस कृष्णा अय्यर का ऐतिहासिक जजमेंट है। जिसमें जनता सरकार की ओर से जॉर्ज फर्नांडीज के खिलाफ यह मामला वापस लेने को सही ठहराया गया था।

उन्होने कहा कि उद्योग मंत्री के रूप में उन्होने ऐतिहासिक काम किया । 70 के दशक में ही उन्होने दूरर्शिता के साथ कोकोकोला  पर पाबंदी लगा दी थी। कोकोकोला को एक घंटे के भीतर देश के बाहर किया गया था। कोकोकोला पर पाबंदी लगने के बाद उस समय कई देसज कंपनियों के उत्पाद सामने आए। जॉर्ज फर्नाडीज ने उद्योग मंत्री रहते हुए जिला औद्योगिक केन्द्र के माध्यम से स्थानीय – छोटे उद्योगों के विकास के लिए कई बड़े काम किए। उन्होने 28 उत्पादों को बड़े उद्योगों के लिए प्रतिबंधित किया। आज के दौर में विदेशी कंपनियों को लेकर बहुत  सी बातें हो रही हैं, जिन पर70 के दशक में ही उन्होने सवाल उठाए थे।

काफी समय तक जॉर्ज फर्नांडीज के साथ काम कर चुके आनंद मिश्रा याद करते हैं कि उन्होने छत्तीसगढ़ के लिए भी काफी काम किया था।उन्हे छत्तीसगढ़ से काफी लगाव था ।  उन्होने यहां के होमगार्ड का सवाल सबसे पहले उठाया था। उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ के कमर्शियल बैंकों में लोगों की ओर से जे फिक्सड डिपाजिट किया जाता है,  उसका दसवां हिस्सा भी यहां के लोगों को लोन के रूप में नहीं मिलता है। इसी तरह छत्तीसगढ़ के  खदानों से निकलने वाले कोयले के एवज में आसपास गांवों की तरक्की होनी चाहिए । वे गांव का पैसा गांव में ही खर्च करने के पक्षधर रहे।

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