सीजीवाल क्यों ?…..  सवाल का हजारवाँ जवाब

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featured_image                                                   ( रुद्र अवस्थी )

बिलासपुर— पिछले 15 जून को सी.जी,वाल क्यों……यह सवाल  हमने ही किया था…  अपने संपादकीय पन्ने पर….।  और उसके बाद से लगातार cgwall.com पर खबरों –विचारों के जरिए इस सवाल का जवाब आपके सामने रखने की कोशिश भी करते आ रहे हैं।.. लेकिन हमसे कहीं बेहतर जवाब  सीजी वाल के प्रशसंकों ने दिया…। जब 15 जून के सिर्फ छब्बीस दिन और उन्नीस घंटे के भीतर यानी बारह जुलाई को शाम करीब सात बजे हमारे पाठक नवीन सिंह ने सोशल साइट पर सीजीवाल के नाम के आगे अपनी पसंद दर्ज की….।

naveen singh वे हजारवें व्यक्ति हैं जिन्होने सीजीवाल पर अपनी पसंद की मुहर लगाई…।  इस पर हमने जब उन्हे साधुवाद के साथ संदेश भेजा तो उनका जो जवाब आया वह उनके ही शब्दों में -” सौभाग्य हमारा जो आपके पेज से जुड़ा..बिलासपुर में पल बढ़कर …पुणे से बिलासपुर की खबरों को पढ़ना किसी सौभाग्य से कम नहीं….  ”।  नवीन सिंह ने बताया कि वे पुणे में रहते हैं औऱ वहां रहकर उन्हे बिलासपुर –छत्तीसगढ़ की खबरे सीजीवाल के जरिए मिल जाती हैं….।  सीजीवाल क्यों के इस हजारवें  जवाब  से यह समझने का मौका मिला कि नेट के जरिए शहर की गतिविधियों से शहर को रू-ब-रू कराने के साथ ही दूर बसे लोगों तक इन्हे पहुँचाने में मदद मिल रहीं है।  सीजीवाल की पूरी टीम इसे अपना सौभाग्य मानती है….। इन पंक्तियों को आपके सामने रखने का मकसद अपनी लोकप्रियता का डंका बजाना नहीं है…। अलबत्ता हम अपने पाठकों के प्रति आभार जताना चाहते हैं कि हमारी ओर से उठाए गए सवाल का जवाब पाठकों की ओर से मिल रहा है…। और इस जवाब ने हमारी जिम्मेदारी बढ़ा दी है ।     अपने जन्म काल से ही सीजीवाल की टीम ने खबरों को बिना किसी मिलावट और लाग लपेट के आम से लेकर खास तक पहुचाने की कोशिश की। सरपट दौड़ती तकनिकी दुनिया के साथ कदमताल करते हुए बेबाकी के साथ लिखना और सच्चाई को पेश करना कठिन जरूर है…लेकिन दुश्वार नहीं… सीजी वाल ने अपने प्रशंसकों के दम पर ऐसा कर दिखाया। मात्र छब्बीस – सत्ताइस दिनों के भीतर प्रशंसकों की ताकत ने सी.जी.वाल की प्रतिबद्धता को नया आयाम दिया है।

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पोर्टल की दुनिया में ऐसा बहुत कम ही होता है कि खबरें तेजी के साथ बिना किसी दबाव में लिखी जाएं । लोग इसे पसंद भी करें। तेजी से भागती दुनिया के पास सब कुछ है… लेकिन खबरों के लिए उसके पास समय नहीं है। इतना वक्त नहीं है कि वे दो पल ठहरकर खबरों तात्कालिक खबरों पर नजर फेर सकें, मंथन कर सकें। जब तक उन तक जानकारी पहुंचती है तब तक खबरें बासी हो चुकी होती हैं। खबरें पुरानी होने से पहले ही पुख्ता जानकारी के साथ लोगों तक पहुंच जाएं तो क्या कहनें…सीजीवाल  टीम ने अपने आलोचकों और समालोचकों के प्रयास से ऐसा कर दिखाया। सीजीवाल का यह मुश्किल भरा प्रयास था…लेकिन लोगों के प्यार ने सब कुछ संभव बना दिया। अब लोगों को खबरों के लिए कल  का इंतजार नहीं करना पड़ता है। इसे प्यार नहीं तो क्या कहेंगे कि वाल के प्रशंसकों की संख्या एक हजार के आंकड़े को पार गयी। इतना ही कह सकते हैं कि हम समय के साथ चलते हुए उससे आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं और हमारे चाहने वालों ने उसे आसान बना दिया है।आभार आपका…..।

