साहित्यकारों ने दिया खतरे का संकेत—जोगी

BHASKAR MISHRA
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ajjeet jogiबिलासपुर–  पूर्व मुख्यमंत्री  अजीत जोगी ने सीजी वाल को बताया कि  देश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने साम्प्रदायिक घटनाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संकीर्ण होते दायरें के खिलाफ विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि देश  में असहिष्णुता के वातावरण पर चिंता जताते हुए कहा कि  साहित्यकार वर्ग ही नहीं देश का आम नागरिक बहुत चिंतित है। जोगी ने कहा कि साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित पुरस्कार लौटानें की घटना स्पष्ट करती है कि देश में बौद्धिक स्वतंत्रता के लिये कितनी भयावह स्थिति है। उन्होंने यह बात साहित्य अकादमी से पुरूस्कृत साहित्यकारों  नयन तारा सहगल, अशोक बाजपेयी, शशि देशपांडे, सारा जोसेफ, सच्चिदानंद और कुछ अन्य साहित्यकारों के बाद रविवार को कन्नड़ साहित्यकार अरविंद मालागट्टी और कुम वीरभद्रप्पा के  साहित्य अकादमी पुरूस्कार वापस करने की घटना पर यह बात कही।

             
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                          जोगी नें कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक साथ इतनें साहित्यकारों का अकादमी पुरूस्कारों का लौटाना, इस बात का संकेत देता है कि देश में बौद्धिक स्वतंत्रता समाप्ति की ओर है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों ने अकादमी पुरूस्कार को लौटाया है यह कोई साधारण घटना नहीं हैं। जोगी ने कहा कि जिन्होंने अकादमी पुरस्कार लौटाया है वे कोई मामूली साहित्यकार नहीं है। इनके कलम से देश को नई दिशा मिली है।

         री जोगी ने बताया कि जिस देश में बुद्धिजीवी, चिंतक, साहित्यकार शासन का विरोध करता है,  वहां निरंकुश सत्ताधारी अधिक समय तक शासन नही कर सकता है। अकादमी पुरस्कार लौटाकर बुद्धिजीवियों नें मोदी सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है। राष्ट्रपति नें भी कुछ दिनों पूर्व स्पष्ट किया था कि भारत की विविधता पूर्ण संस्कृति तथा बहुलता का सम्मान किया जाना चाहिये।

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