रायगढ़।छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देश क्रमांक 12/2020 दिनांक 27 मई 2020 के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ के शासकीय कर्मचारियों का वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगाई गई है। छत्तीसगढ़ में अमूमन माह जुलाई में शासकीय कर्मचारियों का वार्षिक वेतन वृद्धि जोड़ा जाता है जो कि मूल वेतन का 3% वार्षिक वेतन वृद्धि के रूप में प्रदान किया जाता है। जिसके अनुसार शासकीय सेवकों को वर्ष में वेतन वृद्धि प्राप्त होता है और शासकीय सेवक इसका उपयोग अपने जीवन यापन को बेहतर बनाने एवं महंगाई को लड़ने के रूप में करते हैं। सरकार द्वारा वार्षिक वेतन वृद्धि पर लगाई गई रोक को संयुक्त शिक्षक संघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष केदार जैन ने गैर वाजिब निर्णय बताया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये
क्योंकि कोरोना के संक्रमण काल में सरकार समस्त वर्ग को अपनी विभिन्न योजनाओं एवं पैकेज देकर के सुदृढ़ बनाने का कार्य कर रही है। लेकिन शासकीय सेवकों का वार्षिक वेतन वृद्धि जैसा सुदृढ़ता को रोकना उनके और उनके परिवार के जीवन यापन पर निश्चित ही प्रतिकूल असर डालेगा। प्रांताध्यक्ष केदार जैन, संभाग अध्यक्ष बिलासपुर मुकुंद उपाध्यक्ष ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्रीय भूपेश बघेल से मांग किया है कि शासकीय सेवकों के वेतन वृद्धि में रोक के आदेश को तत्काल वापस लिया जाए और उसे यथावत बने रहने दिया जाए ताकि शासकीय सेवकों को वेतन वृद्धि का लाभ यथावत मिले। इससे राज्य सरकार पर कुछ खास भार पडने वाला नहीं है। संयुक्त शिक्षक संघ कोरोना काल में सरकार के प्रत्येक निर्णय व कदम पर साथ देकर अपनी भूमिका का निर्वहन कर रही है।
चाहे वह अपने वेतन को मुख्यमंत्री राहत कोष में देना हो ,ऑनलाइन पढ़ाई की बात हो या कोरोना वारियर के रूप में काम करने की बात हो।अतः संयुक्त शिक्षक संघ सरकार से पुनः मांग करता है कि वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक को वापस लेते हुए ,वेतन वृद्धि को यथावत रहने दिया जाए।