स्कूलों में शिक्षकों के बीच अब भी ट्रांसफर – पोस्टिंग की चर्चा, प्रशासनिक खो – खो का खौफ बरकरार

Shri Mi
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रायपुर/बिलासपुर।31 अगस्त को प्रदेश के स्कूल खुले 75 दिन पूरे हो गए तिमाही परीक्षाओं की घड़ी नजदीक आ गई है।  छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग के  ट्रांसफर पोस्टिंग डिपार्टमेंट से जारी हुए तबादलो के प्रदेश स्तर के  विवाद अब को सुलझा नही पाया है।विवाद से जुड़े मामले को कमेटी के हवाले कर दिया गया है। शिक्षा विभाग स्थानांतरण मामलों की वजह से अब राष्ट्रीय स्तर में सुर्खियों में आ गया है।इतना सब होने के बाद भी विभाग में दबाव में नही लगता है।

             
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छत्तीसगढ़ शासन के जारी आदेशो की माने तो 23 अगस्त को स्थानांतरण नीति 2019 की मियाद खत्म हो गई है। चर्चाओं के बाजार में एल्बी, ई और टी के सहायक शिक्षक, शिक्षक व व्याख्याता  संवर्ग के शिक्षकों की राज्य स्तर की कथित तीसरी स्थानांतरण सूची आने की चर्चा  शिक्षकों के बीच आज भी चल रही है। आज भी विद्यालयों में स्टाफ रूम चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा ट्रांसफर ही है।

दबाव में शिक्षक और छात्र

जिन शिक्षकों ने आवेदन दिए हैं वे स्थानांतरण सूची का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। और जिन शिक्षकों ने आवेदन नही दिए वे भी डरे हुए है। कही शिक्षा विभाग के जोड़तोड़ में  प्रशासनिक खो- खो का शिकार न हो जाये।  शिक्षकों की मोबाइल पर आने वाले संदेशों पर नजरे टिकी हुई रहती है।

शिक्षक चर्चा में बताते हैं कि इससे मिडिल और हायर सेंकडरी विद्यालयों के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।  क्योकि ज्यादातर आम शिक्षक मानसिक तनाव में जी रहा है। ज़िंदगी अधर में चल रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण शिक्षकों की दोषपूर्ण  तबादला नीति और  खासम खास  लोगों के लिए जगह सुरक्षित करने के लिए प्रशासनिक खो- खो है।

शिक्षा कर्मीयो से चर्चा में ये बाते सामने उभर कर आती है कि सबसे आम और साधारण जिंदगी शिक्षकों की है। और वे शिक्षक जो ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं राजधानी और न्यायधानी से दूर रहते है ना तो वे किसी राजनीतिक परिवेष से जुड़े हैं और ना ही किसी अफसर के परिवार उनका कोई ताल्लुक है ऐसे साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले शिक्षकों को स्थानांतरण खो – खो का ख़ौफ़ सबसे अधिक है।

परिवार शिक्षकों का भी है। बच्चे शिक्षकों के भी हैं यह सरकार के  शिक्षा विभाग के रणनीतिकारों को समझ नही आ रहा है।  स्थान्तरित हुए शिक्षको के बच्चे भी  दूसरे स्कुलों में स्थान्तरित होंगे।उनका पढ़ाई भी प्रभावित होगा जिससे शिक्षक की मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ेगा और यह राज्य के बच्चों के लिए कदापि उचित नहीं होगा।

स्थानांतरण नीति कर्मचारी के सुविधा के लिए है इसे प्रताड़ना एवं स्वेक्षाचारिता से बचाना नितांत जरूरी है।वर्तमान में शिक्षा विभाग में जो स्थानांतरण की सूची आयी है उसको देखकर ऐसा लगता है इसमें कुछ शिक्षकों को प्रताड़ित किया है गया तो कुछ को इतनी सुविधा दे दी गई है कि अब घर के बाहर निकले ही उनका विद्यालय का गेट सामने दिखाई देता है।इसके उलट बहुत से ऐसे शिक्षक शिक्षिकाएं भी हैं जिन्होंने बीमारी,बुजुर्ग मां – बाप,पति पत्नी आदि के आधार पर विभाग में स्थानांतरण के लिए आवेदन लगाया था किन्तु उनके आवेदन को कचरे के डिब्बे में डाल दिया गया है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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