सहायक शिक्षक फेडरेशन की मांग – अब इंतजार न कराए सरकार 3500 दिवंगत शिक्षा कर्मियों के परिजन को मिले तत्काल अनुकम्पा नियुक्ति

Shri Mi
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रायपुर।”छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन” के प्रांतीय संयोजक जाकेश साहू ने प्रदेश के नवनियुक्त यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल से विनम्रता पूर्वक आग्रह करते हुए, भावपूर्ण निवेदन किया है कि 3500 दिवंगत शिक्षाकर्मियों के पीड़ित परिजनों को सरकार और इंतजार न कराएं, बल्कि मानवीय संवेदना का परिचय देते हुए तत्काल, सीधे, निःशर्त अनुकम्पा नियुक्ति का पत्र प्रदान कर, इन पीड़ित परिवारों के दुःखी, बेसहारा ओर असहाय नैनिहाल बच्चो, बूढ़े माता-पिता व दुःखी विधवा बहनों की दुआएं ले।

             
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“फेडरेशन” के ‘प्रांतीय संयोजक’ जाकेश साहू ने प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि विगत 2010 से अब तक प्रदेशभर में लगभग 3500 ऐसे परिवार है जिस परिवार के मुखिया पहले प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में शिक्षाकर्मी के रूप में अपनी सेवाएं देते हुए छोटे-छोटे स्कूली बच्चों का भविष्य गढ़ने में लगे थे।

अचानक स्वास्थयगत कारणों, दुर्घटना, गम्भीर बीमारी या अन्य किसी आपातकालीन कारणों से ऐसे लगभग 3500 शिक्षक अकस्मात काल के गाल में समा गए।

उक्त शिक्षकों के इस दुनिया मे नहीं रहने से सम्बंधित परिजन, इनके छोटे-छोटे दुधमुंहे बच्चे, बूढे और बीमार माँ-बाप तथा इनकी असहाय, बेरोजगार विधवा जीवन साथियों का रो-रोकर बुरा हाल है।

सबसे ज्यादा दुर्गति इन दिवंगत शिक्षाकर्मियों की पत्नियों अर्थात विधवा बहनों का है। चूंकि शिक्षकों के जीवित रहते इनका एक भरा पूरा परिवार था, छोटे-छोटे नैनिहाल बच्चे निश्चिंत होकर पढ़ाई-लिखाई करते हुए शाम को पिता की गोद मे बैठकर बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर बनने का एक सुनहरा सपना संजोए हुए थे। लेकिन अत्यंत ही दुर्भाग्य की बात है कि सर से पिता का साया उठते ही ये नैनिहालों का सपना आज चकनाचुर हो गया है।

इन परिवारों के परिजनों को आज शासन-प्रशासन से किसी भी प्रकार का कोई पेंशन नहीं मिलता न ही इन्हें आज तक अनुकम्पा नियुक्ति मिल पाई है। सबसे ज्यादा दुर्गति आज इन विधवा बहनों की है जिनके पति की मौतें हुई है, ये आज रोजी रोटी की तलाश में यंहा-वँहा दर-दर की ठोकरें खा रहे है।

प्रांतीय संयोजक जाकेश साहू ने बताया की प्रदेश की पूर्व भजपा सरकार ने अनुकम्पा नियुक्ति के मामलों में तरह-तरह की शर्तें रखकर पीड़ित परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया था। हमने कई बार इस ओर रमन सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था लेकिन सरकार की संवेदनाएं बिल्कुल मर चुकी थी।

अंततः 3500 पीड़ित परिवारों को अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिली और इन पीड़ित परिवारों की आह व बद्दुआ प्रदेश की रमन सरकार को लगी जिसमें रमन सिंह की सरकार विधानसभा चुनाव में भष्म हो गई। 65 सीटों का दावा करने वाले रमन सिंह की सरकार आज 15 सीटों में सिमट कर रह गई।

प्रांतीय संयोजक जाकेश साहू ने प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं सत्ता पक्ष के सभी बड़े नेताओ से भावपूर्ण निवेदन करते हुए सभी 3500 पीड़ित परिवारों को निःशर्त अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने का आग्रह किया है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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