सरपंच परस्तों का सरकारी जमीन पर कब्जा…सुलभ शौचालय को बनाया बंधक…कब्जाधारियों की दादागिरी से महिलाओं में खौफ

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— हिन्दुस्तान मे जुगाड़ आदर्श शब्द नहीं तो उससे कम भी नहीं है। बिलासपुर भी इससे अछूता नहीं है। जमीन घेरने से लेकर खाना खजाना तक जुगाड़ का महत्व है। प्रधानमंत्री मोदी ने शौचालय बनाने का अभियान क्या चलाया लिंगियाडीह पंचायत के रसूखदार जुगाड़ियों ने सार्वजनिक सुलभ शौचालय पर ही कब्जा कर लिया। बंसत विहार के सामने स्थित लिंगियाडीह का सुलभ शौचालय कभी सड़क के किनारे हुआ करता था। प्रधानमंत्री शौचालय अभियान के बाद लिंगियाडीह का सार्वजनिक सुलभ शौचालय दुकानों और घरों का हिस्सा बन गया। मजाल है कि अब कोई महिला दिन में सुलभ शौचालय जाने की भी सोचे। क्योंकि इस पर अब असामाजिक लोगों का कब्जा हो चुका है।

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                               लिगियाडीह वसंत विहार के सामने कभी ठीक सड़क के किनारे सार्वजनिक सुलभ शौचालय हुआ करता था। आज भी है..लेकिन सड़क किनारे नहीं..बल्कि दुकानों और घरों के पीछे। निर्माण के बाद इसका बहुत उपयोग हुआ करता था। लेकिन जुगाड़ी रसूखदारों ने ऐसी चकरी चलाई कि सार्वजनिक सुलभ शौचालय अब सार्वजनिक कम निजी ज्यादा हो गया है। चारो तरफ से अतिक्रमण कर सुलभ शौचालय को रसूखदारों ने पीछे धकेल दिया है। अब तो सड़क से सुलभ शौचालय दिखता भी नहीं है।

                                                    निर्माण के समय इस बात का ध्यान रखा गया कि जब सड़क का चौड़ीकरण होगा तो शौचालय के साथ कोई छेड़छाड़ की स्थिति नहीं बनेगी। लेकिन जुगाड़ियोंं ने सुलभ शौचालय पर अघोषित कब्जा कर लिया है। अगल बगल और सामने की सरकारी जमीन पर दुकान बनाकर व्यवसाय करना शुरू कर दिया है। इसमें लिंगियाडीह सरपंच की महत्वपूर्म भूमिका है। ठीक सुलभ के बगल में दुकान बना लिये गए हैं। यहां लोहा लंकड़ और वेल्डिंग का काम होता है। अभी भी गोदाम बनाया जा रहा है। लिगियाडीह सरपच की अनुमति से बगल से चार पांच दुकाने बन चुकी है। सुलभ के ठीक सामने काम्पलेक्स बना दिया गया है। जहां खाली जमीन है उस पर दिहाड़ियोंं ने कब्जा कर लिया है। कुल मिलाकर सड़क से सुलभ शौचालय दिखाई ही नहीं देता है।

             स्थानीय लोगों ने बताया कि सरपंच के इशारे पर लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया है। जिसके कारण अब सुलभ शौचालय तक पहुचने के लिए लोगों को दुकान के अन्दर से घुसकर जाना पडता है। खासकर महिलाओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सरपंच से मामले में बार बार शिकायत की गयी। लेकिन जब सरपंच के इशारे पर ही बेजाकब्जा हो रहा हो तो फरियाद का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। लोगों ने तो नाला पर भी कब्जा कर लिया है। लेकिन सरपंच को इससे कोई मतलब नहीं है। जाहिर सी बात है कि इसमें उसका ही फायदा है।

महिला की पीड़ा

          एक महिला ने बताया कि सुलभ पर दुकानदारों का कब्जा है। काफी अन्दर होने के कारण जाने में डर लगता है। सुलभ पर असमाजिक तत्वों का डेरा हो चुका है।पहले सुलभ शौौचालय खुले में हुआ करता था। लेकिन सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर लोगों ने दुकान बना लिया है। अब तो पता ही नहीं चलता कि यहा सुलभ शौचालय भी है।

                        महिला ने बताया कि मामले में घर परिवार के लोगों ने अधिकारियों से कई बार अतिक्रमण हटाए जाने की मांंग की..लेकिन हुआ कुछ नहीं। लोगों ने सुलभ के आगे पीछे दाएं बाए की सरकारी जमीन पर कब्जा कर नीजि सम्पत्ति का भी दावा करना शुरू कर दिया है।

अतिक्रमण हाटने कई बार नोटिस

  स्थानीय नागरिकों ने बताया कि सुलभ के आगे और दाएं बाए के अतिक्रमण को हटाने कई बार निगम प्रशासन ने नोटिस भेजा। लेकिन नोटिस का किसी पर भी असर नहीं हुआ।  लोग आज भी सरकारी जमीन पर काबिज हैं। सुलभ के ठीक दाहिने तरफ और आगे पक्का दुकान बन गया है। कभी यहां टीना टप्पर वाला दुकान हुआ करता था। लेकिन सरपंच की कृपा से अब पक्का और टिकाऊ दुकान बन चुके हैं। दुकान की बिजली भी सुलभ के मीटर से चलता है।

लोगों में आक्रोश

                             लोगों में सरपंच,सचिव और दुकान बनाने रसूखदारों के खिलाफ भयंकर आक्रोश है। लोगों ने सवाल करना शुरू कर दिया है कि लाखों रूपए का सुलभ शौचालय क्या इन दुकानदारों और सरपंंच चहेतों के लिए बनाया गया है। जिन्होने सरकारी जमीन पर बेजाकब्जा किया है। बहरहाल अतिक्रमण करने वालों पर निर्मल बाबा की तरह सरपंच का आशीर्वाद जमकर बरस रहा है। देखना है कि भ्रष्ट सरपंच का आशीर्वाद इन चहेतों पर कब तक बरसता है। क्योंकि आम जनता को पुरा भरोसा है कि एक ना एक दिन सरकार की कृपा भी बरसेगी और सरपंच परस्त बेजाकब्जाधारियों को हटना ही होगा। इसके बाद ही सुलभ शौचालय को आजादी मिलेगी।

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