सीवीआरयू में संरक्षित होगा 30 लाख लीटर पानी

Chief Editor

wh 1♦बारिश के पानी को संरक्षित करने बन रहा 6 हार्वेस्टिंग  सिस्टम
बिलासपुर। डाॅ.सी.वी.रामन् वि.वि. में संकल्प के साथ बारिश के पानी को संरक्षित करने की पहल शुरू हो गई है। इसके लिए कैंपस में बने 30 हजार वर्गफीट बिल्डिंग क्षेत्र में गिरने वाले बारिश के पानी को 6 हार्वेस्ंटिंग सिस्टम के माध्यम संरक्षित किया जाएगा। इसमें 3 प्री-फिल्टर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी बनाए जा रहे हैं। बारिश से वि.वि. परिसर में कुल 30 लाख लीटर पानी की बचत की जाएगी और पानी को पुनःप्राप्त किया जा सकेगा।वि.वि. अनुदान आयोग और केंद्र सरकार के निर्देश पर सीवीआरयू  में बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए काम शुरू कर दिया गया है। इसके लिए सबसे पहले कैंपस की सभी बड़ी बिल्डिंग के नीचे दोनों तरफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जा रहा है। जिसमें आर्दश प्रारूप को ध्यान में रखते हुए बोर किया जा रहा है,जिससे भवन की छत में गिरने वाला बारिश का पानी पाइप लाइन के माध्यम से सीधे नीचे चला जाएगा। यह कार्य 75 प्रतिशत पूरा किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में मानसून आने के पहले ही सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे।

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जल्द ही बनाई जाएगी पानी टंकी-कुलसचिव
cvr shail newश्री पाण्डेय ने बताया कि जल संरक्षण को लेकर विवि प्रबंधन पूरी तरह से गंभीर है। विद्यार्थियों के माध्यम से इसका संदेश लोगों तक समय समय पर दिया जाता है। साथ ही विवि सामाजिक सरोकार के मंच से इस क्षेत्र में कार्य करता रहता है। जल संरक्षण के लिए कैंपस में बड़ी पानी टंकी बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। जिससे पूरे कैंपस के हास्टल, विभाग, प्रशासनिक भवन, लैब,लायब्रेरी, दूरवर्ती संस्थान, क्लासेस, गार्डन सहित सभी स्थानों में असानी से पानी सप्लाई दी जा सकेगी। साथ ही हम बिजली और पानी दोनों की बचत कर सकेंगे।

                                                                   इस संबध में जानकारी देते हुए वि.वि. के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने बताया कि हम पहले ही बिजली बचाने के लिए कार्य कर रहे हैं, इससे लिए प्रषासनिक भवन और रिसर्च सेंटर के उपर सोलर प्लांट लगाया जा चुका है। इसके बाद अब पानी की बचत पर वि.वि. गंभीरता से ध्यान दे रहा है। श्री पाण्डेय ने बताया कि कैंपस के 6 भवनों में कुल कंस्ट्रक्शन लगभग 30 हजार वर्गफीट है। इस आधार पर कुल 6 सिस्टम बनाए जा रहे हैं,जिससे अधिक से अधिक बारिश का पानी पाइप लाइन के माध्यम से जमीन पर जाए। श्री पाण्डेय ने बताया कि इसके लिए जिम्मेदारी एक्सपर्ट लोगों को सौंपी गई है, साथ ही वि.वि. के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापक और विद्यार्थी भी इस काम में शामिल किए गए है। जिससे विद्यार्थियों को इसकी जानकारी मिले। श्री पाण्डेय ने बताया कि सिस्टम में 150 फीट बोर करके 8 इंच की पाइप जमीन में डाली जा रही है। जिसमें माध्यम से पानी जमीन में चला जाएगा। श्री पाण्डेय ने बताया कि 6 में से 3 सिस्टम प्री-फिल्टर सिस्टम बनाया जा रहा है। इनमें से छना हुआ साफ पानी ही जमीन के भीतर जाएगा।
wh 2विद्यार्थी घर में बनाए व्यवस्था-कुलपति
सीवीआरयू  के कुलपति डाॅ.आर.पी.दुबे ने बताया कि आने वाला समय जल संकट का समय है। इस बात के लिए हर किसी को जागरूक होना जरूरी है। इसकी शुरूआत घर से ही होती है। वि.वि. ने सभी विभागाध्यक्ष,प्राध्यापक और विद्यार्थियों से कहा है कि वे बारिश का पानी बचाने के लिए अपने अपने घर में व्यवस्था करें। डाॅ. दुबे ने बताया कि समाज का हर व्यक्ति थोड़ी मात्रा में ही बारिश का पानी सरंक्षित करें तो यह बड़ी बात होगी।

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