सांसद मशहूर वकील विवेक तन्खा ने जताया दुख..राष्ट्रपति को लिखा पत्र.. बताया..CM ने उड़ाया संवैधानिक माखौल

BHASKAR MISHRA
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मप्र/छत्तीसगढ़—– राज्यसभा सांसद और अखिल भारतीय कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मशहूर वकील विवेक तन्खा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। पत्र मेे मध्यप्रदेश सीएम की गतिविधियों को लेकर नाराजगी और चिंता जाहिर की है। उन्होने कहा है कि मध्यप्रदेश के एक सीएम की सरकार को कोरोना जैसे संकट के दौरान संवैधानिक व्यवस्था का माख़ौल उडाने का काम किया है। यह बहुत ही पीड़ादायक है।
 
                   सांसद विवेक तन्खा ने अपने पत्र में लिखा है कि भारत के साथ ही दुनिया को बेहद अफसोस के साथ COVID-19 से जूझना पड़ रहा है। ऐसा लगता है कि गैरकानूनी तरीके से डिजाइन किए गए और खराब कल्पना के साथ एक-व्यक्ति के खिलाफ लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा है। निश्चित रूप से यह मध्य प्रदेश के 7.5 करोड़ लोगों पर एकतरफा जोर देता है। यह शेंनिगन गंभीर रूप से प्रभाव डालता है। इतना ही नहीं कोरोनो वायरस के खिलाफ युद्ध को प्रभावित भी करता है।
 
                 विवेक तन्खा ने खिन्नता और दुख जाहिर करने के साथ लिखा है कि 23 मार्च को भोपाल में तालाबंदी के बीच एक मुख्यमंत्री ने बिना मंत्रिमंडल के शपथ लिया। संविधान के अनुच्छेद 163 में कहा गया है कि “मुख्यमंत्री को अपने कार्यों के अभ्यास में राज्यपाल की सहायता और सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होना जरूरी है।
 
          सच तो यह है कि एक सीएम को अकेले में शपथ दिलाई जा सकती है। यह एक जवाबदेह मंत्रिमंडल के गठन की दिशा में उठाया गया पहला कदम है। 15 प्रतिशत की एक बाहरी सीमा जिसमें सीएम शामिल हैं। मंत्रियों की परिषद में शामिल होने की संख्या पर संवैधानिक पूर्ण विराम सा क्यों लगा दिया गया है। जरूरी है कि एक कैबिनेट हो… जो राजकीय कामकाज को लेकर राज्यपाल को सलाह दे।  लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि यहां एक ऐसा सीएम है जिसके पास कोई मंत्री नहीं। सरकारी काम को लेकर राज्यपाल को सलाह देने के लिए कुल मिलाकर कोई नहीं है। यदि है तो वह सीएम है…जो निश्चित रूप से संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है। और सब कुछ राज्यपाल के नाम पर किया जाता है।

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