हो सकता है कि  कुछ लोग मानते हों कि अभी मंजिल दूर है…लेकिन हमारा मानना है कि प्रशंसकों ने प्यार के जिस मजबूत प्लेटफार्म पर सीजी वाल को खड़ा किया है..उसी प्लेटफार्म से एक दिन समाज और व्यवस्था के अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए प्रशंसकों की रेल आएगी…जिसकी आवाज सीजी वाल अग्रिम पंक्ति तक पहुंचाएगा। यह दावा हम इसलिए नहीं कर रहे हैं कि हमें कुछ पाना है बल्कि इसलिए कर रहे हैं कि जन की आवाज को अग्रिम पंक्ति तक पहुंचाना है। यह सब प्रशंसकों के समर्थन और प्यार से ही होगा। सीजी वाल को पढ़ने वालों में मंत्री से लेकर संत्री तक शामिल हैं। टीम सीजीवाल ने कभी मुंह देखकर खबर नहीं लिखा। जिसे सभी लोगों ने बेहिचक स्वीकारा है। बिना किसी दबाव में रहते हुए सीजी वाल ने कांग्रेस की गतिविधायों को जिस बेबाकी के साथ लोगों के सामने रखा उतनी बेबाकी के साथ सत्तारूढ़ दल की खबरों का भी पोस्टमार्टम किया है।

रोजाना अपने आस-पास की छोटी-बड़ी खबरों के साथ ही  सीजीवाल  के… एक मुलाकात…. और…मेरी नजर में….कालम को भी विशेष प्रोत्साहन मिला है। एक मुलाकात को हमने बिलासपुर शहर तब और अब पर पर ही केन्द्रित किया है…साहित्यकार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, चिकित्सक डॉ.देवेन्द्र सिंह, पुलिस कप्तान बद्रीनारायण मीणा ने बिलासपुर पर अपना समग्र विचार  व्यक्त किया है। लोगों ने इन सबके विचारो का काफी हद तक समर्थन भी किया है। लेकिन बहुआयामी प्रतिभा के धनी मंच को जीतने वाले और महान कलाकार पृथ्वीराज कपूर का सानिध्य प्राप्त मनीष दत्ता के साक्षात्कर को पाठकों ने हाथों हाथ लिया है। ऐसी प्रतिभा जो मुंबई में होती तो शायद दुनिया उसे व्ही शांताराम के समकक्ष पाती लेकिन बिलासपुर को ही उन्होंने क्यों पसंद किया। इस रहस्य को जब सीजी वाल ने साक्षात्कार के जरिए सामने लाया तो बहुआयामी प्रतिभा के धनी मनीष दत्ता को लोगों ने महान फिल्मी हस्तियों  के समकक्ष पाया। इसके बाद तो लोगों ने गुमनामी की जिन्दगी व्यतीत कर रहे हस्तियों की तलाश शुरू कर दी है। साथ ही लोगों ने ऐसे लोगों को सामने लाने के लिए प्यार भरा आदेश दिया है।

सोशल मीडिया से मिले एक हजारवें जवाब ने हमारा हौसला बढ़ाया है। हमारी इस खुशी मे भी आपका साथ चाहते हैं। चूँकि इस पोर्टल का मालिकाना हक टीम सीजीवाल- के पास नहीं है, बल्कि आप ही इसके मालिक हैं। हमने पहले ही निवेदन किया था कि नेट के इस नेटवर्क में बिखरी सूचनाओँ को विश्वसनीयता और प्रामाणिकता की कसौटी पर रखकर उसे पाठकों तक पहुँचाना ही हमारा मकसद है। हम अपनी राह पर हैं….। बस आपकी ओर से जवाब मिलता रहे…..।  पुनः आपका आभार …।

 

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