सहायक आयुक्त से परेशान दयाल ने मांगी मौत की भीख

BHASKAR MISHRA
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IMG20170210163420बिलासपुर–जिला शिक्षा विभाग में संलग्न व्याख्यता के.आर.दयाल को बच्चों का हिमायती होना इतना भारी पड़ा कि अब वह इच्छा मौत की भीख मांग रहा है। आदिवासी विभाग सहायक आयुक्त ने इतना परेशान किया कि अब वह अपना दर्द विधानसभा में रखना चाहता है। गायत्री नेताम से परेशान के.आर.दयाल ने एलान किया है कि पत्र लिखकर मैं मुख्यमंत्री से इच्छा मौत की भीख मांगता हूं। दयाल ने बताया कि दर्द की इंतहा हो गयी है मुझे मौत चाहिए। आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त से तंग आ चुका हूं। गायत्री नेताम ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है।

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                           आदिवासी विभाग के कई छात्रावास में वार्डन रह चुके और वर्तमान में जिला शिक्षा विभाग में अटैच के.आर.दयाल को बच्चों का आधिकार मांगना भारी पड़ गया है। दयाल ने बताया कि दर्द की इंतहा हो गयी है। मुंझे एक साल में 6 बार स्थानांतरित किया गया। हालत ऐसे भी हो गए कि मैने एक दिन पहले ज्वाइन किया दूसरे दिन नया स्थानान्तरण पत्र हाथ में मिल गया। मुझे एक साल में जिले के कोने कोने में घुमाया गया। सहायक आयुक्त गायत्री नेताम के सामने जब भी अपनी पीड़ा को रखा उन्होने दूसरे दिन स्थानांतरण का आदेश थमा दिया।

                           के.आर दयाल ने अमित जोगी को भी पत्र लिखा है। पत्र में आदिवासी विकास सहायक आयुक्त गायत्री नेताम के खिलाफ द्वेषपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। दयाल ने बताया कि मुझे पिछले एक साल से आर्थिक मानसिक शारीरिक और जातिगत रूप से प्रताडित किया गया है। मात्र एक साल चार महीने में एक के बाद एक 6 बार स्थानांतरण किया गया। मुझे प्रताड़ित करने के लिए जिले के कोने कोने में बिल्लियों की तरह गायत्री नेताम ने घुमाया। जूनियर लोगों से मेरे खिलाफ डीई जांच करवाया गया। ऐसा सिर्फ मुझे नीचा दिखाने के लिए किया गया।

                                    दयाल ने बताया कि कलेक्टर से क्लीन चिट मिलने के बाद भी गायत्री नेताम ने छात्रों को रैली के लिए उकसाने के आरोप में मुझे निलंबित किया। बहाली के बाद मुझ पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाकर विभागीय जांच बैठा दिया गया।12 साल पहले शहीद वीर नारायण सिंह और गुरूघासीदास जंयती कार्यक्रम की व्यवस्था की जिम्मेदारी मुझे दी गयी। मुझे विभाग से बीस हजार रूपए अग्रिम राशि मिली। बताया गया कि इसके अलावा कार्यक्रम में जो भी खर्च होगा बिल व्हाउचर पेश करने के बाद राशि का भुगतान कर दिया जाएगा। करीब सत्तर हजार रूपए कार्यक्रम में खर्च हुए। मैने समायोजन के लिए सहायक आयुक्त को पत्र लिखा। मुझे दुबारा बिल व्हाउचर पेश करने को कहा गया। जमा करने के बाद भी आज तक समायोजित राशि नहीं मिली है।

                           मैने जब भी समायोजन के लिए पत्र लिखा या सहायक आयुक्त गायत्री नेताम से कहा तो मुझे दूसरे दिन स्थानांतरण पत्र थमा दिया गया। दयाल ने बताया कि गायत्री नेताम ने शासन के नियमों को भी मानने से इंकार कर दिया है। आयुक्त के निर्देश के बाद भी ना केवल मुझे स्थानांतरित किया गया बल्कि समायोजन राशि भी देने से इंकार कर दिया।

             दयाल के अनुसार निलंबन से एक साल पहले छात्रावास की समस्याओं को लेकर छात्रों के साथ कलेक्टर गया था। गायत्री नेताम ने कहा कि उन्हें इसके लिए स्पष्टीकरण देना होगा। मैने कलेक्टर को स्पष्टीकरण दिया। उन्होने तो मुझे क्लीन माफ कर दिया। लेकिन गायत्री नेताम ने मेरी शिकायत कमिश्नर से कर दी। कमिश्नर सोनामणि वोरा ने फाइल देखने के बाद मेरे से भी स्पष्टीकरण मांंगने को कहा। फाइल में गायत्री नेताम ने छात्रों पर दबाव डाकर मेरे खिलाफ कमिश्नर से शिकायत की थी। मैने स्पष्टीकरण दिया। लेकिन वोरा साहब का स्थानान्तरण हो गया। वर्तमान कमिश्नर निहारिका बारीक के सामने मेरा सप्ष्टीकरण को गायत्री नेताम ने पेश नहीं किया। संभागायुक्त ने मुझे निलंबित कर दिया। तीन महीने बाद नौकरी पर आया तो गायत्री नेताम ने मेरे खिलाफ पांच सदस्यीय जूनियर टीम की अग्रवाई में विभागीय जांच बैठा दिया।

                          दयाल ने बताया कि यह जानते हुए भी कि अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग के कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन या जांच का सहज प्रावधान नहीं है। बावजूद इसके गायत्री नेताम ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर मुझे निलंबित किया। जांच भी कराया। जो नियम का सरासर उल्लंघन है। जबकि पूरे मामले में मेरा कही भी कसूर नहीं है।

              दयाल ने बताया कि अब मैं थक गया हूं। मुझे न्याय नहीं मिल रहा है। मैने अमित जोगी को भी पत्र लिखा है। मामले को विधानसभा में उठाने की अपील की है। गायत्री नेताम की प्रताड़ना से परेशान होकर मैने मुख्यमंत्री से इच्छा मौत की भीख मांगने का फैसला किया है।

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