सरकार की नीति में भू-माफियों की सेंध..जमीन पर शुरू हुआ कब्जा का खेल .. खेल में रसूखदार भी शामिल ..प्रशासन को मिले 200 आवेदन

BHASKAR MISHRA
5 Min Read

बिलासपुर—- सरकार ने आदेश जारी कर प्रदेश के सभी निकाय क्षेत्रों में नजूल की खाली जमीन पर काबिज लोगों को स्थायी पट्टा देने का एलान किया है। इसी क्रम में जिला बिलासपुर भू-अभिलेख को स्थायी पट्टा लेने के लिए अब तक 200 से अधिक आवेदन मिल चुके हैं। इस दिशा में जिला प्रशासन की कार्रवाई भी तेज हो गयी है। इसके साथ ही भू-माफियों की सक्रियता भी बढ़ गयी है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                           जानकारी हो कि शासन ने एक जनहित में एक आदेश जारी कर नजूल की जमीन पर सालों से काबिज लोगों को शासकीय स्थायी पट्टा देने का एलान किया है। शासन ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि शासकीय भूमि पर काबिज व्यक्ति यदि भू-स्वामीहक चाहता है तो उसे अतिरिक्त शर्तों का पालन करना होगा। शर्तों का पालन करने वाले व्यक्ति को ही जमीन का भूस्वामी हक दिया जाएगा। शासन ने इस आशय का सर्कुलर जिला कलेक्टर कार्यालयों को जारी भी कर दिया है।

                                    जानकारी मिल रही है कि सर्कुलर के जारी होने के बाद भू-माफियों की सक्रियता कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है। शासन से जारी सर्कुलर के अनुसार नए आदेश के पहले नजूल क्षेत्र अन्तर्गत आने वाली जमीन पर काबिज व्यक्ति को शासकीय स्थायी पट्टा हासिल करने के पहले निर्देशों का पालन करना जरूरी है। शर्तों के अनुसार जमीन पर काबिज आवेदन कर्ता को स्थायी शासकीय कब्जा वाला पट्टा हासिल करने सरकारी दर से प्रति वर्ग पुट डेढ गुना भुगतान करना होगा। इसके अलावा यदि कब्जेदार भू-स्वामीहक का अधिकार चाहता है तो इसके लिए उसे दो प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करना होगा। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि पुराने शासकीय स्थायी पट्टा हासिल कर चुके लोग भू-स्वामी हक के लिए आवेदन कर सकते है। लेकिन इन्हें भी दो प्रतिशत का भुगतान करना होगा। इसके बाद ही भू-स्वामी हक पट्टा दिया जाएगा।

               बताते चलें कि पुराने नियम के अनुसार जिन्हें शासकीय स्थायी पट्टा हासिल हो चुका है। उन्हें प्रतिवर्ष भूःभाटक देना होता है। नए नियम के अनुसार ऐसे लोग सरकारी दर पर दो प्रतिशत टैक्स भुगतान कर भू-भाटक से ना केवल छुटकारा पा सकते है..बल्कि हमेशा के लिए भू-स्वामी हक भी हासिल कर सकते है। 

बढ़ गयी समस्या

               शासन से जारी आदेश के बाद भू-माफियों की बांझे खिल गयी है। चूंकि शहरी जमीन का बाजार दर बहुत ज्यादा होता है। पहले से काबिज गरीब लोग बाजार कीमत तो दूर जमीन की सरकारी कीमत भी देने की स्थिति में नहीं है। शासकीय पट्टा हासिल लोगों का कहना है कि भू-भाटक पटाना आसान है। क्योंकि जमीन पर भू-स्वामी हक पाने के लिए सरकारी दर प्रतिशत टैक्स की स्थिति ना तब देने की स्थिति में थे और ना ही आज है। रही बात जमीन की सरकारी कीमत से डेढ़ गुना राशि देने की तो वह उनके लिए संभव नहीं है। यदि संभव होता तो सरकारी जमीन पर कब्जा क्यों करते। 

           फिलहाल जैसी की जानकारी के अनुसार भू-माफिया गरीबों की काबिज जमीन का सौदा करना शुरू कर दिया है। सरकारी जमीन पर काबिज गरीबों को भारी भरकम राशि देकर खुद के नाम भू-स्वामी हक के लिए आवेदन कर रहे है। जानकारी तो यह भी मिल रही है कि निगम क्षेत्र में शामिल नए क्षेत्रों की खाली एकड़ों सरकारी जमीन पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया है। बताया तो यह भी जा रहा है कि जमीन हथियाने के गोरखधंधे में राजस्व अधिकारियों का सहयोग लिया जा रहा है। खासकर नए क्षेत्रों में खाली सरकारी जमीन पर भू-स्वामी हक पाने रसूखदार और दबंग लोगों ने आवेदन भी कर दिया है। आवेदन में बताया जा रहा है कि खाली सरकारी जमीन पर सालों से उनका कब्जा है। सके लिए वे लोग जमीन की कीमत डेढ़ गुना भुगतान करने के लिए तैयार है। इसके अलावा अतिरिक्त दो प्रतिशत भी भुगतान करने को राजी है। बहरहाल लम्बी चौड़ी सरकराी जमीन पर भू-स्वामी हक पाने के आवेदन आने के बाद अधिकारियों के कान खड़े हो गए है। लेकिन रसूखदारों के सामने कुछ भी कहने से बच रहे है। अधिकारियों की माने तो ज्यादातर आवेदन गरीबों के नाम पर भू-माफियों के है। यदि समय बाद काबिज जमीन पर फैक्ट्री या काम्पलेक्स बन जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

Share This Article
close