बिलासपुर— सोनलोहर्सी में 500 से अधिक गायों को समय रहते बचा लिया गया। अन्यथा दो दिन बाद अखबारों की सुर्खियां होती कि निजी कांजीहाउस में 500 गायों ने दम तोड़ दिया है। इसके पहले मामले की जानकारी जिला और प्रशासन को मिल गयी। प्रशानिक अमला मौके पर पहुंचकर बंधक बनाकर रखी गयी सभी गायों को ना केवल आजाद कराया। बल्कि ट्रक से लादकर बारनवापारा के जंगल की ओर भेजा कुछ को फसल बरबाद करने के लिए गांव में छोड़ दिया।
500 से अधिक गायों को बंधक बनाकर रखने की जानकारी मिलते ही पुलिस कप्तान प्रशांत अग्रवाल भी मौके पर पहुंच गए। इस दौरान एडिश्नल कलेक्टर बीएस उइके, एसडीएम मोनिका मिश्रा समेत क्षेत्र के सभी आलाधिकारी भी मौजूद थे। ग्रामीणों ने सरपंच और सचिव की जमकर शिकायत की। साथ ही हुज्जतबाजी भी की। यद्यपि मामले को नियंत्रित कर लिया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सोनलोहर्सी गौठान में गायों की मौत के लिए सरपंच,सचिव और ठेकेदार जिम्मेदार हैं। सरपंच और सचिव ने आरोप से बचने थानेदार से सांठ गांठ कर अपने आपको बचाने का प्रयास किया है।
जिला और पुलिस प्रशासन को जानकारी मिली कि सोनलोहर्सी में एक बड़े खुले अहाते में करीब 500 से अधिक गायों को बंधक बनाकर रखा गया है। मवेशियों को तीन चार दिनों से चारा पानी भी नहीं दिया गया है। खबर मिलते ही प्रशासन के कान खड़े हो गए। तत्काल पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर सरपंच और सचिव को तलब किया गया। साथ ही जमकर फटकारा भी
अधिकारियों ने ग्रामीणों ने बताया कि सभी गायों को दूसरे गांव से सरपंच और सचिव ने गौठान में रखने के लिए लाया था। सोनलोहर्सी गौठान हादसा के बाद मवेशियों को आवारा छो़ड़ दिया गया। ग्रामीणों के अनुसार गौठान से छूटने के बाद मवेशियों ने खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। जिसका किसानों ने विरोध किया। चूंकि सभी मवेशी बाहर से लाया गया है। इसलिए सरपंच और सचिव ने हालात बिगड़ने से पहले सभी 500 से अधिक गायों को एक खुले अहाते में डालकर ताला जड़ दिया। गायों को पिछले चार पांच दिनों से चारा भी नसीब नहीं हुआ है। इसकी शिकायत जिला पंचायत और मस्तूरी में की गयी।
ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया कि अहाता स्थानीय अभिषेक प्रसाद द्ववेदी का है। सरपंच और सचिव ने अहाता को शायद किराये में लेकर सभी गायों को बन्द किया है। इस दौरान सरपंच और सचिव लगातार प्रयास करते रहे कि बात की भनक किसी को ना हो।
मौके पर पहुंचे अधिकारियों से स्थानीय लोगों ने सरपंच और सचिव की ना केवल जमकर शिकायत की। बल्कि सरपंच सचिव के साथ गौठान निर्माण करने वाले ठेकेदार को गौठान में गायों की हत्या का जिम्मेदार बताया। इस दौरान अधिकारियों के सामने ही ग्रामीणों ने सरपंच और सचिव के साथ जमकर हुज्जत बाजी की । पुलिस के प्रयास से मामला किसी तरह शांत कराया गया। लेकिन नाराज ग्रामीण बार-बार सचिव और सरपंच के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते रहे। साथ ही जमीन मालिक को भी सजा दिए जाने को कहा।
सभी गायों को कराया गया मुक्त
