सीवीआरयू के विद्यार्थियों ने किया कोटा के गांवों का भू-जल परीक्षण

Shri Mi
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water_kota_cvru_index♦पानी की शुध्द्ता में ध्यान देने की जरूरत
♦घरेलू और वैज्ञानिक तरीके से पानी को शुद्ध करने का तरीका बताया विद्यार्थियों ने
बिलासपुर(करगीरोड)।डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के विस्तार कार्यक्रम के तहत रसायन शास्त्र के विद्यार्थियों ने कोटा जनपद पंचायत के 10 गांवों का भू-जल परीक्षण किया है। पहले चरण का काम पूरा होने के बाद कोटा के इन गांवों के जल में क्षारियता और कठोरता की मात्रा अधिक पाई गई है। जिसमें पेट और मूत्र जनित रोग होने की आशंका है। यह जानकारी सामने आने के बाद विद्यार्थियों ने गांव के लोगों को घरेलू और वैज्ञानिक तरीके से पानी को शुद्ध करके उपयोग करने की सलाह दी है। यह विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंडों से जल परीक्षण किया जा रहा है। डॉ.सी.वी.रामन विश्वविद्यालय को जनपद पंचायत कोटा ने क्षेत्र के समस्त गंाव में भू-जल परीक्षण कर रोगों से बचाव के लिए जल परीक्षण व सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके बाद विद्यार्थी कोटा अंचल के गांव में जाकर जल परीक्षण करके प्रदूषित जल की पहचान और उससे होने वाली बीमारियों से बचाव की तरीके काम में जुट गए है।

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                                                         इसके पहले चरण में 10 गांव में जल परीक्षण का पूरा कर लिया गया है। विद्यार्थियों ने गांव-गांव जाकर अलग-अलग क्षेत्रों के जल का सेंपल लेकर परीक्षण किया है और सभी आंकड़े तैयार किए हैं। कोटा जनपंद पंचायत के 150 से अधिक गांव में जल परीक्षण का काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए रसायन विभाग के विद्यार्थियों कई टीम बनाई गई है। इसके साथ एक प्राध्यपक भी शामिल किए गए है। जो मौके पर विद्यार्थियों के साथ जा रहे हैं।

विवि में मौलिक शोध को प्राथमिकता-कुलपति
dubey_cvruइस अवसर कुलपति प्रो.आर.पी.दुबे ने बताया कि जीवन का मौलिक आधार जल है। बिना शुद्व जल के स्वस्थ्य जीवन की कल्पना नहीं जा सकती है। इसलिए विवि ने ऐसे मौलिक विषयों में अनुसंधान करने की जिम्मेदारी ली है और ऐसे अन्य विषयांें को शोध में शामिल किया जाएगा। किसी भी क्षेत्र का जीवन स्तर बेहतर करने के लिए उनके जरूरी आवश्यतओं पर शोध किया चाहिए। तभी कोई सार्थक शोध होता है। इसलिए हमने सबसे पहले विवि की परिधी के गांवों को केंद्रीत कर काम किया है। इसमें विश्वविद्यालय के शोधार्थी व विद्यार्थी जुटे हुए है। पूरे परिणाम आने के बाद इन क्षेत्रों के जल विविधता पर शोध किया जाएगा।

नीरी व सीएसई भेजी जाएगी रिपोर्ट-कुलसचिव
s pande cvruइस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने कहा कि जल ही जीवन है। जल परीक्षण का कार्य पूरा होने के बाद विस्तृत रिपोर्ट नेशनल एनवायमेंटल इंजीनियरिंग रिचर्स इंस्ट्टीयूट और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायमेंट भेजी जाएगी। इन श्रेष्ठ संस्थानों में पानी की गुणवत्ता पर अध्ययन और रिसर्च किया जाता है। पानी को शुद्व करने के लिए सरल वैज्ञानिक तरीके भी बताए जाते हैं। इन संस्थानों में रिपोर्ट भेजने का उद्देश्य यह है कि इसका लाभ आदिवासी अंचल के लोगों को हो। इनमें सुझाव पर अमल करते हुए जमीनी स्तर पर काम किया जाएगा। इसके लोगों को पानी के लिए शुद्ध पानी मुहैया कराया जा सके।

इन गांव का हुआ परीक्षण-
परीक्षण के लिए सबसे पहले उन गांव का चयन किया गया है।जिसमें गंदे पानी आने की जानकारी मिली थी। ग्रामीणों से यह जानकारी जुटाई गई थी कि इन गांव में पानी के कारण अनेक प्रकार की बीमारियां हो रही है। इसलिए अमने, साजापाली, टाड़ा, गोबरीपाट, भैसाझार, लखोदना, जोगीपुर, बांकीघाट, कपसियाकला और चंगोरी का चयन किया गया है।

डब्लूएचओ के मापदंडों पर परीक्षण
विश्वविद्यालय द्वारा विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंडों से जल परीक्षण किया जा रहा हैं। संगठन में महत्वमपूर्ण 8 बिंदु शामिल किए हैं। साथ ही इसका पूरा विश्लेषण भी बताया है।
पी.एच.- यह सामान्यता 7 पीएच तक शुद्व जल माना जाता है। इसकी मात्रा कम या अधिक होने पर यह मनुष्य के शरीर पर दुष्प्रभाव  देता है।

                             टर्बीडिटी-इसे सामान्य भाषा में पानी का गंदलापन कहा जाता है। पानी में इसकी 10 एनटीयू तक की मात्रा जल पानी योग्य बताता है। इसके अधिक होने पर इसे पानी से दूर करना जरूरी हैं। नहीं तो स्वास्थ्य में विवरित प्रभाव डालता है।
क्षारियता-यह शुद्व पानी के लिए आवश्यक तत्व है। इसकी मात्रा कम होने अम्लीय और अधिक होने क्षारिय कहा जाता है। दोनों की स्थिति में यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। पानी में इसकी निश्चित मात्रा या उदासीनता जरूरी है।
टीडीएस-जल में पूर्णतः घुले हुए ठोस पदार्थ को मापा जाता है। यह घुलनशील व अघुनशील दोनों अवस्थाओं में होते हैं। कुछ पानी की नीची सतह पर बैठ जाते है। इनको एसएस कहा जाता है। पानी में इसकी अधिक मात्रा उस क्षेत्र खनिज और लवण को बताती है।
कठोरता-यह पानी के पानी की शुद्वता को जांचने का महत्वपूर्ण पैमाना है। कठोरता दो प्रकार की होतीा है पहली वो जो अस्थाई होती है और दूसरी स्थाई। अस्थाई कठोरता को घूरेल तरीके से दूर किया जा सकता है।जैसे उबालन व छानना। स्थाई कठोरता को रसायनिक तरीके से ही दूर किया जा सकता है। पानी पीने से पहले इसे दूर करना आवश्यक हैं।
डिओ-पानी में घुलित आक्सीजन की मात्रा डिजाल्व आक्सीजन कहलाती है। पानी की शुद्वता के लिए इसकी निश्चित मात्रा नहीं होने से पानी सड़ जाता है जो पीने योग्य नहीं होता।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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