बिलासपुर—इस साल अलग से नसबन्दी शिविर नहीं लगाया जाएगा। पूर्वनियोजित कार्यक्रम के तहत अब स्थानीय चिकित्सालयों में ही मंगलवार और शुक्रवार को नसबंदी किया जाएगा। नसबन्दी हादसे के बाद सरकार ने अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है कि अलग से नसबन्दी शिविर का आयोजन किया जाए। ये बातें आज सीएचएमओ एसपी सक्सेना ने सीजी वाल से बातचीत के दौरान कही।
सक्सेना ने बताया कि 11 जुलाई से 24 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। नसबन्दी काण्ड के बाद शासन ने अलग से नसबन्दी शिविर लगाने से मना किया है। अब पूर्व नियोजित दिनों जैसे मंगलवार और शुक्रवार को ही प्रत्येक चिकित्सालय में नसबन्दी किया जाएगा। सीएचएमओ ने बताया कि हमारा प्रयास है कि लोगों को जागरूक किया जाए। हमने जनसंख्या स्थिरीकरण को सफल बनाने के लिए अन्य साधनों पर विश्वास करने का निर्देश दिया है। सक्सेना ने बताया कि गर्भनिरोधक गोलियां क्रिया और प्रतिक्रिया दोनों ही करती है। इसलिए इनका इस्तेमाल सोच समझकर किया जाए। बावजूद इसके इन गोलियों का प्रभाव जैविक प्रक्रिया पर बहुत अधिक नहीं पड़ता है।
सीजी वाल से सीएचएमओ सक्सेना ने बताया कि बिलासपुर संभाग के दो जिलों में इन्द्रधनुष अभियान को अच्छी सफलता मिली है। हमने 125 प्रतिशत कामयाबी हासिल किया हैं। चार चरणों के बाद योजना को अब बंद कर दिया गया है। अब केन्द्रों में ही सामान्य रूप से टीकाकरण किया जाएगा। एक सवाल के जवाब में सक्सेना ने बताया कि कोटा से जानकारी मिली थी कि रिंगर लेक्टेड लगाने से मरीजों को कपकंपी के साथ बुखार आता है। बाद में जांजगीर चांपा रायगढ़ से भी इसी प्रकार की शिकायत मिली थी। उन्होंने बताया कि हमारे पास परवरी बैच का स्टाक है। अभी तक इसकी कोई शिकायत नहीं थी। प्लूड के रखरखाव में कुछ गड़बड़ी हुई है इसलिए इस प्रकार की शिकायत मिल रही है। संज्ञान में लेते हुए हमने रिंगर लेक्टेड को वापस ले लिया है। इसकी सूचना सीजीएमसीए को भी दे दी गयी है। हमारे पास इसका विकल्प भी है। लेकिन रिंगर लेक्टेट फ्लूड पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
बाढ या बारिश जनित बीमारियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से तैयार है। हमारी चुस्ती का ही नतीजा है कि मात्र खरकेना में ही एक व्यक्ति को छोड़कर कोई गंभीर मरीज सामने नहीं आया है।