मामले को गंभीरता से लेकर मौके पर पहुंचे प्रशानिक और पुलिस अधिकारियों ने बंधक बनाई गयी सभी गायों मुक्त कराया। भूखे प्यासे सभी गायों को ट्रक में लादकर कसडोल क्षेत्र के बारनवापारा जंगल की तरफ रवाना किया। फिलहाल गायों को कहां छोड़ा गया..इस बात की जानकारी अभी तक नहीं मिल सकी है। लेकिन आजाद करायी गयी गायों की हालत बहुत नाजुक है।
सैकड़ों मवेशियों को गांव में छोड़ा गया..ग्रामीणों में आक्रोश
जानकारी के अनुसार प्रशासन ने मात्र 150 गायों को ही बारनवापारा के जंगल की तरफ भेजा है। करीब 300-400 से अधिक मवेशियों को गांव की तरफ छोड़ दिया है। ऐसा करने के बाद ग्रामीणों में भयंकर आक्रोश है। ग्रामीणों ने बताया कि यदि मवेशियों ने फसल को नुकसान पहुंचाया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
काउकैचर बुलाकर पकड़ा जाएगा
नाराज ग्रामीणों को इस दौरान पुलिस और प्रशासन ने भरपूर समझाने का प्रयास किया। एसडीएम मोनिका मिश्रा ने बताया कि छोडे मवेशियों को जल्द ही पकड़ेंगे। इसके लिए निगम बिलासपुर से काउकैचर भेजने को कहा गया है। लेकिन ग्रामीणों ने विरोध करते हुए कहा कि हम बहकावे में नहीं आने वाले हैं। यदि फसलों को नुकसान हुआ तो इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा।
निजी जमीन पर जबरदस्ती बनाया कांजी हाउस
जमीन मालिक अभिषेक द्विवेदी ने बताया कि सरपंच और सचिव ने जमीन को जबरदस्ती कांजी हाउस बना लिया है। ऐसा करने के लिए जब विरोध किया तो दोनों ने सरकारी के काम में दखलंदाजी करने और सजा दिए की धमकी दी। बात नहीं माने जाने पर मैने एक लिखित शिकायत कलेक्टर, एसडीएम और जिला पंचायत से की है।अभिषेक ने बताया कि जिस जमीन को सरपंच और सचिव ने जबरदस्ती कर अघोषित कांजी हाउस बना दिया है। उस जमीन को छत्तीसगढ सरकार ने आवास के लिए दिया है।
सरपंच और सचिव को बचाने का आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि बताया कि जांच टीम ने लोहर्सी गौठान में गायों की हत्या के लिये सरपंच और सचिव को दोषी माना है। रिपोर्ट पचपेढ़ी थाना के पास पहुंच चूकी है। दोनों के खिलाफ अपराध दर्ज करने को भी कहा गया है। लेकिन दोनों ने थानेदार से सांठ गांठ कर लिया है। थानेदार धमकी देता है कि रिपोर्ट आई है लेकिन अपराध दर्ज नहीं करूंगा। मेरी भी रायपुर तक पहुंच है। जिसको जो करना है कर ले। बताया कि दाल में कुछ काला है क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले ही सरपंच और सचिव को लाखों रूपए आवास योजना के लिए मिले हैं।
छ महीने से वेतन नहीं मिला…दूंगा इस्तीफा..गौठान ने पका दिया कान
सचिव कुर्रे ने बताया कि यदि मेरी गलती हो तो सचिव की नौकरी छोड़ दूंगा। गांव वालों ने तीन पहले बैठक मवेशियों से फसल बचाने को कहा। हमने मवेशियों को जनता से पूछ ताछ के बाद अहाते में बन्द किया। इसमें मेरी गलती नहीं है। कुर्रे ने बताया कि गौठान के चलते मेरा कान पक गया है। पागल हो गया हूं। कोई नहीं पूछता कि मुझे पिछले 6 महीने से तनख्वाह क्यों मिला है। क्या मेरे बाल बच्चे नहीं है। मेरा भी खबर लिखों। शासन से पूछो की वेतन कब दोंगे। गौठान नहीं बल्कि जी जंजाल हो गया है। मै नहीं करना चाहता नौकरी। थक गया हूं अब कलेक्टर से मांगूगा वेतन।