सेमरताल सोसायटीःगायब हो गया दो हजार बारदाना

BHASKAR MISHRA
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IMG-20170117-WA0000बिलासपुर—सीबीआई शहर में है…।दस्तावेज जांच और संग्रहण का काम तेजी से चल रहा है।बावजूद इसके सोसायटी के कर्मचारी घपला और घोटाले से बाज नहीं आ रहे हैं। घोटाला से चर्चा में आए सेमरताल सोसायटी में आज भी हेर फेर का धंधा नहीं रूका है।सीजी वाल ने एक दिन पहले लिखा कि सेमरताल में धान खरीदी से ज्यादा उठाव हो गया है।रिपोर्ट भी जिला प्रशासन के पास है।बावजूद इसके प्रशासन ने इस तरफ विशेष ध्यान नहीं दिया।इतना ही नहीं बल्कि सेमरताल सोसायटी में मार्कफेड ने जो बारदाने दिए हैं।उसमें से करीब 2 हजार बारदानों का हिसाब ही नहीं है।ना तो प्रबंधक बता पा रहा है और ना ही सोसायटी का शुक्ला बंधु। किसानों ने बताया कि यहां शुक्ला जी जो चाहते हैं वहीं होता है। प्रबंधक तो केवल चीड़िया बैठाने के लिए है।

             
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                                      सेमरताल सोसाटी में खरीदी से ज्यादा धान का उठाव हुआ है। जानकारी के अनुसार सोसायटी के पास दो हजार सरकारी बारदाना का हिसाब नहीं है। सोसायटी प्रबंधक मामले में गोलमोल जवाब देता है।

                                         IMG-20170117-WA0001मालूम हो कि सरकार किसानों का धान खरीदने बारदाना की सप्लाई मार्कफेड के रास्ते सोसायटियों को करती है। एक बारदाने में अधिकतम चालिस किलो धान भरा जा सकता है। जब भी अधिकारी धान खरीदी के समय समितियों में जांच करने पहुंचते हैं वारदाने की गिनती जरूर करते हैं। आवक धान के अनुसार बारदाने की गिनती की जाती है। आंकड़ों में अंतर होने पर गहन जांच पड़ताल की जाती है। जरूरत पड़ने पर कार्रवाई भी होती है। लेकिन सेमरताल धान खरीदी केन्द्र में दो हजार या इससे कहीं अधिक बारदाना का हिसाब नहीं है। बावजूद इसके अभी तक जिला प्रशासन मामले को गंभीर नहीं है या फिर उसे बारदाना गायब होने की जानकारी नहीं है।

स्टॉक में 7 हजार रिकार्ड में 9 हजार बारदाना

                                      IMG-20170117-WA0002सीजी वाल की टीम ने अपने सूत्रों से पाया कि स्टाक में केवल सात हजार ही बारदाना है।जबकि प्रबंधक ने रिकार्ड में 9 हजार बारदाना होना बताया। जानकारी के अनुसार शासन ने सेमरताल धान खरीदी केन्द्र को कुल 59774 वारदाने दिये । इसमें 50774 बारदानों में धान भरकर धान संग्रहण केन्द्र और मिलर को भेजा गया। इसमें चार हजार क्विंटल धान ज्यादा है।

                                      यदि आंकड़ों में जोड़ घटाना किया जाए तो स्टाक में 9 हजार बारदाना होना चाहिए। लेकिन भौतिक सत्यापन के बाद गोदाम में केवल सात हजार ही बारदाने पाए गए। शायद दो हजार से ज्यादा बारदाने नहीं थे।

                                   धान समितियों को शासन गांठ में बंडल देता है। एक गांठ में अधिकतम 500 बारदाना होता है। लेकिन सोसायटी में पांच दिन पहले सभी बारदानों के उपयोग के बाद 14 गांठ मिले। इसमें 7000 वारदाना पाया गया। प्रश्न उठता है कि आखिर स्टाक और रिकार्ड में इतना अंतर कैसे आया। मतलब दो हजार बारदाना कहां गया। कहीं अतिरिक्त चार हजार क्विंटल धान इन्ही बारदानों में भरकर साहूकारों को तो नहीं दिया गया।

एक बारदाना 42 रूपए का

                                   जानकारी के अनुसार एक बारदाने की कीमत शासन को 42 रूपए में पड़ता है। समिति संचालकों ने 2000 बारदाना गायब कर दस हजार का चूना लगाया है। प्रश्न बारदानों के मूल्य से नहीं बल्कि घोटाला से जुड़ा है। यदि बारदानों को किसी बिचौलिया ने खरीदा होगा तो वह इन दो हजार बारदानों से लाखों रूपए का धान शासन के खाते में डाल देगा और लाखों रूपए न्यारा व्यारा कर लेगा। बिचौलिया अपने धान को किसानों की मजबूरी वाले खाते पर चढ़ा देगा।

                                    प्रश्न उठता है कि इतनी सख्ती के बाद भी बिचौलिये और सोसायटी के लोग धांधली कैसे कर सकते हैं। यदि कर रहे हैं तो इसमें कुछ रसूख वालों का हाथ जरूर होगा। जिला प्रशासन को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।

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