सेमरताल सोसायटी धान घोटालाः खरीदी से ज्यादा कर दिया उठाव

BHASKAR MISHRA
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IMG20170106142815बिलासपुर– हमेशा से विवादों में सेमरताल सोसायटी धान खरीदी केन्द्र में जांच के दौरान हिसाब किताब में गड़बड़ी पायी गयी है। सोसायटी में दर्ज पंजीयन के अनुसार खरीदी से ज्यादा धान की बिक्री का मामला सामने आया है। मजेदार बात है कि रिपोर्ट सौंपने के बाद भी अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार धान खरीदी केन्द्र में खरीदी से ज्यादा धान मिलर या संग्रहण केन्द्र को भेजना बताया गया है। रिपोर्ट भी पेश कर दिया गया है बावजूद इसके सोसायटी संचालक और संबधित लोगों के खिलाफ अभी तक प्रशासन ने कोई पूछताछ नहीं की है। आखिर अतिरिक्त धान आया कहां से…।

                               सेमरताल सोसायटी में खरीदी से क्विंटलों ज्यादा धान संग्रहण केन्द्र और मिल को भेजना बताया गया है। जानकारी के अनुसार प्रशासन के निर्देश पर सेमरताल धान खरीदी केन्द्र में जांच पड़ताल के दौरान काफी अनियमितता पायी गयी है। पंजीयन में 20 हजार क्विंटल धान खरीदी होना बताया गया है। डीओ के अनुसार समिति प्रबंधन ने 24 हजार क्विंटल धान संग्रहण केन्द्रों और मिलर को भेजना बताया है।मजेदार बात है कि रिपोर्ट भी सक्षम अधिकारियों तक पहुंच चुका है लेकिन सोसायटी पर अभी तक कार्रवाई की बात दूर किसी भी अधिकारी ने मामले में पूछताछ नहीं की है। जाहिर सी बात है कि मामले को कुछ ना कुछ लोचा जरूर है।

             मालूम हो कि पिछले साल भी सेमरताल सोसायटी में किसानों के पैसों को लेकर गड़बड़ी हुई थी। किसानों ने जनवरी 2016 मे रूपयों को लेकर नेहरू चौक पर दो सप्ताह से अधिक समय तक धरना प्रदर्शन किया था। मामले को संज्ञान में लेकर जिला प्रशासन ने जांच का आदेश दिया। जांच के दौरान प्रबंधक पर गड़बड़ी करने का आरोप सामने आया था। प्रशासन के सहयोग से सोसायटी के किसानों को रूपए लौटाए गए। लेकिन आज भी दर्जनों किसानों को रूपया नहीं मिला है। एक बार फिर इस साल धान खरीदी केन्द्र में धान खरीदने और धान खरीदी केन्द्र को भेजने में भारी अंतर का मामला सामने आया है। रिपोर्ट भेजे जाने के बाद भी जिला प्रशासन मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। IMG20170106142759

                             करीब दो सप्ताह पहले जांच पड़ताल के दौरान सेमरताल समिति में पाया गया कि स्थानीय लोगों के सहयोग से किसानों के घर में रखे पुराने धान को बेचा गया है। जबकि खरीदी में सिर्फ 20 हजार क्विंटल ही धान खरीदना बताया गया है। डीओ के अनुसार समिति से 24 हजार क्विंटल से अधिक का धान संग्रहण केन्द्रों में भेजा गया है। अन्तर से जाहिर होता है कि सेमरताल सोसायटी में अभी भी धान में हेराफेरी का खेल चल रहा है। रिपोर्ट मिलने के बाद भी प्रशासन मौन है…जो संदेह को जन्म देता है।

कहां से आया और कहां गया धान 

                        सेमरताल सोसायटी प्रबंधक ध्रुव ने बताया कि कुछ दिन पहले जिला प्रशासन के नुमाइंदों ने धान खरीदी केन्द्र का निरीक्षण किया है। उन्होने गड़बड़ी के बारें में कुछ नहीं बताया। सासायटी के कर्मचारी शुक्ला ही इस बारे में बता सकते हैं कि धान के स्टाक और आवक-जावक में अन्तर क्यों है। धान के रखरखाव की जिम्मेदारी शुक्ला के हाथों में है। इस समय वह बिलासपुर गए हैं । मामले में वही कुछ बता सकते हैं।

                                 एक किसान ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सेमरताल में प्रबंधक की नहींं बल्कि सोसायटी के ही एक आदमी की चलती है। उसका नाम मैं नहीं बताना चाहुंगा। लेकिन उसके बारे में सभी को जानकारी है। उसने अपने रसूख का उपयोग कर खरीदी से ज्यादा का डीओ हासिल किया। अपने चहेतों का धान संग्रहण भेज दिया। जबकि पंजीयन में खरीदी और विक्री में भारी अंतर है। अंतर चार हजार क्विंटल से कहीं ज्यादा का है।

पुराना धान भेजा गया

                  सोसायटी के एक सदस्य ने बताया कि नए के साथ पुराना धान संग्रहण केन्द्रों को भेजा गया है। सच्चाई इसके उलट है। सेमरताल में पुराना धान था ही नहीं। बावजूद इसके यदि पुराना धान संग्रहण केन्द्रों को भेजा गया है तो वह बिना पंजीयन वाले किसानों का है। जाहिर सी बात है कि सेमरताल सोसायटी में धान खरीदी और बिक्री में गोरखधंधा आज भी फल फूल रहा है। मजेदार बात है कि सक्षम अधिकारियों की इसकी जानकारी है। बावजूद इसके कार्रवाई नहीं होने की वजह समझ से परे है।

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