बिलासपुर(करगीरोड)।डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में इंटीग्रल एजुकेशन एंड सस्टीनेबल डेवलपमेंट ए-स्टेप टूवाड्स ग्लोबलाइजेशन विषय पर दो दिवसीय नेशनल कांन्फेंस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बदलते परिवेश में शिक्षा का उद्देश्य पूरा न होने पर, अब किस तरह से समग्र शिक्षा देकर विद्यार्थियों का स्वार्गीण विकास किया जाए, इस विषय पर देश व प्रदेश के बड़े शिक्षाविद्ों ने गहन मंथन किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने इंटीग्रल एजुकेशन पर अपने विचार रखें। विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ.आर.पी.दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि वह सम्पूर्ण शिक्षा कभी नहीं हो सकती जिसमें सिर्फ डिग्री लेकर जीवन यापन का आधार बना हो। आज समाज को ऐसी शिक्षा की जरूरत है, जो व्यक्ति और व्यक्त्तिव का पूर्ण विकास करें। इस बात को ध्यान में रखकर ही इस विषय का चयन किया गया है। डाॅ. दुबे ने बताया शिक्षा की शुरूआत तो शब्द,अंक से होती है और विषय का ज्ञान व अंतिम पड़ाव विषलेशण तक शिक्षा चलती है। इस पड़ाव तक आते-आते आधी उम्र्र बीत जाती है, लेकिन यह पूर्ण शिक्षा नहीं है। शिक्षा की पूर्णता तो तब है जब हम अपने आप को जाने और शरीर की इंद्रियों को समझे,उसकी कार्यक्षमता को आंके , इसके बाद हम समाज के हित के लिए भी कार्य करें। डाॅ. दुबे ने कहा कि सुविधा उपलब्ध कराना बेहतर शिक्षा देने का आधार तो हो सकता है, लेकिन समग्र शिक्षा नहीं ।नेशनल कांन्फेंस में दो दिन तक मंथन किया जाएगा। कांन्फेंस का वीडियो और संपूर्ण जानकारी राजभवन व शासन को भेजी जाएगी।
व्यक्ति का समग्र निर्माण जरूरी-डाॅ.नायक
कार्याक्रम में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ.पी.के.नाक ने नेशनल कांन्फेंस के व इसके विषय के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में स्पेशलाइजेशन की आवश्यकता अनिवार्य रूप से है परंतु एक व्यक्ति के समग्र निर्माण में सामाकलित शिक्षा को विषय विशेष की शिक्षा से जोड़ने की आवश्यकता है।
चैलेंज और संभावनाओं का प्रदेश है छत्तीसगढ़-कुलसचिव
इस अवसर विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने बताया कि सही मायने में वर्तमान में समाकलित शिक्षा की जरूरत तो है,परंतु इस शिक्षा को आम लोगों तक पहुंचाने वाले समर्पित शिक्षक की आवश्यकता भी ज्यादा है। उन्होंने स्कूली शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए कांन्फ्रेस में उपस्थित एवं विभिन्न संस्थानों से आए शिक्षकों बीएड व एमएड के विद्यार्थियों से अच्छे शिक्षक बनने का आव्हान किया। श्री पाण्डेय ने बताया कि चुकिं छत्तीसगढ़ पिछड़ा हुआ राज्य है इसलिए यहां हर क्षेत्र में खुला हुआ है। या युं कहे कि यहां हर क्षेत्र में चैलेंज है इसलिए ही यहां संभावनाएं सबसे ज्यादा है। श्री पाण्डेय ने विद्यार्थियों से कहा कि प्रदेश की बेहतर शिक्षा के लिए आप जैसे शिक्षको को सच्चे मन से काम करना चाहिए। जिससे वे प्रदेश निमार्ण में साझेदारी निभा सके।