सामाजिक बहिष्कार पर सख्त कानून की मांग

BHASKAR MISHRA
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IMG20160925132946बिलासपुर– नेहरू चौक पर आज सामाजिक कार्यकर्ताओं ने टोनही समेत समाज की कुरीतियों का बहिष्कार किया। खाप पंचायत जैसी परंपराओं का विरोध किया। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने अंतरजातीय विवाह के बाद बहिष्कार की पंरपरा को खत्म करने की अपील की। समित के अध्यक्ष.नेत्र विशेषज्ञ डॉ.दिनेश मिश्र ने सरकार से कुरीतियों और सामाजिक बहिष्कार जैसी घटनाओं के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की।

           अंधश्रद्धा निर्मूलन समित के बैनर तले आज सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नेहरू चौक पर एक दिवसीय धरना दिया। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मौके पर सामाजिक कुरीतियों को समाज से बाहर निकालने के लिए लोगों से एकजुट होने को कहा। खाप पंचायत जैसी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। समिति के संयोजक नेत्र विशेषज्ञ डॉ.दिनेश मिश्र ने कहा कि टोनही जैसी पंरम्पराये सभ्य समाज के चेहरे पर बहुत बड़ा दाग है। बेशक टोनही जैसी परंपराओं के खिलाफ सख्त कानून हैं। बावजूद इसके समाज की महिलाओं को इसका दंश आज भी झेलने पड़ रहा है। कानून तो है लेकिन उस पर अमल ठीक से नहीं हो रहा है।

              उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डॉ.दिनेश ने कहा कि जमाना तेजी से आगे की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन आज भी हमे पुरानी घिसी पिटी परंपराओं से रोज दो चार होना पड़ रहा है। जाति,समाज,ऊंच नीच की भावनाओं ने समाज की एकता को तार-तार किया है। अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह के बाद शादी शुदा जो़ड़ों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। कहने को कानून है लेकिन समाज के ठेकेदार अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। इन पर नियंत्रण की सख्त जरूरत है।

                             मिश्र ने कहा कि देखने में आया है कि अंतरजातीय और धार्मिक विवाह के जोड़ों को समाज के ठेकेदार बहिष्कृत कर देते हैं। हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है। गांव का गांव जो़ड़ों से दुर्व्यवहार करता है। कुआं,तालाब,हैन्डपम्प,बावली के पास जाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है। ऐसे लोगों का सामाजिक और व्यवहारिक कामों से दूर रखा जाता है। गांवों में आज भी ऐसे जोड़ों को पैसे देने के बाद भी दुकान से सामान नहीं मिलता। समझ में नहीं आता कि जुर्माना देने के बाद जोड़ों को जाति धर्म शामिल कर लिया जाता है। जाहिर सी बात है कि सामाजिक बहिष्कार को रसूखदारों ने व्यापार का जरिया बना लिया है।

       मिश्र ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार जैसी घटनाओं से समाज में हत्या,बलात्कार,आत्महत्या,पलायन को बढ़ावा मिला है। बावजूद इसके तंत्र इसे लेकर बहुत गंभीर नहीं है। पुलिस और जिम्मेदार विभागों के पास सामाजिक बहिष्कार का आंकड़ा भी नहीं है। लेकिन सभ्य समाज में किसी गांव में इस प्रकार की घटनाओं को रोज देखा जा सकता है। इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सक्षम कानून का होना बहुत जरूरी है। समिति इस दिशा में लगातार प्रयास भी कर रही है।

                     उपस्थित लोगों को प्रेस क्लब सह-सचिव अखिल वर्मा ने भी संबोधित किया। उन्होने भी सरकार से सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की।

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