समयमान वेतनमानः CM की घोषणा का पी आर यादव ने किया स्वागत …. लेकिन वेतन विसंगति दूर करने की मांग बरकरार.. रणनीति बनाने मीटिंग 2 अगस्त को

Chief Editor
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बिलासपुर । मुख्यमंत्री डॉ. रमन  सिंह ने प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के लिए बिलासपुर में बड़ी घोषणा की है। जिसके तहत कर्मचारियों को अब तीन स्तरीय के स्थान पर चार स्तरीय समयमान वेतनमान दिया जाएगा। काफी संमय से लंबित इस मांग को लेकर हुई घोषणा के बाद कर्मचारी संगठनों की ओर से प्रतिक्रियाएँ भी मिलने लगी हैं। इस सिलसिले में छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष  पी.आर.यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा का स्वागत है। लेकिन कर्मचारियों की वेतन विसंगति के मामले में भी सरकार को जल्द फैसला करना चाहिए । साथ ही राज्य प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट लेकर समय रहते उस पर भी फैसला करना चाहिए। बहरहाल मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद गुरूवार को रायपुर में अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन की बैठक बुलाई गई है। जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह की ओर से समयमान वेतनमान को लेकर   बिलासपुर में की गई घोषणा को लेकर अपनी प्रतिक्रिया में  पी.आर. यादव ने कहा कि   मुख्यमंत्री ने चार स्तरीय पदोन्नति समयमान वेतनमान दिये जाने की धोषणा का हम स्वागत करते हैं ।यह देर आयद-दुरुस्त आयद की तर्ज पर सरकार का अच्छा फैसला है। इस मुद्दे को लेकर पहले से ही अधिकारी- कर्मचारी फेडरेशन आंदोलन कर चुके हैं और सरकार के सामने अपनी बात पहुंचा चुके हैं।  हमारे बाक़ी मुद्दे मे से अनुकम्पा नियुक्ति के मुद्दे पर भी कैबिनेट मे निर्णय हो चुका है  । परन्तु अभी  भी वेतन विसंगति सहित सातवें वेतनमान का एरियर्स , गृह भाडा भत्ता , मेडिकल भत्ता,  नगर क्षतिपूर्ति भत्ता , ट्राइवल  भत्ता , नक्सल प्रभावित क्षेत्र भत्ता  जैसे मुद्दे हैं जो हमने अपने माँग पत्र मे शामिल किये हैं । भाजपा के 2013 विधानसभा के चुनाव घोषणा पत्र में भी  वेतन विसंगति दूर करने  का वायदा  किया गया है।
पी.आर.यादव ने कहा कि वेतन विसंगति का मुद्दा काफी गंभीर है और इससे बड़ी संख्या में कर्मचारियों का हित जुड़ा हुआ है। लिपिक , शिक्षक,तकनीकी कर्मचारी, स्वास्थ कर्मचारी- नर्स ,कार्यपालिक आदि सभी संवर्ग के कर्मचारी  इससे प्रभावित हैं। जिनका हर महीना काफी नुकसान हो रहा है। सभी वर्ग के कर्मचारी अपनी इस व्यथा को समय-समय पर सरकार के सामने रखते भी रहे हैं।कर्मचारी – अधिकारी फेडरेशन भी इसे लेकर लगातार आँदोलित हैं।  बीजेपी ने 2013 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि कर्मचारियों की वेतन विसंगति को दूर किया जाएगा। सरकार बनने के बाद उसे वायदे की याद दिलाने के लिए जब कर्मचारियों ने आँदोलन किया तो सरकार ने  करी तीन साल पहले अपने चुनावी घोषणा पत्र के अनुरूप राज्य प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया और उसमें वेतन विसंगति के मुद्दे को भी शामिल कर दिया। सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव सुयोग्य कुमार मिश्र की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया है। जिसने वेतन विसंगति को लेकर सभी विभागों के सभी कैडर के कर्मचारियों की सुनवाई कर ली है। लेकिन हालत यह है कि आयोग का कार्यकाल तीन बार बढ़ चुका है। फिलहाल आयोग का कार्यकाल दिसंबर 2018 तक बढ़ा दिया गया है। तब तक तो चुनाव ही हो जाएगे और समस्या का निराकरण ही नहीं हो पाएगा। सरकार के इस रवैये की वजह से वेतन विसंगति की प्रमुख समस्या अब तक बनी हुई है। जिसका निराकरण किए बिना समयमान वेतनमान की घोषणा एक तरह से ऊँट के मुंह में जीरा की तरह ही है। पी.आर.यादव कहते हैं कि अब सरकार को राज्य प्रशासनिक आयोग से जल्दी से जल्दी प्रतिवेदन लेकर वेतन विसंगति के मामले में शीघ्र निर्णय लेना चाहिए।
उन्होने बताया कि गुरूवार 2 अगस्त को शाम 5 बजे रायपुर में अधिकारी – कर्मचारी फेडरेशन की बैठक रखीगी है। जिसमें सभी मुद्दों पर बात होगी । साथ ही भविष्य की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
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