बिलासपुर(करगीरोड)।आज का युग यंत्रों का युग है। व्यक्तिगत और सामाजिक विकास अब यांत्रिक हो गए हैं। महानगर का विकास महायंत्रों से और शहर का विकास यंत्रों से हो रहा है। ऐसे में मनुष्य के व्यवहार को भी यांत्रिकी ने प्रभावित किया है और हमारा व्यवहार भी यंत्रों की तरह होने लगा हैं,जिससे भावना खत्म होती जा रही है। जब भावना ही खत्म हो गई है तो सेवा भावना का या़ित्रक युग में जीवित रहना असंभव है। राष्ट्रीय सेवा योजना ही एक मात्र माध्यम है जिसमे सेवा का गुण विकासित किया जाता है। अधिक से अधिक विद्यार्थी राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ें और देश व समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।
ये विचार डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ.आर.पी.दुबे ने व्यक्त किए। वे राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस पर डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। डाॅ. दुबे ने कहा कि एनएसएस को स्वामी विवेकानंद के आदर्श और सिद्वंातों को स्वीकार करने ही बनाया गया है। सही मायने में एनएनएस युवाओं को सेवा करने के लिए प्रेरणा देता है और यह युवाओ का दायित्व भी है। कि वे अपनी पढ़ाई के अलावा समाज की चिंता करें और उसे सही दिशा देने के लिए मेहनत करें।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने विद्यार्थियों से कहा कि जीवन के हर पड़ाव में सोशल इंजीनियरिंग की जरूरत पड़ेगी। इस बात को विद्यार्थी आज ही समझे लें। पाण्डेय ने कहा कि आज के जीवन में सेवा भावना और समर्पण कही भी दिखाई नहीं पड़ता है। ऐसे में एनएसएस के विद्यार्थियों जैसे लोगों और समाज की सेवा करते हैं वह अद्भूत है। त्याग करने वाले को ही समाज में सम्मान दिया जाता है और वहीं आदर्श भी बनता है। इसलिए विद्यार्थियों को अपने भीतर के स्वार्थ को त्याग कर निस्वार्थ भाव से सेवा करना चाहिए। यह तभी संभव है,जब विद्यार्थी समाज के प्रति अपने दायित्व को समझें।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित आईसेक्ट यूनिवर्सिटी के सम-कुलपति अमिताभ सक्सेना ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज युवाओं को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को स्वीकार करने की जरूरत है। स्वयं के व्यक्तित्व विकास और समाज के हितों की रक्षा के लिए विद्यार्थियों को प्रतिदिन एक संकल्प लेना चाहिए। प्रति दिन का यह एक संकल्प एक दिन भीष्म प्रतिज्ञा का रूप लेगा। हर विद्यार्थी ऐसी प्रतिज्ञा की राह पर चले तो हम एक स्वर्ण युग तक पहुंचेंगें और भारत फिर से सोने की चिड़िया कहा जाएगा। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डाॅ.जे.सी. निंदारिया ने कहा कि जिस तहर माता-पिता ने हमारा पालन पोषण निःस्वार्थ भाव से किया है और उसी निःस्वार्थ भाव से हमें भी समाज और देश की सेवा करना चाहिए। अहं का प्रतीक मैं को त्याग कर हम की भावना से काम करना चाहिए। तभी हम हमारा देश की भावना से देश की सेवा कर पाएंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।
एनएसएस डे पर हुए विभिन्न आयोजन
राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में विभिन्न आयोजन किए गए। बेटी पढ़ाओं बेटी बचाव विषय पर नाटक का मंचन किया गया। इस अवसर विद्यार्थियों ने विद्यार्थियों और प्राध्यापकों को बेटियों की रक्षा का संदेश दिया। इसके बाद विश्वविद्यालय कैंपस में जागरूकता रैली निकाली गई और विद्यार्थियों ने समाज की सेवा का संकल्प लिया। इसके बाद उरी हमले में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्वाजली दी गई। कुछ दिन पूर्व भारत सरकार के सूचना एवं तकनीक मंत्रालय द्वारा डिजीटल इंडिया विषय में कार्यशाला में डिजीटल पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। यह आयोजन बिलासपुर विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया था। इस प्रतियोगिता में सीवीआरयू ने प्रथम स्थान प्राप्त किया गया था, उन एनएसएस के विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।